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स्वर्गपक्षी या बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ पासरीफ़ोर्मीज़ (Passeriformes) गण के पैराडाएसियेडाए (Paradisaeidae) कुल के सदस्य हैं। इस जाति की अधिकांश जातियाँ न्यू गिनी के द्वीप और इसके समीपी क्षेत्रों में पाई जाती हैं, तथा कुछ प्रजातियाँ मोलुक्कास और पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती हैं। इस जाति की 13 श्रेणियों में 40 प्रजातियां हैं। अधिकांश प्रजातियों में नरों के पंखों के कारण इस जाति के सदस्य प्रसिद्ध हैं, ये पंख विशेष रूप से अत्यधिक लंबे होते हैं तथा चोंच, डैनों एवं सिर पर फैले हुए परों के रूप में होते हैं। इनकी अधिकांश संख्या घने वर्षावनों तक ही सीमित हैं। सभी प्रजातियों का प्रमुख आहार फल तथा कुछ हद तक कीड़े मकोड़े हैं। बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ पक्षियों में प्रजनन की विभिन्न प्रणालियां हैं जो एक मादा से लेकर सामूहिक रूप से कई मादाओं पर आधारित होती है।
न्यू गिनी के निवासियों के लिए इस जाति का सांस्कृतिक महत्व है। बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ की खालों तथा पंखों का व्यापार दो हज़ार साल पुराना है, तथा पश्चिमी संग्रहकर्ताओं, पक्षी वैज्ञानिकों एवं लेखकों की इन पक्षियों में काफी रूचि है। शिकार तथा निवास स्थलों की हानि के कारण कई प्रजातियां खतरे में हैं।
बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ का शरीर आम तौर पर कौवे जैसा होता है तथा वास्तव में ये कॉर्विड्स प्रजाति (कौवे तथा नीलकंठ) से संबंधित हैं। बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ पक्षी विभिन्न आकारों में पाए जाते हैं जो किंग बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ 50 ग्राम (1.8 औंस) और 15 से॰मी॰ (5.9 इंच) से ले कर कर्ल-क्रेस्टेड मनुकोड 44 से॰मी॰ (17 इंच) व 430 ग्राम (15 औंस) तक के आकार के होते हैं। अपनी लंबी पूंछ के साथ नर ब्लैक सिक्लेबिल सभी प्रजातियों में सबसे लंबी प्रजाति है।110 से॰मी॰ (43 इंच) सभी प्रजातियों में नर मादा से बड़े और लंबे होते हैं, तथा यह अंतर मामूली से लेकर विशाल आकार तक का हो सकता है। पंख गोल होते हैं और कुछ प्रजातियों में ध्वनि निकालने के लिए संरचनात्मक रूप से संशोधित होते हैं। पूरी जाति में चोंच के आकार में विविधता पाई जाती है। सिक्लेबिल व राइफ़लबर्ड प्रजातियों में चोंच लंबी तथा अवक्राकार हो सकती है तथा एस्ट्रापिया में छोटी और पतली हो सकती है। लिंग के आधार पर शरीर के साथ-साथ चोंच का औसत आकार बदलता रहता है, हालांकि आम तौर पर नरों की तुलना में लंबी चोंच वाली मादाओं की प्रजातियां अधिक हैं और ऐसा विशेष रूप से कीट खाने वाली प्रजातियों में है।[1] नरों के भड़कीले आकर्षक रंगों वाले पंखों की तुलना में मादाओं के छद्मावरण पंख विशेष रूप से अपने निवास के रंगों में अच्छी तरह घुल मिल जाते हैं।[2]
विभिन्न लिंगों के बीच पंखों में भिन्नता प्रजनन प्रणाली से बारीकी से संबंधित है। मनुकोड और पैराडाइज़ क्रो, जो सामाजिक रूप से एक मादा के साथ रहते हैं, लैंगिक तौर पर मोनोमोर्फिक (अर्थात जिनका जीनोटाइप एक ही प्रकार का होता है) होते हैं। इसी तरह पैराडिगाला की दो प्रजातियां हैं जो एक से अधिक मादा के साथ रहती हैं। इन सभी प्रजातियों के हरे और नीले रंग की घटती बढ़ती मात्रा के साथ आम तौर पर काले पंख होते हैं।[1]
न्यू गिनी का विशाल द्वीप बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ पक्षियों की विविधता का प्रमुख केंद्र है; केवल दो को छोड़ कर बाकी सभी प्रजातियां न्यू गिनी पर पाई जाती हैं। जो दो प्रजातियां यहां नहीं पाई जातीं, वे हैं मोनोटाइपिक श्रेणी की लाइकोकॉरेक्स तथा सेमिप्टेरा, जो न्यू गिनी के पश्चिम में स्थित मोलुक्कास की निवासी हैं। टिलोरिस वर्ग के राइफलबर्ड पक्षियों की दो प्रजातियां पूर्वी ऑस्ट्रेलिया के तटीय जंगलों में पाई जाती हैं, एक ऑस्ट्रेलिया तथा न्यू गिनी दोनों जगहों पर पाई जाती हैं, तथा एक प्रजाति केवल न्यू गिनी में मिलती है। केवल मनुकोडिया एक वर्ग है जिसकी प्रजातियां न्यू गिनी के बाहर पाई जाती हैं, तथा इनका एक प्रतिनिधि क्वींसलैंड के उत्तरी छोर पर पाया जाता है। शेष प्रजातियां न्यू गिनी और आसपास के द्वीपों तक सीमित हैं। कई प्रजातियां अत्यधिक सीमित क्षेत्रों में मिलती हैं, विशेष रूप से मध्य-पर्वतीय वन (जैसे ब्लैक सिक्लेबिल) या द्वीप स्थलों (जैसे विल्सन बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़) जैसे सीमित निवास स्थानों में पाई जाने वाली कुछ प्रजातियां.[1]
बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ की अधिकांश प्रजातियां वर्षा वनों, दल-दली जगहों, तथा काई के वनों सहित उष्णकटिबंधीय वनों में पाई जाती हैं,[1] लगभग सभी प्रजातियां एकांत रूप से वृक्षों पर निवास करती हैं।[2] तटीय सदाबहार वनों में कई प्रजातियां पाई जाती हैं।[3] सुदूर दक्षिण में पाई जाने वाली ऑस्ट्रेलिया की पैराडाइज़ राइफलबर्ड प्रजातियां उप उष्णकटिबंधीय और शीतोष्ण नम वनों में रहती हैं। एक समूह के रूप में मनुकोड अपने निवास स्थलों के प्रति सबसे अधिक अनुकूलित स्वभाव वाले होते हैं, जिसमे से विशेष रूप से ग्लॉसी-मेंटल्ड मनुकोड वनों तथा सवाना वुडलैंड, दोनों जगहों पर निवास करते हैं।[1] मध्य-पर्वतीय निवास स्थल सर्वाधिक आबादी वाले निवास स्थल हैं, चूंकि 40 में से 30 प्रजातियां 1000-2000 मीटर की ऊंचाइयों पर पाई जाती हैं।[3]
बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ का प्रमुख आहार फल और कीट हैं। प्रजातियों में दोनों प्रकार के आहारों के अनुपात में विभिन्नता है, कुछ प्रजातियों में फलों को खाने वाले पक्षी अधिक हैं और दूसरी प्रजातियों में कीटों को खाने वाले पक्षी अधिक हैं। दोनों का यह अनुपात प्रजातियों के व्यवहार के अन्य पहलुओं को प्रभावित करता है, उदाहरण के लिए फ्रुगिवोर्स (फल खाने वाली) प्रजातियां जंगलों में पेड़ों के ऊपर मिलती हैं, जबकि इन्सेक्टिवोर्स (कीट खाने वाली) प्रजातियां अधिक नीची जगहों पर भोजन करती हैं। फ्रुगिवोर्स इन्सेक्टिवोर्स की तुलना में अधिक सामाजिक होते हैं जबकि इन्सेक्टिवोर्स अधिक एकाकी तथा प्रादेशिक होते हैं।[1]
अधिकांश प्रजातियों में विस्तृत संभोग पद्धतियां पाई जाती हैं, जिनमे से पैराडाइसिया प्रजातियां सामूहिक संभोग आधारित प्रणाली अपनाती हैं। सिसीन्नुरुस और पैरोटिया जैसी प्रजातियों में अत्यधिक रस्मों वाले संभोग नृत्य होते हैं। लैंगिक रूप से द्विलिंगी प्रजातियों में नर एक से अधिक मादाओं से संबंध बनाते हैं जबकि कुछ एकलिंगी प्रजातियों में एक मादा से संबंध भी रखते हैं। इन पक्षियों में संकरण बहुत आम है, जिससे यह पता चलता है कि एक से अधिक प्रजातियों की मादाओं से संबंध बनाने वाले बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ विभिन्न वर्गों से संबंध रखने के बावज़ूद आपस में नजदीकी से जुड़े हैं। कई संकर प्रजातियों को नई प्रजातियों के रूप में वर्णित किया गया है और यह संदेह रहता है कि क्या रोथ्सचाइल्ड लोब-टेल्ड जैसे बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ के कुछ प्रकार वैध हैं अथवा नहीं.[उद्धरण चाहिए] संकर प्रजातियों की उपस्थिति के बावजूद, कुछ पक्षी विज्ञानी यह तर्क देते हैं कि कम से कम कुछ विख्यात वैध संकर प्रजातियां मौजूद हैं जो विलुप्त हो सकती हैं।[4]
बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ अपना घोंसला पत्तों, पंखों, लताओं के तंतुओं जैसी मुलायम सामग्री से बनाते हैं जो विशेष रूप से पेड़ की टहनियों पर रखी जाती है।[5] अण्डों की संख्या कुछ हद तक अनिश्चित है। बड़ी प्रजातियों में, यह संख्या लगभग हमेशा केवल एक अंडा होती है। छोटी प्रजातियां 2-3 अंडे दे सकती हैं।[6] 16-22 दिनों के बाद अंडे से पक्षियों के बच्चे निकलते हैं और युवा पक्षी 16 से 30 दिनों की उम्र में घोंसला छोड़ देते हैं।[5]
कई सालों तक बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ को बोवेरबर्ड से संबंधित माना जाता था। क्योंकि आज दोनों को ऑस्ट्रेलेसियन वंशज कोर्विडा का हिस्सा माना जाता है, इसलिए दोनों को केवल दूर के संबंधी माना जाता है। बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ से सबसे नजदीकी संबंधी कोर्विड प्रकार के कौवे और नीलकंठ, मोनार्क फ्लाईकैचर मोनार्काइडे तथा ऑस्ट्रेलियाई मुडनेस्टर स्ट्रुथीडिडे हैं।[1]
