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दक्षिण प्रशान्त महासागर के मेलानेशिया में एक द्वीप देश विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
फ़िजी (अंग्रेज़ी: Fiji, फ़िजीयाई: Viti) जो कि आधिकारिक रूप से फ़िजी गणराज्य के नाम से जाना जाता है, दक्षिण प्रशान्त महासागर के मेलानेशिया मे एक द्वीप देश है। यह न्यू ज़ीलैण्ड के नॉर्थ आईलैंड से करीब 2000 किमी उत्तर-पूर्व मे स्थित है। इसके समीपवर्ती पड़ोसी राष्ट्रों मे पश्चिम की ओर वनुआतु, पूर्व में टोंगा और उत्तर मे तुवालु हैं। 17वीं और 18वीं शताब्दी के दौरान डच एवं अंग्रेजी खोजकर्तओं ने फ़िजी की खोज की थी। 1970 तक फ़िजी एक अंग्रेजी उपनिवेश था। प्रचुर मात्रा मे वन, खनिज एवं जलीय स्रोतों के कारण फ़िजी प्रशान्त महासागर के द्वीपों मे सबसे उन्नत राष्ट्र है। वर्तमान मे पर्यटन एवं चीनी का निर्यात इसके विदेशी मुद्रा के सबसे बड़े स्रोत हैं। यहाँ की मुद्रा फ़िजी डॉलर है।
फ़िजी गणराज्य Republic of Fiji Matanitu Tugalala o Viti |
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राष्ट्रवाक्य: Rerevaka na Kalou ka Doka na Tui "ईश्वर से डरो और रानी का सम्मान करो" |
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राष्ट्रगान: God Bless Fiji | ||||||
राजधानी और सबसे बड़ा नगर | सुवा 18°10′S 178°27′E | |||||
राजभाषा(एँ) | अंग्रेज़ी, फ़िजीयाई, फ़िजी हिन्दी[1][2] | |||||
निवासी | फ़िजी द्वीपवासी, फ़िजियन | |||||
सरकार | सैनिक नेत्तृत्व के साथ अनिर्वाचित जन सरकार | |||||
- | फ़िजी की सर्वप्रमुख | महारानी एलिजाबेथ द्वितीय1 | ||||
- | राष्ट्रपति | रातू विलियामे कोटोनिवेरी | ||||
- | प्रधानमंत्री | एस. रबुका | ||||
स्वतन्त्रता यूनाइटेड किंगडम से | ||||||
- | दिनांक | 10 अक्तूबर 1970 | ||||
क्षेत्रफल | ||||||
- | कुल | 18,274 km2 (155 वां) | ||||
- | जल (%) | नगण्य | ||||
जनसंख्या | ||||||
- | जुलाई 2006 जनगणना | 9,05,949 (156 वां) | ||||
सकल घरेलू उत्पाद (पीपीपी) | 2005 प्राक्कलन | |||||
- | कुल | $5.447 करोड़ (149 वाँ) | ||||
- | प्रति व्यक्ति | $6375 (93वाँ) | ||||
मानव विकास सूचकांक (2013) | ०.724[3] उच्च · 88 वां |
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मुद्रा | फ़िजी डॉलर (FJD) | |||||
समय मण्डल | (यू॰टी॰सी॰+12) | |||||
दूरभाष कूट | 679 | |||||
इंटरनेट टीएलडी | .fj | |||||
1. | अध्यक्षों के महान समिति मानित. |
फ़िजी के अधिकांश द्वीप 15 करोड़ वर्ष पूर्व आरंभ (आरम्भ) हुए ज्वालामुखीय गतिविधियों से गठित हुए। इस देश के द्वीपसमूह में कुल 322 द्वीप हैं, जिनमें से 106 स्थायी रूप से बसे हुए हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ लगभग 500 क्षुद्र द्वीप हैं जो कुल मिला कर 18,300 वर्ग किमी के क्षेत्रफल का निर्माण करते हैं। द्वीपसमूह के दो प्रमुख द्वीप विती लेवु और वनुआ लेवु हैं जिन पर देश की लगभग 8,50,000 आबादी का 87% निवास करती है।
