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प्राणी या यंत्रों के बीच बहुमाध्यमिक संवाद विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
संचार प्रेषक का प्राप्तकर्ता को सूचना भेजने की प्रक्रिया है जिसमे जानकारी पहुंचाने के लिए ऐसे माध्यम (medium) का प्रयोग किया जाता है जिससे संप्रेषित सूचना प्रेषक और प्राप्तकर्ता दोनों समझ सकें यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिस के द्वारा प्राणी विभिन्न माध्यमों के द्वारा सूचना का आदान प्रदान कर सकते हैं संचार की मांग है कि सभी पक्ष एक समान भाषा का बोध कर सकें जिस का आदान प्रदान हुआ हो, श्रावानिक (auditory) माध्यम हैं (जैसे की) बोली, गान और कभी कभी आवाज़ का स्वर एवं गैर मौखिक (nonverbal), शारीरिक माध्यम जैसे की शारीरिक हाव भाव (body language), संकेत बोली (sign language), सम भाषा (paralanguage), स्पर्श (touch), नेत्र संपर्क (eye contact) अथवा लेखन (writing) का प्रयोग संचार की परिभाषा है - एक ऐसी क्रिया जिस के द्वारा अर्थ का निरूपण एवं संप्रेषण (convey) सांझी समझ पैदा करने का प्रयास में किया जा सके इस क्रिया में अंख्या कुशलताओं के रंगपटल की आवश्यकता है अन्तः व्यक्तिगत (intrapersonal) और अन्तर व्यक्तिगत (interpersonal) प्रक्रमण, सुन अवलोकन, बोल, पूछताछ, विश्लेषण और मूल्यांकनइन प्रक्रियाओं का उपयोग विकासात्मक है और जीवन के सभी क्षेत्रों के लिए स्थानांतरित है : घर, स्कूल, सामुदायिक, काम और परे.संचार के द्बारा ही सहयोग और पुष्टिकरण होते हैं[1] संचारण विभिन्न माध्यमों[2] द्बारा संदेश भेजने की अभिव्यक्ति है चाहे वह मौखिक अथवा अमौखिक हो, जब तक कोई विचारोद्दीपक विचार संचारित (transmit) हो भाव (gesture) क्रिया इत्यादि
संचार कई स्तरों पर (एक एकल कार्रवाई के लिए भी), कई अलग अलग तरीकों से होता है और अधिकतम प्राणियों के लिए, साथ ही कुछ मशीनों के लिए भी .यदि समस्त नहीं तो अधिकतम अध्ययन के क्षेत्र संचार करने के लिए ध्यान के एक हिस्से को समर्पित करते हैं, इसलिए जब संचार के बारे में बात की जाए तो यह जानना आवश्यक है कि संचार के किस पहलू के बारे में बात हो रही है। संचार की परिभाषाएँ श्रेणी व्यापक हैं, कुछ पहचानती हैं कि पशु आपस में और मनुष्यों से संवाद कर सकते हैं और कुछ सीमित हैं एवं केवल मानवों को ही मानव प्रतीकात्मक बातचीत के मापदंडों के भीतर शामिल करते हैं
बहरहाल, संचार आमतौर पर कुछ प्रमुख आयाम साथ में वर्णित है: विषय वस्तु (किस प्रकार की वस्तुएं संचारित हो रहीं हैं), स्रोत, स्कंदन करने वाला, प्रेषक या कूट लेखक (encoder) (किस के द्वारा), रूप (किस रूप में), चैनल (किस माध्यम से), गंतव्य, रिसीवर, लक्ष्य या कूटवाचक (decoder) (किस को) एवं उद्देश्य या व्यावहारिक पहलू.पार्टियों के बीच, संचार में शामिल है वेह कर्म जो ज्ञान और अनुभव प्रदान करें, सलाह और आदेश दें और सवाल पूछें यह कर्म अनेक रूप ले सकते है, संचार के विभिन्न शिष्टाचार के कई रूपों में से उस का रूप समूह संप्रेषण की क्षमता पर निर्भर करता हैसंचार, तत्त्व और रूप साथ में संदेश (message) बनाते हैं जो गंतव्य (destination) की ओर भेजा जाता हैलक्ष्य ख़ुद, दूसरा व्यक्ति (person) या हस्ती, दूसरा अस्तित्व (जैसे एक निगम या हस्ती के समूह) हो सकते हैं