इस जाति तथा इसके नजदीकी संबंधियों का आपस में संबंध का पता लगाने के लिए 2009 में किए गए एक अध्ययन में सभी प्रजातियों के माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए के परीक्षण से यह अनुमान लगाया गया कि इस जाति का उद्भव 24 लाख साल पहले हुआ था जो कि इसके पिछले अध्ययन द्वारा अनुमानित समय से अधिक पुराना है। अध्ययन में जाति के भीतर पांच जीव समूहों की पहचान की गई तथा पहले जीव समूह के बीच विभाजन किया गया जिसमे एकलिंगी मनुकोड तथा पैराडाइज़ कौवे शामिल हैं तथा बाकी सभी बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ दस लाख वर्ष पुराने हैं। दूसरे जीव समूह में पैरोटिया तथा किंग ऑफ़ सेक्सॉनी बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ शामिल हैं। तीसरे जीव समूह में सेल्युसाइडिस, ड्रेपानोर्निस सिक्लेबिल, सेमिओप्टेरा, टिलोरिस तथा लोफोरिना जैसे कई वर्ग शामिल हैं लेकिन इनमे से कुछ को शामिल करने को समर्थन प्राप्त नहीं है। चौथे जीव समूह में एपिमाकुस सिक्लेबिल, पैराडिगाला और एस्ट्रापिया शामिल हैं। अंतिम जीव समूह में सिसीन्नुरुस और पैराडाइसिया बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ शामिल हैं।[7]
जाति की सटीक सीमा संशोधन का विषय भी रही है। साटिनबर्ड (नेमोफिलस तथा लोबोपैराडाइसिया) की तीन प्रजातियों को बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़, नेमोफिलिने के एक उपपरिवार से संबंधित माना गया है। मुंह, पैरों की आकृति तथा घोंसले बनाने की आदतों में विभिन्नता के बावजूद वे इस जाति में बने रहे जब तक कि 2000 के एक अध्ययन में उन्हें बैरीपैकर तथा लॉन्गबिल (मेलानोचेरिटिडेइ) के संबंधी के रूप में अलग जाति सिद्ध नहीं कर दिया गया.[8] इसी अध्ययन में पाया गया कि मेक्ग्रेजर बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ वास्तव में ऑस्ट्रेलेसियन हनीईटर जाति का सदस्य था। इन तीनों प्रजातियों के अलावा, कई व्यवस्थित रहस्यपूर्ण प्रजातियों और एक वर्ग को इस जाति के संभावित सदस्य होने पर विचार किया गया है। न्यू गिनी से ही मेलमपिट्टा वर्ग की दो प्रजातियों को बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ से जोड़ा गया है,[9] लेकिन इनके ये संबंध अनिश्चित बने हुए हैं और अभी हाल ही इन्हें ऑस्ट्रेलियाई मुडनेस्टर के साथ जोड़ा गया है।[1] फिजी की सिल्कटेल को इसकी खोज के बाद से ही कई बार बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ के साथ जोड़ा गया है, लेकिन इसे कभी भी औपचारिक रूप से इस जाति से संबंधित नहीं किया गया है। हाल ही के आणविक सबूत इन प्रजातियों को अब फैनटेल के साथ जोड़ते हैं।[10]
बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ की संकर नस्लें तब उत्पन्न हो सकती हैं जब विभिन्न प्रजातियों के पक्षी, जो एक समान लगते हैं तथा जिनकी व्यापक श्रेणियां हैं, एक दूसरे को अपनी प्रजाति जैसा दिखने के लिए भ्रमित करते हैं तथा संकर नस्ल को जन्म देते हैं।
जब इरविन स्ट्रेसेमन्न को इस बात का एहसास हुआ बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ पक्षियों के अध्ययन से इस बारे में विस्तार से पता लग सकता है कि अधिकांश वर्णित प्रजातियां इतनी दुर्लभ क्यों हैं, तो उन्होनें 1920 तथा 1930 के दशक में कई विवादित नमूनों का परीक्षण किया, जो उनकी परिकल्पना के रूप में कई अख़बारों में प्रकाशित हुआ। 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी के प्रारंभ में वर्णित अधिकांश प्रजातियों को अब संकर माना जाता है, हालांकि इनमे से कुछ पर अभी भी विवाद है तथा संग्रहालय के नमूनों के आनुवंशिक परीक्षणों के बिना उनकी स्थिति स्पष्ट होने की संभावना नहीं है।
संकर और प्रकल्पित संकर नस्लों के कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:[11]
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