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रैनर ज़िटलमैन एक जर्मन इतिहासकार, समाजशास्त्री और उद्यमी हैं।
रैनर ज़िटलमैन का जन्म वर्ष 1957 में जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में हुआ था। उनके पिता का नाम अर्नल्फ ज़िटलमैन था जो एक लेखक और धर्मशास्त्र के विद्वान थे। स्कूल के दिनों में रैनर माओवादी हुआ करते थे।[1] वर्ष 1978 से 1986 तक उन्होंने टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डार्मस्टा(ड्)ट से इतिहास और राजनीति विज्ञान की शिक्षा प्राप्त की। (यहीं पर वर्ष 1983 में वे अपने पहले राज्य स्तरीय परीक्षा में शामिल हुए और ‘डिस्टिंक्शन’ ग्रेड हासिल किया)। इसके बाद 1987 में, उन्होंने पोस्टग्रेजुएट टीचिंग में दूसरी राज्य स्तरीय परीक्षा ‘डिस्टिंक्शन’ के साथ ही उत्तीर्ण की। वर्ष 1986 में ज़िटलमैन ने टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डार्मस्ट(ड्)ट से ग्रेजुएशन किया और प्रोफेसर कार्ल ओटमर वॉन अरेटिन के सुपरविज़न में उन्हें डॉ. फिल. (सुम्मा कम लाऊडे) की उपाधि से सम्मानित किया गया। उनका डिज़र्टेशन (शोध प्रबंध) एक किताब (जर्मनः हिटलर. सेल्बस्टवरस्टैंडनिस आयनिस रेवोल्यूशनर्स; इंग्लिशः हिटलर्स नेशनल सोशलिज़्म) के रूप में प्रकाशित हुआ। वर्ष 1987 से 1992 के दौरान ज़िटलमैन ने फ्री यूनिवर्सिटी ऑफ बर्लिन में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर काम किया। वर्ष 1992 से 1993 तक उन्होंने साहित्य संपादक और एक्जिक्युटिव बोर्ड के सदस्य के तौर पर उलस्टेन अंड प्रोपिलेन पब्लिशिंग हाऊस में काम किया जो उस समय का जर्मनी का तीसरा सबसे बड़ा पब्लिशिंग हाऊस था। फिर वह प्रमुख जर्मन दैनिक समाचार पत्र, डाई वेल्ट में चले गए, जहां उन्होंने अखबार के रियल एस्टेट अनुभाग के प्रमुख बनने से पहले कई विभागों का नेतृत्व किया।[2] वर्ष 2000 में, उन्होंने Dr.ZitelmannPB.GmbH की स्थापना की, जिसे उन्होंने जर्मन रियल एस्टेट उद्योग के लिए अग्रणी कम्युनिकेशन कंसल्टेंसी के रूप में स्थापित किया। वर्ष 2016 में, उन्होंने कंपनी को मैनेजमेंट बायआउट में बेच दिया। ज़िटलमैन एक सफल रियल एस्टेट निवेशक रहे हैं। वर्ष 1999 से 2009 तक उन्होंने आवासीय किराये की संपत्तियां बहुत सस्ते में खरीदीं और उनमें से अधिकांश को 2015 के बाद बेच दिया। इन निवेशों के फलस्वरूप उन्हें काफी लाभ प्राप्त हुआ और वे धनी हो गए।2 वर्ष 2016 में, यूनिवर्सिटी ऑफ पॉट्सडैम के अर्थशास्त्र और सामाजिक विज्ञान संकाय के प्रोफेसर वोल्फगैंग लॉटरबैक के सुपरविज़न में, ज़िटलमैन ने सुपर-रिच के मनोविज्ञान पर अपने डिज़र्टेशन (शोध प्रबंध) के लिए दूसरा डॉक्टरेट प्राप्त किया और उन्हें डॉ. रेर. पॉल (मैग्ना कम लाऊडे) की उपाधि से सम्मानित किया गया। वर्ष 2018 में उनका अध्ययन अंग्रेजी में द वेल्थ एलीट के नाम से प्रकाशित हुआ था। ज़िटलमैन कई प्रमुख यूरोपीय और अमेरिकी मीडिया आउटलेट्स के लिए लिखते हैं, जिनमें डाई वेल्ट, एफएजेड, फोकस (जर्मनी), न्यू ज़ुर्कर ज़ितुंग (स्विट्जरलैंड), सिटी एएम (यूके), फोर्ब्स, वाशिंगटन एक्जामिनर, नेशनल इंटरेस्ट (यूएसए), लिंकिएस्टा (इटली), ले प्वाइंट (फ्रांस) जैसे समाचार पत्र शामिल हैं। उनके कार्य मुख्य रूप से पूंजीवाद की रक्षा और धन अनुसंधान से जुड़े विषयों पर केंद्रित है।