संचार प्रक्रियासूचना प्रसारण (information transmission) के तीन स्तरों द्वारा नियंत्रित शब्दार्थ वैज्ञानिक (semiotic) नियमों के रूप में देखा जा सकता है
इसलिए, संचार सामाजिक संवाद है जहाँ कम से कम दो बातचीत करने वाले एक समान चिन्हों और शब्दार्थ विज्ञान (semiotic) समुच्चय नियमों में भागीदार हों. कुछ अर्थों में यह सामान्यतः आयोजित शासन अन्तः व्यक्तिगत संवाद (intrapersonal communication) सहित दिनचर्या या स्वयं वार्तालाप के माध्यम से स्वतः संवाद (autocommunication) की अवहेलना करता है
एक साधारण माडल में, जानकारी या सामग्री (जैसे प्राकृतिक भाषा में संदेश) कुछ रूप में भेजा जाता है (बोली के भेष में) एक एमिसर / संदर / कूट लेखक (encoder) के द्वारा एक गंतव्य / प्राप्तकर्ता / कूटवाचक (decoder) को थोड़े अधिक जटिल रूप में एक प्रेषक और एक प्राप्तकर्ता पारस्परिक रूप से एक दूसरे से जुड़े हैं संचार का एक विशिष्ट उदाहरण को कहा जाता है भाषण अधिनियम (speech act).संचार शोर (communication noise) की उपस्थिति में इस संचरण चैनल पर (यहाँ हवा में), स्रोत की प्राप्ति और कूट्वाचना दोषपूर्ण हो सकते हैं और इस प्रकार के भाषण अधिनियम अपेक्षित परिणाम से वांछित रह सकते हैं इस कूट लेखक - संचरण - प्राप्ति - कूत्वाचना नमूने की समस्या यह है कि यह प्रतीत होता है कि कूट लेखक और कूत्वाचक दोनों के पास ही कुछ ऐसा औजार है जो कोड किताब का काम करती है और यह कोड किताब अगर एक् नहीं तो एक् जैसी तो ज़रूर है। हालां कि कोड किताब जैसा इस मॉडल में कुछ विवक्षित है, वेह दरअसल है नहीं और इस कारणवश संकल्पनात्मक बाधाएं आती हैं
सह-विनियमन (coregulation) के सिद्धांत संचार को एक रचनात्मक और गतिशील निरंतर प्रतिक्रिया के रूप में वर्णित किया जाता है बजाई के जानकारी के एक असतत विनिमय रूप में.
भाषा वक्याविन्यासी (syntactically) संकेतों की संगठित प्रणाली है जैसे की वाणी की आवाज़, संप्रतीक अंतराल, या लिखित (written) चिन्ह जो विचार या भाव संचारित करता है यदि एक भाषा संकेतों, वाणी, ध्वनि, भाव या लिखित चिन्हों के माध्यम से वार्तालाप को कहते हैं, तो क्या जानवर संचार एक भाषा के रूप में जाना जा सकता है ? पशुओं के पास भाषा का कोई लिखित रूप नहीं होता, किंतु वार्तालाप के लिए भाषा का उपयोग करते हैं। इस मायने में, पशु भाषा को संचार कहा जा सकता है
मानवीय (Human) बोली एवं लिखित भाषा को संकेत (symbol) की प्रणाली कहा जाता है (कभी शब्दिम (lexeme) के नाम से प्रसिद्ध और व्याकरण नियम जो चिन्हों को प्रकलित करता है शब्द 'भाषा', भाषा के समान गुणधर्म को विचारार्थ करने में उपयोग होता है भाषा सीखने मानव बचपन में सामान्य है। अधिकतम मानविय भाषायें ध्वनि (sound) या भाव (gesture) का प्रयोग चिन्हों के लिए करते हैं जो अपने आस पास वालों से संचार में मदद देते हैं हजारों मानवीय भाषायें हैं और उन में कईं समानताएं हैं, हालांकि इन समानताओं में भी भिन्नता है
