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कार्बन-१४
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प्रांगार-१४, १४C, या रेडियोप्रांगार, प्रांगार का एक रेडियोधर्मी समस्थानिक है। प्रांगार १४ की खोज २७ फरवरी, १९४० में मार्टिन कैमेन और सैम रुबेन ने कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय विकिरण प्रयोगशाला, बर्कले में की थी। जब प्रांगार का अंश पृथ्वी में दब जाता है तब प्रांगार-१४ (१४C) का रेडियोधर्मिता के कारण ह्रास होता रहता है। पर प्रांगार के दूसरे समस्थाकनिकों का वायुमंडल से संपर्क विच्छे१द और प्रांगार-द्वि-ओषिद न बनने के कारण उनके आपस के अनुपात में अंतर हो जाता है। पृथ्वी में दबे प्रांगार में उसके समस्थानिकों का अनुपात जानकर उसके दबने की आयु का पता लगभग शताब्दी में कर सकते हैं।[5] हालांकि इसके अस्तित्त्व का संकेत १९३४ में फ़्रैन्ज़ क्यूरी ने दिया था।[6] इसके आण्विक नाभि में ६ प्रोटोन और ८ न्यूट्रॉन होते हैं।
अधिक जानकारी कार्बन-१४ पूर्ण सारणी, सामान्य ...
कार्बन-१४ | |
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सामान्य | |
नाम, चिह्न | रेडियोप्रांगार,14C |
न्यूट्रॉन | 8 |
प्रोटोन | 6 |
न्यूक्लाइड आंकड़े | |
प्राकृतिक भंडार | १ पार्ट प्रति मिलियन |
अर्धायु काल | 5,730 ± 40 वर्ष |
समस्थानिक द्रव्यमान | 14.003241 u |
स्पिन | 0+ |
क्षय मोड | क्षय ऊर्जा |
बीटा | 0.156476[1] MeV |
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