रोबॉटिक्सरोबॉट की अभिकल्पना, निर्माण और अभिप्रयोग के विज्ञान और तकनीकों को कहते हैं।[1] इस क्षेत्र में कार्य करने के लिये इलेक्ट्रॉनिकी, यान्त्रिकी और सॉफ्टवेयर के सिवाय कई अन्य क्षेत्रों में व्यावहारिक ज्ञान की आवश्यकता होती है।[2] हालाँकि रोबॉट के स्वरूप और क्षमताओं में काफी विविधता हैं पर इन सभी में कई समानताएँ भी हैं। उदाहरण के लिए यांत्रिक चलनशील ढाँचा और स्वनियंत्रण सभी में होता है। रोबॉट के ढाँचे की उपमा मानव अस्थिपंजर है और उसे शुद्ध-गति माला कहा जा सकता है। यह माला है इसकी हड्डियाँ, प्रवर्तक इसकी माँस पेशियाँ और जोड़, जो इसे एक या एक से अधिक स्वातंत्र्य परिमाण देते हैं। अधिकांश रोबॉट क्रमिक माला रूपी होते हैं, जिसमें एक कड़ी दूसरी से जुड़ती है - इन्हें क्रमिक रोबॉट कहते हैं और ये मानव हाथ के समान हैं। अन्य रोबॉट सामानांतर शुद्ध-गति मालाओं का प्रयोग करते हैं। जीव-यांत्रिकी के अंतर्गत मानव या अन्य जीवों की नकल कर ढाचों को बनाने पर अनुसन्धान चल रहा है। माला की अंतिम कड़ी किसी तरह की प्रवर्तक हो सकती है, जैसे एक यांत्रिक हाथ या वेल्डिंग मशीन।
रोबॉटिक्स शब्द का प्रयोग किसी भी प्रकाशन में सबसे पहले कार्ल कैपल ने अपने नाटक "rossum's universal robots मै 1950 मै किया था इसके बाद आइसेक एसिमोव ने अपनी लघुविज्ञान कथारनअराउण्ड में किया था, जो १९४२ में प्रकाशित हुई थी। उन्हे इस बात का अन्देशा नहीं था कि विज्ञान कथा लेखक कारेल कापैक, रोबॉट शब्द को पहले ही गढ़ चुके थे।[3]
इस नाम के गढ़ने से पहले भी इस क्षेत्र में सदियों से रुचि रही है। इलियाड में सोने की सुन्दरियों को बनाने का जि़क्र है।[4] रोबॉटी कबूतरों की कल्पना ईसा से ४०० साल पहले की गयी थी।[5] रोबॉटों का आज ओद्योगिक, सैनिक, अन्वेषण, धरेलू, आध्यात्मिक और अनुसन्धानिक क्षेत्रों में उपयोग किया जा रहा है।[6]
प्रवर्तक
प्रवर्तक रोबॉट के पेशियों समान होती हैं, जो चालन क्षमता प्रदान करती हैं। आम तौर पर विद्युत मोटर का प्रयोग होता है, पर अन्य संचालन शक्तियों का प्रयोग किया जा रहा है।
दिष्ट धारामोटर: अधिकतम रोबॉटों में दिष्ट धारा, या डीसी, मोटरों का प्रयोग होता है। इन मोटरों की खासियत यह है कि ये बडी आसानी से मिल जातीं हैं, इनका प्रयोग आसान है, दोनो दिशा में चलती हैं और काफी जल्दी तेजी पकडतीं हैं।
चरणशः मोटर: दिष्ट धारा मोटरों की तुलना में चरणशः (स्टेप्पर) मोटर स्वतंत्रतापूर्वक ना चलकर, कदमों में धूमती हैं। इसका फायदा यह है कि नियंत्रण सूक्ष्म और पूर्वानुमेय होता है; संकेत की ज़रूरत नहीं पडती कोणीय स्थिति को जानने के लिये। इसलिये इनका प्रयोग अनेक रोबॉटों और सीएनसी मशीनों में होता है।
पीज़ो मोटर: इन मोटरों को पारस्वनिक मोटर भी कहते हैं। इनका चालन क्षण में हजारों बार पीज़ोविद्युत सूक्ष्म "पैरों" के कंपन से होता है। ये मोटर सीधे या गोलाकार दिशा में चल सकती हैं।[7] इनकी खासियत है कि ये नैनोमीटर स्तर पर नियंत्रण, गति और अपने माप के लिये अत्यंत शक्तिशाली होतें हैं।[8] इन मोटरों का प्रयोग हो रहा है और वाणिज्यिक स्तर पर निर्माण भी चल रहा है।[9][10]
मक्किबन कृत्रिम पेशी: हवा के दबाव से यह सरल, किंतु सशक्त, यंत्र, खिंचने और फैलाने की क्रियाओं से रोबॉट की अस्तियों को चलाने का काम करता है। चूंकि यह जीवों के पेशियों से बहुत समरूप व्यवहार को दर्शाता है, इनका प्रयोग रोबॉट बनाने में किया जा रहा है।[11] उदाहरण के लिये, शैडो रोबॉट के हाथ में ४० हवाई पेशियां उसके २४ जोडों को चलातीं हैं।