भाषा और बोली (dialect) के बीच कोई परिभाषित रेखा (no defined line) नहीं है, किंतु भाषा प्रवीण मेक्स वेंरेइच (Max Weinreich) को इस कहावत का श्रेय दिया जाता है कि भाषा एक सेना और एक नौसेना वाली एक बोली है (a language is a dialect with an army and a navy) निर्मित भाषा जैसे एस्पेरान्तो क्रमादेश भाषाएं और विभिन्न गणितीय रचना मानवीय भाषा के सांझे गुणों से सीमित नहीं हैं
संवाद दो या आधिक अस्तित्वों के बीच एक पारस्परिक (reciprocal)वार्तालाप (conversation) है शब्द का मूल पांडुरंग सम्बन्धी (युनानी (Greek) भाषा में διά(diá माने के द्वारा + + λόγος(लोगोस माने वाक्) अव्धार्नैयें जैसे अर्थ आद्यंत बहने की तरह) आवश्यक्तः यह नहीं दर्शाते जैसे मानव इस शब्द को प्रयोग में लाने लगे हैं, उपसर्ग διά(diá - के द्वारा) और δι- (di- दो) के बीच उलझन के कारण यह समझा जाने लगा की संवाद केवल दो पक्षों के बीच होता है
गैर मौखिक संचार, संचार की वह प्रक्रिया है जिस मैं शब्दों के प्रयोग के बिना संदेश (message) भेजा और प्राप्त किया जाता है। ऐसे संदेश भाव (gesture), शारीरिक भाषा (body language) अथ्वा मुद्रा (posture); चेहरे की अभिव्यक्ति (facial expression) और नेत्र संपर्क, वास्तु संचार जैसे पहनावा (clothing) केश सज्जा (hairstyles) अथवानिर्माण या चिन्ह और इन्फोग्राफिक्स - सूचना विज्ञान सम्बन्धी (infographics) वाक में अमौखिक तत्वों का समाविष्ट हो सकता है जिसे सम भाषा (paralanguage) आवाज की गुणवत्ता, भावनाओं और बोलने की शैली संयुक्त एवं छन्द शास्त्रीय सुविधाएँ जैसे ताल (rhythm) इन्तोनाशन (intonation) और प्रतिबल (stress) इसी तरह लिखित ग्रंथों में अमौखिक तत्व जैसे लिखावट की शैली, शब्दों की स्थानिक व्यवस्था, या भाव्व्यक्तिकारानाभिरूप (emoticons) का उपयोग अंग्रेज़ी शब्द 'इमोशन' (या एमोते) और 'आइकन' की खिचडी, 'एमोतिकों' एक चिन्ह या चिह्नों का समूह है जो लिखित या संदेश रुपी भावनात्मक अंतर्वस्तु को व्यक्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है
अपने कई रूपों में संचार मानवों (human) या नर वानर (primates) में सीमित नहीं है जीवधारीयों के बीच जानकारी के हर आदान प्रदान (information exchange) - माने सन्केत (signal) का प्रसारण जिस में एक भेजनेवाला (receiver) और एक प्राप्तकर्ता हो - उसे संचरण का एक रूप कहा जा सकता हैइस प्रकार जानवर संचार (animal communication) के एक व्यापक क्षेत्र है जो आचार शास्त्र (ethology) के मुद्दों को घेरता है और बुनियादी स्तर पर प्रारम्भिक जीवाणु जैसे जीवनुओ और पौधों (plant) में और फफूंद राज्यों के बीच कोशिका सन्केत (cell signaling) कोशिका संचारण (cellular communication) और रासायनिक संचार होता है यह सभी संचार प्रणालियाँ चिन्ह बीच बचाव वाले भिन्न प्रकार की अंतःक्रिया स्पष्ट तालमेल अपने कई रूपों में संचार मानवों (human) या नर वानर (primates) में सीमित नहीं है जीवधारीयों के बीच जानकारी के हर आदान प्रदान (information exchange) - माने सन्केत (signal) का प्रसारण जिस में एक भेजनेवाला (receiver) और एक प्राप्तकर्ता हो - उसे संचरण का एक रूप कहा जा सकता हैइस प्रकार जानवर संचार (animal communication) के एक व्यापक क्षेत्र है जो आचार शास्त्र (ethology) के मुद्दों को घेरता है और बुनियादी स्तर पर प्रारम्भिक जीवाणु जैसे जीवनुओ और पौधों (plant) में और फफूंद राज्यों के बीच कोशिका सन्केत (cell signaling) कोशिका संचारण (cellular communication) और रासायनिक संचार होता है यह सभी संचार प्रणालियाँ चिन्ह बीच बचाव वाले भिन्न प्रकार की अंतःक्रिया स्पष्ट तालमेल है