फिजी द्वीप का मुख्य द्वीप विती लेवु के नाम से जाना जाता है और इसी नाम का उच्चारण इनके पड़ोसी द्वीप टोंगा के निवासी " फिसी " के रूप में करते थे जिसके कारण इसका नाम फिजी पड़ा है। यूरोपीय लोगों को फिजीवासियों के बारे मे सर्वप्रथम कैप्टन कुक के महासागरीय अभियानों के दौरान उनके दल के सदस्य रहे लेखको के लेखों के द्वारा पता चला। यह लेखक फिजीवासियों से पहले पहल टोंगा द्वीप पर मिले थे। इन लेखों में फिजी के मूल निवासियों को दुर्जेय योद्धा और क्रूर आदमखोरों के रूप में वर्णित किया गया था साथ ही उन्हें प्रशांत क्षेत्र में श्रेष्ठ वाहिकाओं (पोतों) के निर्माता लेकिन औसत नाविक के रूप मे भी दर्शाया गया है। वे अपने घर को विती कहते थे, लेकिन टोंगाओं ने इसे फिसी कहा और कैप्टन कुक ने जो एक विदेशी थे इनका उच्चारण फिजी किया और अब इन द्वीपों के नाम इसी नाम से जाना जाता है।
फिजी के पहले निवासियों का आगमन यूरोपीय अन्वेषकों से बहुत पहले ही हो गया था जो कि सत्रहवीं शताब्दी में फिजी आये थे। मिट्टी के बर्तनों की खुदाई से पता चलता है कि 1000 ई.पू के आसपास भी फिजी में निवासी रहा करते थे, हालाँकि अभी भी उनके फिजी प्रवास के विषय मे कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। डच अन्वेषक हाबिल टैस्मान सन 1643 में जब दक्षिणी महाद्वीप की तलाश में निकले थे तब उन्होनें फिजी का दौरा किया था। उन्नीसवीं सदी तक यूरोपीय स्थायी रूप से द्वीप पर नहीं बसे थे।
1874 में ब्रिटेन ने इस द्वीप को अपने नियंत्रण मे लेकर इसे अपना एक उपनिवेश बना लिया। ब्रिटिश लोग भारतीय मजदूरों को यहाँ ठेके पर गन्ने के खेतों में काम करने के लिये ले आये। सन 1970 में इस देश को ब्रिटेन ने स्वतंत्रता दी। सन 1987 में देश का लोकतांत्रिक शासन दो सैन्य विद्रोहों से बाधित हुआ क्योंकि पहले तख्तापलट में ऐसा माना गया की तत्कालीन सरकार मे भारतीय फ़ीजियों का प्रभुत्व था तथा दूसरे में ब्रिटिश राजशाही और गवर्नर जनरल की जगह एक गैर कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति हुई। इसके बाद देश का नाम परिवर्तित करके 'फिजी गणराज्य' कर दिया गया (1997 में इसे बदलकर फ़िजी द्वीप समूह गणराज्य कर दिया गया)। इस तख्तापलट के कारण भारतीयों ने बडी़ संख्या मे देश छोड़ दिया जिसके परिणामस्वरूप मेलानेशियाई लोगों का बहुमत हो गया।
1990 में नए संविधान के द्वारा राजनीतिक व्यवस्था मे फिजी मूल के लोगों का वर्चस्व स्थापित किया गया। रंगभेद विरोधी समूह (GARD) का गठन एकतरफा थोपे गये संविधान का विरोध करने और 1970 के संविधान की बहाली के लिये किया गया। 1987 के तख्तापलट को अंजाम देने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल सितिवेनी रेबूका नए संविधान के तहत हुये चुनाव के बाद 1992 में प्रधानमंत्री बने। तीन साल बाद, सितिवेनी रेबूका ने संविधान समीक्षा आयोग की स्थापना की, जिसके फलस्वरूप 1997 में एक नया संविधान अस्तित्व में आया साथ ही इस संविधान को फिजी भारतीय और फिजी स्वदेशी समुदायों के नेताओं का समर्थन भी मिला। फिजी को एक बार फिर से राष्ट्रमंडल के एक राष्ट्र के रूप में सवीकृति मिल गयी।
नई सहस्राब्दी में देश ने फिर ने फिर से एक तख्तापलट देखा। इस तख्तापलट में जॉर्ज स्पीट ने तत्कालीन प्रधान मंत्री महेंद्र चौधरी, की सरकार को उखाड़ फेंका जो 1997 के संविधान के बाद निर्वाचित हुयी थी। कमोडोर फ्रैंक बैनीमरामा ने राष्ट्रपति मारा के इस्तीफे जो संभवतः मजबूरी में दिया गया था के बाद कार्यकारी शक्ति ग्रहण कर लीं। सन 2000 में सुवा की महारानी एलिजाबेथ बैरकों में हुए दो सैनिक विद्रोहों ने फिजी को हिला कर रख दिया जब विद्रोही सैनिकों ने शहर में हुड़दंग मचा दिया। उच्च न्यायालय ने संविधान की बहाली का आदेश दिया और, सितंबर 2001 में, लोकतंत्र को बहाल करने के लिए आम चुनाव आयोजित किये गये, जो अंतरिम प्रधानमंत्री लेसीनिया करासे की सोकोसोको दुआवाता नी लेवेनिवानुआ पार्टी ने जीते।