विद्युत-सक्रिय बहुलक: विद्युत शक्ति के लगाने से प्लास्टिक के कुछ वर्ण अपने आकार को बदलने की प्रवृति रखते हैं।[12] हालांकि इनमें क्षमता है मुडने, खचने और सुकुडने की, ये ना तो कार्यक्षम हैं ना ही पुष्ट - इसलिये इनका प्रयोग नहीं हो पा रहा है।[13] इस पदार्थ से बने रोबॉटों के साथ भुजा कुश्ती में १७ साल की लडकी ने विजय पायी![14] उम्मीद है कि भविश्य में सूष्म रोबॉटी अनुप्रयोगों में इनका इस्तमाल होगा।[15]
नैनोनली पर अनुसंधान प्राथमिक स्तर पर है। इनके लचीलेपन का राज़ इनके तकरीबन त्रुटी रहित रहना। इनसे बनी पेशियाँ इनसानी पेशियों से अधिक सशक्त होंगी।[16]
दक्षप्रयोग
व्यावहारिक कार्य सक्षमता के लिये रोबॉटों को वस्तुओं को उठाने, उन्हे सुधारने या नष्ट करने के लिये 'हाथों' की जरूरत पडती है। ये हाथ अकसर आखरी कड़ी होतीं हैं, जिन्हें अन्त परिवर्तक (end effectors) कहा जाता है[17], रोबॉटी बाजुओं पर लगती हैं।[18] अधिकांश तौर पर ये रोबॉटी हाथ पृथकानुकूल होती हैं ताकी कार्यानुसार इन्हे बदला जा सके।
पकड: रोबॉटों में पकड (gripper) का प्रयोग सामान्य तौर पर होता है। सबसे सरल स्वरूप में इसमे सिर्फ दो उंगलियाँ होती हैं, जिसका प्रयोग छौटे वस्तुओं को उठाने के लिये किया जाता है।
निर्वात-पकड: बड़े वस्तुओं को उठाने के लिये, जब तक की उनकी सतह चिकनी हो (जैसे की कार का हवारोधी शीशा), निर्वात-पकडों का प्रयोग किया जाता है।
सामान्य प्रयोजन पकड: कुछ आधूनिक रोबॉटों ने तकरीबन इन्सानी हाथ की दक्शता पा ली है, जैसे कि 'शैडो हैंड' (Shadow Hand) और 'शंक हैंड' (Schunk hand)।[19] इनकी खासियत यह है कि इनमें २० तक स्वातंत्र्य परिमाण और सैकडों स्पर्ष-संकेतक होते हैं[20], जिनका नियंत्रण अत्यंत कठिन होता है क्योंकि कंप्यूटर को अत्यधिक विकल्पों से सही विकल्प ढूंढना होता है।[21].
चलनशीलता
रोबॉटों की चलनशीलता के लिये पहियों वाले और पैरों वाले रोबॉटो का निर्माण हुआ है।
पहियेदार रोबॉट
चार या उससे अधिक पहिये: नासा ने बेहतरीन उदाहरण दिखाया दुनिया को मंगल पर भेजे मार्स रोवर के रूप में।
दोपहिया रोबॉट: हालांकि सैग्वे एक रोबॉट नहीं है, कई रोबॉटों में इसके गतिक संतुलन कलनविधि का प्रयोग हुआ है। सैग्वे का नासा नें रोबोनॉट में प्रयोग किया है।[22]
बॉलबॉट: कार्नेगी मैलन विश्वविद्यालय के अनुसन्धान करताओं ने रोबॉटों के चालन के लिये पहियों की जगह एक गेंद का प्रयोग किया है। इनकी खासियत यह है कि छोटे सीमित जगहों में भी इन्हे घुमा सकते हैं।[23]
पटरियाँ: नासा का रोबॉट, अरबी, जो पटरियों पर चलता है।[24]
चलते रोबॉट
चलना क्रमादेशिकरण में सबसे कठिन और गत्यात्मक समस्य
पारस्पर मानवीय व्यवहार
रोबॉटों का प्रभावी प्रयोग घरेलु और औध्योगिक परिप्रदेश में होने के लिये यह जरूरी है कि वे इन्सानों से प्रभावकारी रूप में अंत:संचार कर सकें। वे लोग जो इन रोबॉटों के साथ काम करेंगे, उन्हे इस बात से आसानी होगी की ये रोबॉट उनकी भाषा में बोले, उनकी परेशानियों को चेहरा देखकर समझ सकें। विज्ञान साहित्य में रोबॉट भाषा, मुख भाव को बडी सहजता से प्रस्तुत करतें हैं, पर वास्तविकता यह है कि इन क्षेत्रों में अभी बहुत दूर जाना बाकी है।
