बाढ़, बिहार
बिहार में गंगा नदी के तट पर बसा एक शहर । विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
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बाढ़ (Barh) भारत के बिहार राज्य के पटना ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2]
बाढ़ Barh | |
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बाढ़ रेलवे स्टेशन | |
निर्देशांक: 25.48°N 85.72°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | बिहार |
ज़िला | पटना ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 61,470 |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी, मगही |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
बाढ़ शब्द का उच्चारन- "अमरकोश" दृढ, मजबूत और ऊंचे स्वर वाले के लिए बाढ़ शब्द काम में लेता है। "मुद्राराक्षस" के अनुसार- यकीनन, निश्चय और अवश्य के अर्थ में भी बाढ शब्द का प्रयोग होता है। नाटक में बहुत अच्छा, तथास्तु, हां और अत्यन्त शुभ के अर्थ में बाढ़ शब्द का प्रयोग देखा जा सकता है। "शिशुपाल वध" में इस शब्द के सुन्दर प्रयोग दिखाई देते हैं।
बाढ़ शहर के एक छोड़ पर एक शिव जी के मन्दिर हैं, जो ऊमा नाथ के नाम से प्रसिद्ध है। यह मन्दिर सात-आठ सौ साल पुरानी है। इस मन्दिर में लगी एक मूर्ति वैशाली ज़िला संग्रहालय में रखी उस मूर्ति से मिलती है जो सात सौ से आठ सौ साल पुरानी बताई जाती है। बाढ़ शहर के मध्य मे एक दुर्गा मन्दिर है। इस मन्दिर के बारे में लोगों का मानना है कि जो औरत सच्चे मन से यहाँ पूत्र की इच्छा लेकर आती है, माँ उसकी गोद भर देती हैं। ये मंदिर भी लगभग १५० से २०० साल पुरानी बताई जाती है, जिसका पुनरुद्धार स्थानीय लोगों द्वारा कुछेक वर्ष पूर्व में किया गया था। एक और प्राचीन मंदिर अलख नाथ है, ये भी गंगा तट पर बसा हुआ एक शिव मंदिर है। और भी कई मंदिर हैं जो कि महत्वपूर्ण एवं दर्शनीय हैं।
यहाँ के सीढ़ी घाट में एक नवनिर्मित शनि मंदिर है। ये मंदिर पूरे भारत वर्ष में अनोखा है। इसका निर्माण शानियंत्र के अनुसार किया गया है।[उद्धरण चाहिए]
मुगल और ब्रिटिश काल में भी बाढ़ पटना का एक प्रमुख व्यापारिक उपग्रह शहर रहा है। यह पटना और कोलकाता में नदी व्यापार के बीच एक मध्यवर्ती शहर था। यूरोपीय आगंतुकों और इस्लामी इतिहासकारों के ऐतिहासिक इतिहास द्वारा बाढ़ के कई संदर्भ मिले थे।
1928 में, बेरहना गाँव की एक युवा विधवा, सम्पति कुएर ने अपने मृत पति के अंतिम संस्कार की चिता पर सती हुई। ब्रिटिश सरकार ने गुंडागर्दी पर संदेह किया और 10 लोगों को जेल भेज दिया, जिसमें उनके भाई मुरलीधर पांडे भी शामिल थे, क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने 100 साल पहले सती प्रथा का बहिष्कार किया था। हालांकि, ग्रामीणों ने इस घटना को चमत्कारी के रूप में देखा और बाढ़ में उमानाथ मंदिर में सती स्थल नामक एक विशेष पूजा स्थल के रूप में मनाया जाता है।
1495 में, पटना के बर्खास्त होने के बाद, सिकंदर लोदी बंगाल की ओर बढ़ा, लेकिन दिल्ली और बंगाल सेनाओं के बीच एक गैर-आक्रामक समझौता किया गया । यह तय किया गया था कि बाढ़ के पूर्व का क्षेत्र बंगाल के शासक द्वारा नियंत्रित किया जाएगा, जबकि पश्चिम में स्थित दिल्ली साम्राज्य द्वारा नियंत्रित किया जाएगा ।