सन 2005 में, बहुत विवादों के बीच, करासे सरकार ने एकता आयोग बनाने का एक प्रस्ताव रखा जिसके अन्तर्गत सन 2000 के तख्तापलट के पीड़ितों को मुआवजा दिलाने के साथ इसके उत्तरदायी लोगों के लिए माफी की सिफारिश की गयी थी। इस प्रस्ताव का सेना और विशेष रूप से सेना के कमांडर फ्रैंक बैनीमारामा ने पुरजोर विरोध किया। फ्रैंक बैनीमारामा ने आलोचकों के साथ सहमति जताई कि वर्तमान सरकार के समर्थकों जिन्होने तख्तापलट में एक निर्णायक भूमिका निभाई को क्षमा दान देना अनुचित है। उन्होने सरकार पर अपने हमले मई से जुलाई तक लगातार जारी रखे जिसके कारण उनके संबंध सरकार से जो पहले से तनावपूर्ण थे और तनावपूर्ण हो गये। नवम्बर 2006 के अंत और दिसम्बर, 2006 के शुरू में, तख्तापलट फिजी d' état के लिये बैनीमारामा मुख्य रूप से उत्तरदायी था। बैनीमारामा ने अपनी मांगों की सूची करासे सरकार को सोंप दी जिसके बाद करासे सरकार संसद में एक विधेयक लेकर आयी जिसमे 2000 में तख्तापलट के प्रयास मे शामिल लोगों को क्षमादान देने की पेशकश की गयी थी। उस ने करासे को 4 दिसम्बर तक इन माँगों को स्वीकार करने या अपने पद से इस्तीफा देने का अल्टीमेटम दे दिया। करासे ने माँगों को स्वीकार करने या इस्तीफा देने से साफ् इनकार कर दिया। 5 दिसम्बर को राष्ट्रपति रातु जोसेफा इलोइलो, जिन्होने बैनीमारामा से मुलाकात के बाद संसद भंग करने के एक कानूनी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिये।
अपने आकार के हिसाब से, फिजी का सशस्त्र बलों का बेड़ा काफी बड़ा है और संयुक्त राष्ट्र के दुनिया के विभिन्न भागों में चल रहे शांति अभियानों मे इसने प्रमुख योगदान दिया है। इसके अलावा, इराक में 2003 के अमेरिकी नेतृत्व वाले आक्रमण के बाद इसके कई भूतपूर्व सैनिक इराक के सुरक्षा क्षेत्र की सेवा मे तैनात हैं।
फिजी की राजनीति आम तौर पर एक संसदीय प्रतिनिधि लोकतांत्रिक गणराज्य के दायरे में काम करती है। इसके तहत प्रधानमंत्री सरकार का मुखिया, और राष्ट्रपति राष्ट्र का मुखिया होता है। देश मे बहुदलीय प्रणाली है। कार्यकारी शक्तियों का प्रयोगाधिकार सरकार के पास है। विधायी शक्तियाँ सरकार और संसद दोनों में निहित हैं। न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका से स्वतंत्र है।
आजादी के बाद से अब तक फिजी मे चार तख्तापलट हो चुके हैं, दो 1987 में, एक 2000 में और एक 2006 के अंत में। 1987 के बाद से सेना या तो शासन मे है या उसका निर्वाचित सरकारों पर पूरा प्रभाव है।
फिजी चार राजनैतिक प्रभागों मे विभाजित है:
इन प्रभागों को आगे 14 जिलों मे बाँटा गया है।
फिजी में 322 द्वीप हैं (जिनमें से 106 बसे हुए हैं) इसके अतिरिक्त 522 क्षुद्रद्वीप हैं। द्वीप के दो सबसे महत्वपूर्ण द्वीप हैं विती लेवु और वनुआ लेवु। ये द्वीप पहाड़ी हैं, जिनमे 1300 मीटर (4250 फुट) तक की चोटियां हैं, जो उष्णकटिबंधीय वनों से आच्छादित हैं। राजधानी सुवा विती लेवू मे स्थित है और देश की लगभग तीन चौथाई आबादी का घर है। अन्य महत्वपूर्ण शहरों में शामिल हैं नान्दी (अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा यहाँ स्थित है) और लौतोका (एक बड़ी चीनी मिल और समुद्री-पत्तन यहाँ स्थित हैं)।