अपने पहले डिज़र्टेशन (शोध प्रबंध) में ज़िटलमैन ने हिटलर की अवधारणाओं और उद्देश्यों, विशेष रूप से उनकी सामाजिक, आर्थिक और घरेलू नीतियों के पुनर्निर्माण के लिए व्यापक स्रोतों की एक विस्तृत श्रृंखला का विश्लेषण किया। ज़िटलमैन के शोध की एक खोज यह थी कि हिटलर ने सामाजिक और आर्थिक नीति के मुद्दों पर अत्यंत गहराई से विचार किया था और यह साबित कर दिया कि पूंजीवाद विरोधी और सामाजिक-क्रांतिकारी उद्देश्यों ने पहले की तुलना में उसके वैश्विक दृष्टिकोण में एक बड़ी भूमिका निभाई थी और हिटलर खुद को एक क्रांतिकारी के रूप में देखा करता था। कई अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में इस पुस्तक की समीक्षा की गई।[3] जर्नल ऑफ मॉडर्न हिस्ट्री में, क्लेमेंस वॉन क्लेम्परर ने लिखा: "ज़िटलमैन ने नैतिक निर्णयों से दूर रहने का संकल्प लिया है; लेकिन उनकी सतर्क और जिम्मेदार विद्वता अधिक जोर से बोलती है। उनकी किताब एडॉल्फ हिटलर के संबंध में हमारी समझ में एक मील का पत्थर स्थापित करती है।”[4] अपने डिज़र्टेशन (शोध प्रबंध) के प्रकाशन के बाद, ज़िटलमैन ने बीसवीं शताब्दी में जर्मनी के इतिहास पर पुस्तकों की एक श्रृंखला प्रकाशित करने का काम शुरू किया।
वर्ष 2017 में, दसियों और सैकड़ों मिलियन की संपत्ति वाले अल्ट्रा-हाई-नेट-वर्थ व्यक्तियों पर ज़िटलमैन का अध्ययन द वेल्थ एलीट: ए ग्राउंडब्रेकिंग स्टडी ऑफ़ द साइकोलॉजी ऑफ़ द सुपर-रिच के रूप में प्रकाशित हुआ था। यह पुस्तक 45 धनी व्यक्तियों के गहन साक्षात्कार पर आधारित थी। अध्ययन ने एक गुणात्मक सामाजिक विज्ञान के अध्ययन का रूप ले लिया, क्योंकि सुपर-रिच पर मात्रात्मक अध्ययन के लिए आवश्यकता के अनुरूप बड़ा प्रतिनिधि समूह नहीं हैं। अध्ययन में शामिल अधिकांश साक्षात्कारकर्ता सेल्फ मेड मल्टीमिलिनियर्स (स्व-निर्मित बहु-करोड़पति) थे। अध्ययन से पता चलता है कि सुपर-रिच लोगों का एक बड़ा हिस्सा बहुत पहले से ही यानी अपने स्कूल और/या विश्वविद्यालय के दिनों से ही उद्यमशीलता की गतिविधियों में शामिल हो गया था। धन की जो मात्रा उन्होंने हासिल की थी उसमें उनकी शैक्षिक उपलब्धियों ने कोई निर्णायक भूमिका नहीं निभाई थी: साक्षात्कारकर्ताओं के ऊपरी चतुर्थक (क्वर्टाइल) में निचले चतुर्थक (क्वर्टाइल) की तुलना में ऐसे सदस्यों की संख्या अधिक थी जिनके पास यूनिवर्सिटी की डिग्री नहीं थी। ज़िटलमैन के साक्षात्कार में शामिल सुपर-रिच व्यक्तियों में फैसला लेने की प्रक्रिया के दौरान विश्लेषण द्वारा निर्देशित होने के बजाय सहज रूप से कार्य करने की प्रवृत्ति थी। अध्ययन में पाया गया कि जिस अंतर्निहित ज्ञान को अंतर्निहित परिणामों के तौर पर हासिल किया गया - प्रायः अनौपचारिक था - सीखने के अनुभवों ने शैक्षिक ज्ञान से कहीं अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सभी साक्षात्कारकर्ताओं ने एक बिग फाइव पर्सनालिटी टेस्ट को पूरा किया। इससे इस बात का खुलासा हुआ कि विशेष रूप से मजबूत लक्षण कर्तव्यनिष्ठा थी जबकि विक्षिप्तता विशेष रूप से कमजोर लक्षण। बहिर्मुखता और नए अनुभवों के प्रति खुलापन भी स्पष्ट लक्षण थे। यह पिछले शोध के निष्कर्षों के अनुरूप है। इसके विपरीत, अनुसंधान ने अब तक सुपर-रिच की वित्तीय सफलता में बिक्री कौशल की भूमिका को कम करके आंका है। साक्षात्कारकर्ताओं ने स्वयं बिक्री कौशल के महत्व को अत्यधिक महत्व दिया। अधिकांश धनी साक्षात्कारकर्ताओं ने तमाम असफलताओं और संकटों पर विजय पाते हुए पैसा कमाया - और साक्षात्कारों