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अरविन्द घोष
भारतीय राजनीतिज्ञ, दार्शनिक, योग गुरु और गुरु / From Wikipedia, the free encyclopedia
अरविन्द घोष या श्री अरविन्द (बांग्ला: শ্রী অরবিন্দ, जन्म: १८७२, मृत्यु: १९५०) एक योगी एवं दार्शनिक थे। वे १५ अगस्त १८७२ को कलकत्ता में जन्मे थे। इनके पिता एक डाक्टर थे। इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, किन्तु बाद में यह एक योगी बन गये और इन्होंने पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया। वेद, उपनिषद ग्रन्थों आदि पर टीका लिखी। योग साधना पर मौलिक ग्रन्थ लिखे। उनका पूरे विश्व में दर्शन शास्त्र पर बहुत प्रभाव रहा है और उनकी साधना पद्धति के अनुयायी सब देशों में पाये जाते हैं। यह कवि भी थे और गुरु भी।
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सामान्य तथ्य श्री अरविन्द घोष, जन्म ...
श्री अरविन्द घोष | |
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![]() श्री अरविन्द घोष का सन् १९१६ में लिया गया चित्र। | |
जन्म |
अरविन्द अक्रोध्य घोष 15 अगस्त 1872 कलकत्ता, ब्रिटिश भारत |
मृत्यु |
5 दिसम्बर 1950 पाण्डिचेरी |
साहित्यिक कार्य | दिव्य जीवन, द मदर, लेटर्स आन् योगा, सावित्री, योग समन्वय, फ्यूचर पोयट्री |
हस्ताक्षर |
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धर्म | हिन्दू |
दर्शन | हिन्दुत्व |
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