वनुआ लेवु के मुख्य शहरों में लाबासा और सावुसावु प्रमुख हैं। अन्य द्वीपों या द्वीप समूहों में शामिल हैं तावेउनी और कन्दावु जो क्रमशः तीसरा और चौथा सबसे बड़ा द्वीप हैं इसके अलावा मामानुका समूह (नान्दी से थोड़ा बाहर) और यसावा समूह लोकप्रिय पर्यटन स्थलों मे हैं, लोमाईविती समूह, सुवा से बाहर है और दूरस्थ लाउ समूह। रोटुमा, द्वीपसमूह के उत्तर में कुछ 500 किलोमीटर (310 मील) की दूरी पर स्थित है और इसे फिजी मे एक विशेष प्रशासनिक दर्जा हासिल है। फिजी के निकटतम पड़ोसी टोंगा है। फिजी में उष्णकटिबंधीय जलवायु है और वर्ष भर मौसम गर्म बना रहता है।
फिजी मे प्रचुर मात्रा मे वन, खनिज और मतस्य संसाधन हैं जिसके कारण यह् प्रशांत द्वीप क्षेत्र की तुलनात्मक रूप से अधिक विकसित अर्थव्यवस्थाओं मे से एक है। फिजी ने 1960 व 1970 के दशक में तेजी से वृद्धि की लेकिन 1980 के दशक की शुरुआत में अर्थव्यवस्था मे ठहराव आ गया, 1987 के तख्तापलट ने तो इसे और मंदा कर दिया। तख्तापलट के बाद के वर्षों में आर्थिक उदारीकरण के चलते कपड़ा उद्योग का विकास बडी़ तेज गति से हुआ है साथ ही चीनी उद्योग से जुडी़ जमीन के पट्टों की अनिश्चितता के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था ने अपनी वृद्धि दर कायम रखी है। गन्ना किसानों के पट्टों की अवधि समाप्त हो जाने से चीनी के उत्पादन में रियायती मूल्य के बावजूद गिरावट आयी है। चीनी के लिए यूरोपीय संघ द्वारा सब्सिडी का प्रावधान किया गया है और सबसे अधिक लाभान्वित होने वालों मे मॉरिशस के बाद फिजी दूसरे स्थान पर है। शहरीकरण और सेवा क्षेत्र के विस्तार ने, हाल के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में योगदान किया है। तेजी से बढ़ रहा चीनी का निर्यात और पर्यटन उद्योग विदेशी मुद्रा के प्रमुख स्रोत हैं। फिजी राजस्व के लिए पर्यटन पर निर्भर ह॥ चीनी प्रसंस्करण सारी औद्योगिक गतिविधियों का एक तिहाई बनता है। लंबे समय की समस्याओं मे कम निवेश और अनिश्चित संपदा अधिकार शामिल हैं। फिजी में राजनीतिक उथलपुथल ने अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव डाला है, जो वर्ष 2000 में 2.8% से घटी और 2001 में केवल 1 % की दर से बढ़ी है। पर्यटन क्षेत्र में तेजी से बढोत्तरी हुई है फिर भी यह अभी 2002 के तख्तापलट के पहले के स्तर को छू पाने मे नाकाम रही है। हालाँकि मुद्रास्फीति कम है फिर भी फिजी के रिजर्व बैंक ने ऋण द्वारा वित्तपोषित, अत्यधिक उपभोग के भय के कारण नीति सूचक दर फरवरी 2006 में 1 % से बढा़कर 3.25 % कर दी है। कम ब्याज दरों ने अब तक निर्यात के लिए अधिक निवेश नहीं जुटाया है लेकिन आवास क्षेत्र मे, तेजी से गिर रही वाणिज्यिक बंधक दर के चलते उछाल आया है।
सुवा में 1984 में खोली गयी रिजर्व बैंक की चौदह मंजिला इमारत फिजी की सबसे उँची इमारत है। सुवा का केन्द्रीय वाणिज्यिक केंद्र जो नवंबर 2005 में खोला गया था योजना के मुताबिक सबसे उँची इमारत होनी थी लेकिन अंत में इसके डिजाइन में परिवर्तन कर दिया गया और इसके चलते रिजर्व बैंक अभी भी सबसे उँची इमारत है।
