इंद्रावती नदी
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इंद्रावती नदी (तेलुगु: ఇంద్రావతి నది) मध्य भारत की एक बड़ी नदी है और गोदावरी नदी की सहायक नदी है। इस नदी नदी का उदगम स्थान उड़ीसा के कालाहन्डी जिले के रामपुर थूयामूल में है।[1] नदी की कुल लम्बाई 240 मील (390 कि॰मी॰) है।[2] यह नदी प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर दन्तेवाडा जिले में प्रवाहित होती है। दन्तेवाडा जिले के भद्रकाली में इंद्रावती नदी और गोदावरी नदी का सगंम होता है। अपनी पथरीले तल के कारण इसमे नौकायन संभव नहीं है। इसकी कई सहायक नदियां हैं, जिनमें पामेर और चिंटा नदियां प्रमुख हैं।
इन्द्रावती | |
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चित्रकोट जलप्रपात में इंद्रावती नदी | |
देश | भारत |
राज्य | छत्तीसगढ़ |
जिले | बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर |
लम्बाई | 386 कि.मी. (240 मील) |
उद्गम | रामपुर |
- स्थान | थुआमुल, कालाहन्डी जिला, उड़ीसा, उड़ीसा |
- निर्देशांक | 19°37′59″N 83°1′51″EInvalid arguments have been passed to the {{#coordinates:}} function |
मुख | गोदावरी |
- स्थान | दंतेवाड़ा जिला, दंतेवाड़ा, छत्तीसगढ़, भारत |
मुख्य सहायक नदियाँ | |
- वामांगी | पामेर, चिंटा |
इंद्रावती नदी बस्तर के लोगों के लिए आस्था और भक्ति की प्रतीक है।[3] इस नदी के मुहाने पर बसा है छत्तीसगढ़ का शहर जगदलपुर। यह एक प्रमुख सांस्कृतिक एवं हस्तशिल्प केन्द्र है। यहीं पर मानव विज्ञान संग्रहालय भी स्थित है, जहां बस्तर के आदिवासियों की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं मनोरंजन से संबंधित वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं।[4] डांसिंग कैक्टस कला केन्द्र, बस्तर के विख्यात कला संसार की अनुपम भेंट है। यहां एक प्रशिक्षण संस्थान भी है। इसके अलावा इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान इंद्रावती नदी के किनारे बसा हुआ है। उद्यान का कुल क्षेत्रफल २७९९ वर्ग किमी है।[5] जगदलपुर के निकट मात्र ४० किमी की दूरी पर स्थित चित्रकोट जलप्रपात स्थित है। अपने घोडे की नाल समान मुख के कारण इस जाल प्रपात को भारत का निआग्रा भी कहा जाता है।[6][7][8] यह भारत का सबसे बड़ा जल-प्रपात है।[9] यहां इंद्रावती नदी ९० फुट की उंचाई से प्रपात रूप में गिरती है। यहां मछली पकड़ने, नाव चलाने और तैराकी की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। यह जलप्रपात कनाडा के नियाग्रा जलप्रपात के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा जलप्रपात माना जाता है।[तथ्य वांछित] यहां से १० किमी की दूरी पर नारायणपाल मंदिर स्थित है।[4]