वाक अभिज्ञान: किसी मनुष्य के वचनों की धारा को सद्य अनुक्रिया समझ पाना क्म्प्यूटर के लिये अत्यधिक कठिन है, क्योंकि इसमें कई तरह के घटबढ़ देखे जाते हैं, जैसे कि अर्थवतता, शब्द का उच्चारण, ध्वनि की प्रबलता, पास पडोस के ध्वनिकता, वक्ता का मिजाज या तबियत (सर्दी तो नहीं लगी), इत्यादि।[25] आज, डेविस, बिड्डुल्फ और बालाशेक के १९५२ में बनायी वाक अभिज्ञान प्रणाली, जिसमें १ से १० तक की बोली को १००% परिशुद्धता से पहचानने की क्षमता थी, की तुलना में दुनिया काफी आगे जा चुकी है।[26] सर्वोत्तम प्रणालियों में १६० शब्द प्रति मिनट से अधिक की परिशुद्धता को पाया गया है।[27]
भाव संकेत: अगर किसी रोबॉटी पुलिस अफसर से रास्ता पूछा जाये, तो शब्दों की बजाय हाथों के संकेत से ज्यादा आसानी से रास्ता बताया जा सकता है।[28] ऐसी कई प्रणालियों का विकास किया जा चुका है।[29]
मुख भाव: मुख भाव का इन्सानी सम्पर्क में महत्वपूर्ण है और इसे रोबॉटी सम्पर्क के लिये भी विकसित किया जा रहा है। एक तरफ रोबॉट का अपनें चेहरे पर मनोभावों को व्यक्त करना (जैसे कि किस्मेट[30]), दूसरी तरफ इन्सानों के मनोभावों को समझना, दोनों ही उप्योगी हैं।
व्यक्तित्व: विज्ञान साहित्य में कई रोबॉटों को मानविक तौर पर व्यक्तित्व के प्रदर्शन करते हुऐ दिखाया जाता है। ये और बात है कि ऐसे रोबॉटों की वांछनीयता पर विवाद है।[31] फिर भी, ऐसे रोबॉटों पर अनुसन्धान चल रहा है।[32][33] प्लियो, जो एक रोबॉटी खिलौना है, कई तरह के मनोभावों को प्रतर्शित कर सकता है।[34]
रोबॉट के यांत्रिक ढांचे को चलानें के लिये तीन पृथक विभागों पर ध्यान दिया जाता है - प्रत्यक्ष ज्ञान, प्रक्रमण और क्रिया। संकेतों की सहायता से रोबॉट अपने आस-पास की जानकारी और अपने ही जोडों की स्थिति को हासिल करता है। नियंत्रण नीति के कार्यनीतियों के प्रयोग से, अब प्रवर्तकों को सही दिशा में घुमाया जाता है। रोबॉट के अंगों को घुमाने के लिये पथ नियोजन, प्रतिरूप अभिज्ञान, बाधा परिवर्जन जैसी तकनीकों का प्रयोग होता है। और भी जटिल और अनुकूलनशील नियंत्रण को कृत्रिम बुद्धि कहा जा सकता है।
रोबोटिक कोर्स में विद्यार्थी निमं क्षेत्र के बारे में अधयन्न करते है। .
1-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या कृत्रिम बुद्धिमत्ता
2-कंप्यूटर इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग
3-कंप्यूटेशनल जिओमेट्री
4-रोबोट मोशन प्लानिंग
5-डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड माइक्रा-प्रोसेसर
6-रोबोट मैनिपुलेटोर
"बीबीसी समाचार". मूल से 14 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 अगस्त 2007.पाठ "Artificial intelligence" की उपेक्षा की गयी (मदद); पाठ "In Depth" की उपेक्षा की गयी (मदद); पाठ "Timeline: Real robots" की उपेक्षा की गयी (मदद)
John D. Madden, 2007, चलित रोबॉटें: मोटर चुनौतियाँ और पदार्थों से उपाय, Science 16 नवम्बर 2007:Vol. 318. no. 5853, pp. 1094 - 1097, DOI: 10.1126/science.1146351
Crane, Carl D. (1998-03). रोबॉटी बाजुओं का शुद्ध-गति विश्लेषण. Cambridge University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰0521570638. मूल से 13 दिसंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 अक्टूबर 2007.नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
Carnegie Mellon(9 अगस्त 2006).कार्नेगी मैलन विश्वविद्यालय के अनुसन्धान करताओं ने रोबॉटों के चालन के लिये पहियों की जगह एक गेंद का प्रयोग किया.प्रेस रिलीज़.Archived from the original on 9 जून 2007.http://www.cmu.edu/PR/releases06/060809_ballbot.html.अभिगमन तिथि: 2 फ़रवरी 2008.