फिजी की समृद्ध संस्कृति स्वदेशी, भारतीय, चीनी और यूरोपीय परंपरा का मिश्रण है। संस्कृति अनेक पहलुओं से मिलकर बनी है, जिनमे सामाजिक व्यवस्था, परंपरा, भाषा, भोजन, वेशभूषा, विश्वास प्रणाली, वास्तुकला, कला, शिल्प, संगीत, नृत्य और खेल आदि शामिल हैं। आबादी का अधिकांश स्वदेशी संस्कृति से प्रेरित है और इसकी पालना वो अपने दिन प्रतिदिन के जीवन में करता है। स्वदेशी संस्कृति पर भारतीय और चीनी संस्कृति के, साथ ही यूरोपीय संस्कृति का भी काफी प्रभाव है। इस सभ्यताओं के मिश्रण ने फिजी की संस्कृति को एक अद्वितीय और राष्ट्रीय पहचान दिलाई है।
यहाँ अंग्रेजी, फ़ीजी हिन्दी आदि कई भाषाएँ बोली एवं प्रयोग की जाती हैं।
फिजी मे बोली जाने वाली हिन्दी अवधी भाषा का ही स्वरूप है। फिजी मे अवध क्षेत्र का बहुत प्रभाव है, यहाँ रामायण का बोली पर भी बहुत गहरा प्रभाव है। अवध में प्रयुक्त शब्दावली आज भी ज्यो कि त्यों यहाँ प्रचलित है, जैसे सब्जी पेठा/सीताफल को कोहंडा कहा जाता है, पूड़ी को सोहारी, पैर को गोड़ आदि कहा जाता है। इसका मूल कारण वहाँ गिरमिटिया के रूप में पहुंचे भारतीय अवध क्षेत्र के थे। राष्ट्रकवि पंडित कमला प्रसाद मिश्र, हिंदी सेवी व मंत्री स्व. श्री विवेकानंद शर्मा, प्रोफेसर सतेंदर नंदन आदि सभी की जड़े भारतीय अवध क्षेत्र में है। इनके पूर्वज फैज़ाबाद, सुल्तानपुर, जौनपुर, आदि जनपदों से गए थे। इसी कारण यहाँ की भाषा अवधी के रूप में विकसित हुई है और आज स्थानीय प्रभाव के कारण फिजी हिंदी के रूप में प्रचलित है।
फिजी के मूल निवासी पोलिनेशियाई और मेलाशियाई लोगों का मिश्रण हैं, जो सदियों पहले दक्षिण प्रशांत के मूल स्थान से यहाँ आये थे। 1879 से 1916 के बीच ब्रिटिश 61000 मजदूरों को भारत से यहाँ गन्ने के खेतों मे काम करने के लिये यहाँ लाये थे इसके बाद 1920 और 1930 के दशक मे हजारों भारतीय स्वेच्छा से यहां आये। आज यही भारतीय फिजी की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। भारतीय फिजियों की जनसंख्या मे तेजी से वृद्धि हुई है।
फिजी के मूल निवासी पूरे देश में रहते हैं, जबकि भारतीय मूल के फिजी नागरिक दोनो प्रमुख द्वीपों के शहरी क्षेत्रों और गन्ना उत्पादक क्षेत्रों के पास रहते हैं। स्वदेशी मूल के लगभग सभी ईसाई हैं, जिनमे दो तिहाई मेथोडिस्ट है। भारतीय फ़ीजियों में 77 प्रतिशत हिंदू हैं, 16 प्रतिशत मुस्लिम, 6 प्रतिशत ईसाई के साथ कुछ सिख भी हैं।
'द इकोनोमिस्ट' के अनुसार 1977 में 255000 की संख्या के साथ फिजी मूल के नागरिक अल्पसंख्यक हो गये थे। 600000 की कुल जनसंख्या में से लगभग आधे नागरिक भारतीय मूल के थे, जबकि शेष चीनी, यूरोपीय और मिश्रित वंश के हैं।
राष्ट्रीय जनगणना हर दस वर्ष मे आयोजित की जाती है। अंतिम बार इसे 1996 में आयोजित किया गया था, लेकिन 2006 की जनगणना को 2007 तक स्थगित कर दिया गया। वित्त मंत्री रातु जोन कुबुआबोला ने 27 अक्टूबर 2005 को घोषणा की, कि "मंत्रिमंडल ने फैसला लिया है कि जनगणना और आम चुनाव एक ही वर्ष मे कराना देश के हित में नहीं है, क्योंकि लोग चुनावों की ओर ध्यान की वजह से जनगणना अधिकारी से पूर्ण सहयोग नहीं कर पायेंगे"। सांख्यिकी कार्यालय ने उनके इस कथन का समर्थन ये कहते हुये किया कि चुनाव, जनगणना से लोगों का ध्यान हटा देंगे जिसकी वजह से जनगणना का कार्य दुष्कर हो जायेगा।
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