से यह भी सामने आया कि हार और असफलताओं से निपटने के तरीकों में कई प्रकार की समानताएं हैं। अध्ययन के प्रमुख निष्कर्षों में से एक निष्कर्ष यह है कि कई स्व-निर्मित लोग गैर-अनुरूपतावादी हैं जो बार-बार प्रचलित राय वाली लहर के खिलाफ तैरते रहे हैं और प्रतिकूल हालातों में भी धन कमाने में सक्षम हैं। इस अध्ययन ने दुनिया भर के लोगों का ध्यान आकर्षित किया और यह कई भाषाओं में प्रकाशित हुआ। फाइनेंसियल टाइम्स ने लिखा है कि “रैनर ज़िटलमैन का सुपर-रिच की मनोवृतियों से संबंधित अध्ययन एक महत्वकांक्षी परियोजना है। कुछ इतिहासकार, समाजशास्त्री, पत्रकार, व्यवसायी और निवेशक डॉ. ज़िटेलमैन की तुलना में इसके लिए बेहतर योग्य हो सकते हैं। इस संदर्भ में कोई तुलनात्मक अध्ययन नहीं हुआ है और यह उन सभी के लिए एक रूचिकर पाठ्यसामग्री है, जिन्हें अमीर उद्यमियों की विशेषताओं और प्रेरणाओं को समझने की आवश्यकता है। ये लोग आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं, नवाचार को सहारा देते हैं, रोजगार सृजित करते हैं और परोपकारी परियोजनाओं को वित्तपोषित करते हैं। तो ऐसे अध्ययन के लिए पहले कभी प्रयास क्यों नहीं किया गया? इन लोगों तक पहुंचना और सार्थक प्रतिक्रिया उत्पन्न करने वाली प्रश्नावली को डिजाइन करना कठिन है।”[5]
2020 में ज़िटलमैन की पुस्तक द रिच इन पब्लिक ओपिनियन का प्रकाशन हुआ, जिसमें ज़िटलमैन इस तथ्य की आलोचना करते हैं कि अकादमिक पूर्वाग्रह अनुसंधान ने अब तक धनी लोगों - एक विशेष प्रकार के अल्पसंख्यकों - के खिलाफ पूर्वाग्रह का पता लगाने की उपेक्षा की है।[6] उनकी पुस्तक जर्मनी, संयुक्त राज्य अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस में एलेंसबैक इंस्टीट्यूट और इप्सोस मोरी द्वारा किए गए एक अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण पर आधारित है। इस सर्वेक्षण के आधार पर, उत्तरदाताओं को तीन समूहों में बांटा गया: "सामाजिक ईर्ष्यालु," "गैर-ईर्ष्यालु" और "उभयवादी (अस्पष्ट)।" ज़िटलमैन का सामाजिक ईर्ष्या गुणांक किसी दिये गए देश के सामाजिक ईर्ष्यालुओं और गैर-ईर्ष्यालुओं के अनुपात की गणना को इंगित करता है। 1.0 का मान सामाजिक ईर्ष्यालु और गैर-ईर्ष्या करने वालों की समान संख्या को इंगित करता है। 1.0 से कम का मान इंगित करता है कि ईर्ष्या न करने वालों की संख्या सामाजिक ईर्ष्यालुओं की संख्या से अधिक है। इस प्रकार, फ्रांस में 1.26 के मान के साथ सामाजिक ईर्ष्यालुओं की संख्या सबसे अधिक है, इसके बाद जर्मनी का स्थान आता है जिसका मान 0.97 है। संयुक्त राज्य अमेरिका (0.42) और ग्रेट ब्रिटेन (0.37) मान के साथ सबसे कम सामाजिक ईर्ष्यालुओं वाले देश हैं। सामाजिक ईर्ष्यालुओं और गैर ईर्ष्यालुओं के द्वारा दर्जनों अन्य मदों वाले सर्वेक्षणों में उपलब्ध कराए गए भिन्नता से युक्त स्पष्ट प्रतिक्रियाओं में इन तीनों समूहों को अलग करने की सटीकता को सर्व प्रमुख देखा जा सकता है। अपने अध्ययन के प्रकाशन के बाद, ज़िटलमैन ने अन्य देशों में और सर्वेक्षण किए और वर्ष 2021 में इकोनॉमिक अफेयर्स के लिए लिखे “एटिट्यूड्स टू वेल्थ इन सेवेन कंट्रीज़ः द सोशल एन्वी कोएफिसियेंट एंड द रिच सेंटिमेंट इन्डेक्स” लेख में प्रकाशित किया।”[7]
ज़िटलमैन द्वारा लिखित कुल 26 किताबों का प्रकाशन हो चुका है।
निम्नलिखित किताबें अंग्रेजी में उपलब्ध हैं
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