नमक के व्यापार के लिए बाढ़ महत्वपूर्ण पारगमन बिंदु था, जिसका व्यापक रूप से विस्फोटकों, कांच बनाने, और उर्वरकों में उपयोग किया जाता था। बाढ़ को इसके उच्च गुणवत्ता वाले चमेली के तेल के निर्यात के लिए भी जाना जाता है।
गुरु तेग बहादुर 1666 में पूर्वी जिलों के अपने दौरे के दौरान बाढ़ में रुके थे, जबकि चूना खारी मोहल्ला स्थित बारी संगत में असम गए थे। 1934 के भूकंप में इमारत को नष्ट कर दिया गया था, लेकिन नानक पंथी उदासीन मठ से संबंधित एक पुराना कुआं और पुजारी खुले स्थान पर कायम हैं। देशी सिखों के लिए तिराहा चौक के पास बालीपुर मोहल्ले, पिपल ताल में तख्त हरिमंदर साहिब द्वारा बाढ़ में एक छोटा सा गुरुद्वारा स्थापित किया गया था।
1748 में, अलीवर्दी खान (बंगाल की सेना के नवाब) ने बाढ़ में डेरा डाला और बंगाल के मराठा आक्रमण के दौरान पटना को बर्खास्त करने के बाद बख्तियारपुर के निकट काला दियारा में मराठों (मीर हबीब के अधीन) को हरा दिया।
10 नवंबर 1877 को बाढ़ रेलवे स्टेशन को जनता के लिए खोल दिया गया ।
बाढ़ दक्षिण बिहार में स्थित है। गंगा नदी इसकी सीमा को समस्तीपुर से अलग करती है। इसके पूर्व में लखीसराय जिला, पश्चिम में पटना शहर, उत्तर में गंगा नदी एवं समस्तीपुर तथा दक्षिण में नालंदा एवं बरबीघा है। यहाँ की मिट्टी दलहन के लिए उपयुक्त है। यहाँ हर तरह की फसल उगाई जाती है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था जहाँ मुख्य रूप से कृषि एवं सब्जी के खेती पर निर्भर है। वहीं शहरी लोग मुख्यतः नौकरी पेशे में हैं। ४०० वर्ग किलोमीटर में फैला टाल क्षेत्र से केवल एक फसल मिलने के बावजूद यहाँ के किसान काफी संपन्न होते हैं।
एनटीपीसी लिमिटेड भारत की सबसे बड़ी बिजली बनाने वाली कंपनी है। भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 6 मार्च 1999 को NTPC बाढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन के स्टेज 1 के मुख्य संयंत्र की आधारशिला रखी।
यातायात के दृष्टिकोण से बाढ़ रेल एवं सड़क दोनों मार्गों से जुड़ा हुआ है। रेलमार्ग भी काफ़ी उपयोगी है और दिल्ली हावड़ा मुख्य लाइन पर है। ज्यादातर लोग यात्रा के लिए रेल मार्ग का उपयोग करना बेहतर समझते हैं। अभी एक नया सड़क मार्ग निर्माणाधीन है जो की अथमलगोला के नजदीक जमालपुर के पास से सीधा गंगा के ऊपर से होते हुए महनार (वैशाली) को जोड़ेगी। इससे भी लोगों को बहुत फायदा होगा। यहाँ से एक सड़क थाना के नजदीक से शुरू होकर बरबीघा तक जाती है। राष्ट्रीय राजमार्ग 31 स्टेशन से शुरू होकर नदवा, सकसोहरा होते हुए हरनौत होते हुए फतुहा में मिलती है।
बिहार के अन्य भागों की तरह यहां भी दाल-चावल और रोटी-सब्जी मुख्य रूप से खाये जाते है। ताल क्षेत्र होने के कारण दलहन और सत्तु से जुड़ी खाद्य-पदार्थो कि प्रधानता है। दाल के पराठे (दलपुरी), लिट्टी-चोखा लोग शौक़ से खाते हैं। यहाँ की मिठाई "लाइ" आस पास के इलाक़ो में काफ़ी प्रसिद्ध है।
यह एक शांत स्थान है जहाँ सभी धर्म के लोग मिल-जुलकर रहते हैं। यह राजपूत बाहुल्य क्षेत्र है और इसे चित्तौड़गढ़ के नाम से भी जाना जाता है ।
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