पशु संचार (Animal communication) एक पशु के उस किसी आचरण (behaviour) को कहते है जिस का प्रभाव दूसरे पशु के वर्त्तमान अथवा भविष्य आचरण को प्रभावित करता है मानव संचार को आवश्य ही पशु संचार का अत्यधिक विकसित रूप माना जा सका है पशु संचार के अध्ययन जिसे चिदिअघर शब्दार्थ विज्ञान या ज़ूसेमिओतिक्स ' कहते हैं, (अन्थ्रोसेमिओतिक्स (anthroposemiotics) मानव संचार से अलग) का आचार शास्त्र (ethology) सामजिक जीवविज्ञान (sociobiology) और पशु बोध (animal cognition) के विकास में एक विशाल योगदान है यह काफ़ी स्पष्ट है क्योंकि मानव पशुओं से वार्तालाप करने में सक्षम है, खासकर दोल्फिंस और अन्य पशु जो सर्कस में उपयोग होते है, किंतु इन पशुओं को संचार के ख़ास तरीके सीखने पढ़ते हैं पशु संचार और पशु राज्य को समझना तेज़ी से विकसित होता हुआ क्षेत्र है और 21vi सदी के भिन्न क्षेत्र जैसे निजी प्रतीकात्मक नाम (name) इस्तमाल पशु भावनाएँ (animal emotions) पशु सभ्यता (animal culture) और सीख (learning) और काम आचरण (sexual conduct) जिसे लंबे समय से सीखा हुआ माना जाता था उस में भी क्रांति (revolution) आयी है
पौधों में संचार पौध जीवधारी में ही पाया जाता है यानी संयंत्र कोशिकाओं (plant cells) में और संयंत्र कोशिकाएं एक् नस्ल ya अलग नस्ल और पौधों एवं गैर पौध जीव्धारिओं कोशिकाओँ, खासकर जड़ क्षेत्र में पौध जड़ें (Plant root) साथ साथ रिजोबिया (rhizobia) जीवाणु फफूंद और मिटटी (soil) के कीडों के साथ संवाद करते हैं इन समानांतर सदस्यता की जो वाक्यात्मक, व्यावहारिक और अर्थ के नियमों से संचालित अंतःक्रिया हैं वेह पौधों की विकेन्द्रीकृत "तंत्रिका तंत्र" की वजह से संभव हो रहे हैं। हाल ही के अनुसंधान दर्शाते हैं कि ९९% अन्तः अंग सम्बन्धी पौध संचारण तंत्रिका सम्बन्धी (neuronal) किस्म के होते हैं पौधे अस्थिरमति (volatile) द्वारा भी संचार करते है शाक्भोजी (herbivory) मामले में पड़ोसी पौधों को चेतावनी देने के लिए। साथ साथ वेह अन्य अस्थिरमति पैदा करते हैं जो दूसरे पर्जीविओं (parasites) पर हमला करते हैं तनाव (Stress) परिस्थितियों नें पौधे अपने आनुवंशिक कोड (genetic code) को अधिलेखित कर सकते हैं जो उन को अपने जन्म दाता से मिला और उन से पूर्व पीड़ी[3] से विनिमय कर सकते हैं।
फफूंद संवाद करती है अपनी बढ़त और अपने विकास के लिए जैसे की म्य्सलिया के गठन और सन्तानआत्रण निकाएं इसके अतिरिक्त कवक अपनी और संबंधित प्रजातियों के जीवाणुओं के साथ, तथा गैर फफूंद जीवाणुओं के साथ अनेक प्रकार के सहजीवी संचार करते हैं, ख़ास तौर से एक्कोशिक जीवनुओ (unicellular), एउकर्योतेस, पौधों और कीडों के साथ प्रयोग किए हुए सेमियो रसायन बिओटिक मूल के है और फफूंद जीवों को विशिष्ठ तौर से प्रक्रिया करने पर उकसाता है जबकि एक जैसे रासायनिक अनु बिओटिक संदेश का भाग न होते हुए फफूंद जीवाणु को प्रक्रिया करने पर नहीं उकसाते इस का अर्थ यह है कि फफूंद