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भारतीय राजनीतिज्ञ और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
एकनाथ शिंदे (जन्म ९ फरवरी १९६४[1] ) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो वर्तमान में महाराष्ट्र के 20वें मुख्यमन्त्री और शिवसेना प्रमुख के रूप में कार्यरत हैं [2] [3]। वह पहले महाराष्ट्र सरकार में शहरी विकास और लोक निर्माण (सार्वजनिक उपक्रम) के कैबिनेट मन्त्री थे[4][5][6][7] । वे ठाणे , महाराष्ट्र के कोपरी-पाचपाखाडी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा के सदस्य हैं [8]। वे महाराष्ट्र विधान सभा में लगातार ४ बार निर्वाचित हुए २००४, २००९, २०१४ और २०१९ में [9][10]।
सीएम एकनाथ शिंदे | |
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पदस्थ | |
कार्यालय ग्रहण ३० जून २०२२ | |
पूर्वा धिकारी | उद्धव ठाकरे |
पदस्थ | |
कार्यालय ग्रहण १७ फरवरी २०२३ | |
जन्म | 9 फ़रवरी १९६४ महाराष्ट्र, भारत |
जन्म का नाम | राहुल पांचाळ |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
राजनीतिक दल | शिवसेना |
जीवन संगी | लता शिन्दे |
बच्चे | श्रीकांत शिन्दे |
निवास | ठाणे |
व्यवसाय | राजनेता |
एकनाथ शिन्दे का जन्म 9 फरवरी 1964 को क्षत्रिय मराठा परिवार में हुआ था। सतारा उनका गृह जिला है। पढ़ाई के लिए शिन्दे ठाणे आए। 11वीं तक की पढ़ाई यहीं की। इसके बाद वागले एस्टेट इलाके में रहकर ऑटो रिक्शा चलाने लगे। इसी दौरान उनकी मुलाकात शिवसेना नेता आनन्द दिघे से हुई। महज 18 साल की उम्र में उनका राजनीतिक जीवन शुरू हुआ और शिन्दे एक आम शिवसेना कार्यकर्ता के रूप में काम करने लगे,करीब डेढ़ दशक तक शिवसेना कार्यकर्ता के रूप में काम करने के बाद 1997 में शिन्दे ने चुनावी राजनीति में कदम रखा[11]। 1997 के ठाणे नगर निगम चुनाव में आनन्द दिघे ने शिंदे को पार्षद का टिकट दिया। शिन्दे अपने पहले ही चुनाव में जीतने में सफल रहे। 2001 में नगर निगम सदन में विपक्ष के नेता बने। इसके बाद दोबारा साल 2002 में दूसरी बार निगम पार्षद बने। शिन्दे का कद साल 2001 के बाद बढ़ना शुरू हुआ। जब उनके राजनीतिक गुरु आनन्द दिघे का निधन हो गया। इसके बाद ठाणे की राजनीति में शिन्दे की पकड़ मजबूत होने लगी। 2005 में नारायण राणे के पार्टी छोड़ने के बाद शिन्दे का कद शिवसेना में बढ़ता ही चला गया। जब राज ठाकरे ने पार्टी छोड़ी तो शिन्दे ठाकरे परिवार के करीब आ गए। 2004 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने शिन्दे को ठाणे विधानसभा सीट से टिकट दिया। यहां भी शिन्दे को जीत मिली। उन्होंने कांग्रेस के मनोज शिन्दे को 37 हजार से अधिक वोट से मात दी। इसके बाद 2009, 2014 और 2019 में शिन्दे ठाणे जिले की कोपरी पछपाखडी सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे। देवेन्द्र फडणवीस सराकर में शिन्दे राज्य के लोक निर्माण मन्त्री रहे। 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद शिंदे मुख्यमन्त्री पद की रेस में सबसे आगे थे। चुनाव के बाद विधायक दल की बैठक में खुद आदित्य ठाकरे ने शिन्दे के नाम का प्रस्ताव रखा और वह शिवसेना विधायक दल के नेता चुने गए। इसके बाद तो उनके समर्थकों ने तो ठाणे में भावी मुख्यमन्त्री एकनाथ शिन्दे के पोस्टर तक लगा दिए थे। हालांकि, कांग्रेस और एनसीपी के दबाव में उद्धव ठाकरे का नाम आगे आया। इसके बाद शिन्दे बैकफुट पर आ गए। उद्धव सरकार में शिन्दे राज्य के शहरी विकास मन्त्री होने के साथ ठाणे जिले के प्रभारी मन्त्री भी हैं। कहा जाता है कि शिन्दे कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबन्धन से खुश नहीं थे। इसके बाद उनके और उद्धव ठाकरे के बीच दूरियां बढ़ने लगीं।
एकनाथ शिन्दे 1997 में ठाणे महानगर पालिका से पार्षद चुने गए और 2001 में नगर निगम सदन में विपक्ष के नेता बने | इसके बाद दोबारा साल 2002 में दूसरी बार निगम पार्षद बने. इसके अलावा तीन साल तक पॉवरफुल स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य रहे | हालांकि, दूसरी बार पार्षद चुने जाने के दो साल बाद ही विधायक बन गए, लेकिन शिवसेना में सियासी बुलन्दी साल 2000 के बाद छुआ | एकनाथ शिन्दे ठाणे की कोपरी-पंचपखाड़ी सीट से साल 2004 में पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे. शिवसेना के टिकट पर 2004 में पहली बार विधानसभा पहुंचे शिन्दे इसके बाद 2009, 2014 और 2019 में भी विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए आज एकनाथ शिन्दे के पास ठाणे जिले में बंगला है[12] |
2019 में चुने गए थे विधायक दल के नेता | शिवसेना विधायक दल की बैठक में आदित्य ठाकरे ने ही एकनाथ शिन्दे के नाम का प्रस्ताव रखा और उन्हें विधायक दल का नेता चुन लिया गया[13] |
शिन्दे महाविकास अघाड़ी को तोड़ने और भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबन्धन को फिर से स्थापित करने के पक्ष में थे [20]उन्होंने वैचारिक मतभेदों और कांग्रेस पार्टी और भारतीय राष्ट्रवादी कांग्रेस द्वारा अनुचित व्यवहार के कारण उद्धव ठाकरे से महा विकास अघाड़ी गठबन्धन को तोड़ने का अनुरोध किया[21] । उनके साथी शिवसेना सदस्यों ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने उनकी शिकायतों की अनदेखी की[22] ।उन्होंने अपने अनुरोध का समर्थन करने के लिए अपनी पार्टी से 2/3 सदस्यों को इकट्ठा किया[23]।यह संकट 21 जून 2022 को शुरू हुआ जब शिन्दे और कई अन्य विधायकमहा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबन्धन भाजपा शासित गुजरात में सूरत में चला गया , जिससे गठबन्धन को अराजकता में फेंक दिया गया[24][25][26]। शिन्दे के विद्रोह के परिणामस्वरूप, उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमन्त्री पद से इस्तीफा दे दिया और कहा कि वह महाराष्ट्र विधान परिषद से भी इस्तीफा दे देंगे [27][28]।शिन्दे ने सफलतापूर्वक भाजपा-शिवसेना गठबन्धन को फिर से स्थापित किया और 20वें मुख्यमन्त्री के रूप में शपथ ली, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के देवेन्द्र फडणवीस उपमुख्यमन्त्री बने ।[29][30] [31] [32] [33] [34] [35]
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