जीवाणु यह क्षमता रखते हैं कि एक प्रजाति के अणुओं में अन्तर बता सकें के वेह बिओटिक संदेश का हिस्सा हैं या इन में इस विशेषता की कमी है। अब तक पाँच प्राथमिक संकेत अनु जाने गए हैं जो विभिन्न व्यवहारवादी प्रतिरूप जैसे, तन्तुकरण (filamentation), सम्भोग (mating), बढ़त, रोगानुजनाकता (pathogenicity) को निर्देशांक करने में मद्दद करते हैं। व्यवहारवादी निर्देशांक और ऐसे तत्वों का निर्यात केवल निर्वाचन क्रिया के द्वारा हो सकता है, आत्म या गैर आत्म, अजैव सूचक, समान जैविक संदेश से संबंधित या गैर संबंधित प्रजातियों या शोर यानी समान अनु जैविक मूल
जीवाणुओं की विभिन्न प्रजातियों के बीच संचार क्रियाएँ होती है और जीवनुओ एवं गैर जीवाणु जीवों में भी जैसे एउकर्योतिका परिचारक अर्ध रासायन जो जीवाणुओं के विकास प्रतिक्रिया के लिए आवश्यक है, जैसे विभाजन, स्पोरुलेशन (sporulation), माध्यमिक मेताबोलितेस (metabolites) का विभाजन (synthesis), उन के नीचे बाह्य संपर्क बीच बचाव के प्रवृत्ति प्रतिरूप हैं जो बायोफिल्म (biofilm) व्यवस्थापन के लिए आवश्यक हैं संकेतन अणुओं के तीन श्रेणियां भिन्न उद्देश्यों के लिए हैं, यानी जीवाणु के भीतर संकेतन करने, पित्रैक अभिव्यक्ति नियामक करने, पर्याप्त अनुक्रिया प्रवृत्ति उत्पन्न करने, परस्पर अथवा सम्भंदित और भिन्न नस्ल के बीच संकेतन के लिए सर्वाधिक लोकप्रिय मेली आचरण "कोरम संवेदन (quorum sensing)" है। कुओरुम सेंसिंग एक पद है जो औसधि से सम्बंधित है जिसमे रासायनिक कण उत्पन्न होते हैं और जीवाणुओं द्बारा संचित किए जाते हैं। वेह जीवाणु समुदाय के माने जाते है और महत्वपूर्ण एकाग्रता और जनसँख्या घंतत्व के विशेष अनुपात पर निर्भर है यह जीवाणु पित्रैक प्रतिलेखन के अनेक प्रकारों की अभिव्यक्ति को बढ़ावा देते हैं
जीवाणुओं द्वारा उपयोग किए गए अर्ध रासायन भिन्न प्रकार के होते है, खासकर क्योंकि कुछ संकेत अणुकणिका बहु पुनर्चक्रण घटक होते हैं (क) पारस्परिक संचार, सक्रिय हस्ताक्षर, जो दोनों बातचीत भागों के लिए फायदेमंद है; (ख) संदेश जिन का निर्माण एक अनुक्रिया से हो जो प्राप्तकर्ता के लिए एक संकेत हो और निर्माता के लिए लक्षित ना हो एक आकस्मिक घटना जो तटस्थ है - उत्पादन की ऊर्जा लागत के अलावा - निर्माता के लिए किंतु प्राप्तकर्ता के लिए लाभदायक; (क) प्राप्ताकर्ता का धूरता से प्रबंध सिग्नल यानी एक आचरण अनुक्रिया उत्पन्नता जो एक तरफा निर्माता के लिए लाभदायक हो और प्राप्तकर्ता को नुक्सान दे और यूँ अक्सर अपने उद्दश्य के विपरीत व्यवहार करते हैं। जीवाणु संचारण के तीन वर्ग जीवाणुओं को व्यवहारवादी प्रतिरूप उत्पन्न और समकक्ष करने योग्य बनाते हैं :[4] आत्म और गैर आत्म पहचान यानी कॉलोनियों और उनके माप की शिनाख्त, फेरोमोंस पर आधारित सम्भोग प्रेमालाप, कॉलोनियों के ढांचों के संस्रूपन फलाहारी निकाय का फेरा फेर, विकास और वृद्धि प्रक्रियाओं का प्रवर्तन जैसे की स्पोरुलेशन[5]
स्वामी विवेकानंद गुरुकुल के विडियो के माद्यम से हिंदी में संचार को समजने के लिए यहाँ जाये -> https://web.archive.org/web/20131030191402/http://www.youtube.com/watch?v=-P7KThrGoeg
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