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अंकगणित या तर्क से जुड़े काम करने के लिए डिवाइस विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
कंप्यूटर या संगणक एक मशीन है जिसे अंकगणित या तर्क से जुड़े काम को अपनेआप पूरा करने के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है। आधुनिक डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर प्रोग्राम के तरह जाने जानेवाले काम के सामान्य सेट कर सकते हैं। ये प्रोग्राम कंप्यूटर को तरह-तरह के कामों को करने में सक्षम बनाते हैं। कंप्यूटर सिस्टम एक नाम के लिए कंप्यूटर है जिसमें हार्डवेयर, ऑपरेटिंग सिस्टम (मुख्य सॉफ्टवेयर), और पैरीफैरल डिवाइस शामिल हैं जो ज़रूरी हैं और पूरे गणना के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। ये शब्द उन कंप्यूटरों के ग्रुप को भी इशारा कर सकता है जो लिंक किए गए हैं और एक साथ काम करते हैं, जैसे कंप्यूटर नेटवर्क या कंप्यूटर क्लस्टर।
कई उद्योगिक और ग्राहक प्रोडक्ट कंप्यूटर का इस्तेमाल कंट्रोल सिस्टम के तरह करते है। इसमें माइक्रोवेव अवन और रिमोट कंट्रोल जैसे खास काम के लिए बने डिवाइस तो शामिल हैं ही, उद्योगिक रोबोट और कंप्यूटर से बने डिज़ाइन के कारखानों के डिवाइस भी शामिल है, और पर्सनल कंप्यूटर जैसे सामान्य काम के लिए बने डिवाइस और स्मार्टफोन जैसे मोबाइल डिवाइस भी शामिल हैं। कंप्यूटर इंटरनेट को चलाता हैं, जो अरबों कंप्यूटरों और यूज़रों को जोड़ता है।
शुरुआती कंप्यूटर सिर्फ गणना के लिए इस्तेमाल किए जाते थे। अबैकस जैसे आसान मैनुअल डिवाइसों ने प्राचीनकाल से गणना करने में लोगों की मदद की है। उद्योगिक क्रांति की शुरुआत में, कुछ मशीनी डिवाइसों को लंबे, थकाऊ कामों को अपनेआप करने के लिए बनाया गया था, जैसे कि करघे के लिए पैटर्न दिखाना। ज़्यादा जटिल इलेक्ट्रिक मशीनों ने 20वीं शताब्दी की शुरुआत में ऐनलॉग गणना में माहरत पाई। पहले डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक गणना मशीनें दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान विकसित की गई थीं। 1940 के दशक के आखिर में सैमीकंडक्टर ट्रांज़िस्टर के बनने के बाद 1950 के दशक के आखिर में सिलिकॉन-आधारित मॉसफेट (मॉस ट्रांज़िस्टर) और मोनोलिथिक इंटीग्रेटेड सर्किट चिप बने, जिससे 1970 के दशक में माइक्रोप्रोसेसर और माइक्रोकंप्यूटर क्रांति हुई। तब से कंप्यूटर की रफ्तार, ताकत, और प्रतिभा बहुत तेज़ी से बढ़ रही है, और साथ में ट्रांज़िस्टर रफ्तार तेज़ रफ्तार से बढ़ रही है (जैसा मूर नियम ने भविष्यवाणी की थी), जिससे 20वीं शताब्दी के आखिर से 21वीं की शुरुआत के दौरान डिजिटल क्रांति हुई।
इतिहासिक रूप से, एक आधुनिक कंप्यूटर में कम-से-कम एक प्रोसेसिंग हिस्सा होता है, जो आमतौर पर माइक्रोप्रोसेसर के तरह एक सीपीयू होता है, जिसके साथ किसी तरह का कंप्यूटर मेमोरी, आमतौर पर सैमीकंडक्टर मेमोरी चिप, भी होता है। प्रोसेसिंग हिस्सा अंकगणित और तर्क से जुड़े काम करता है, और सीक्विंस और कंट्रोल यूनिट रखे गए डाटा के जवाब में काम के कतार को बदल सकती है। पैरीफैरल डिवाइसों में इनपुट डिवाइस (कीबोर्ड, जॉयस्टिक, वगैरह), आउटपुट डिवाइस (मॉनिटर स्क्रीन, प्रिंटर, वगैरह), और इनपुट/आउटपुट डिवाइस जो दोनों काम करता हैं (उदाहरण के लिए, 2000-युग टचस्क्रीन) शामिल हैं। पैरीफेरल डिवाइस जानकारी को बाहरी जगह से लाने की अनुमति देते हैं और काम के नतीजे को सेव करने और वापस लाने में सक्षम बनाते हैं।
कंप्यूटर शब्द का पहला इस्तेमाल साल 1613 में अंग्रेज लेखक रिचर्ड ब्रेथवेट की किताब "द यंग मैन ग्लीनिंग्स" में पाया गया है: मैंने टाइम्स के सबसे सही कंप्यूटर को पढ़ा है, और सबसे अच्छे अंकगणितज्ञ को, और उसने दिन को छोटे नंबर में बदल दिया। यहा कंप्यूटर से उनका मतलब एक इंसानी कंप्यूटर से है, एक ऐसा व्यक्ति जो गणना या कैलकुलेशन करता है। कंप्यूटर शब्द का ये मतलब 20वीं शताब्दी के बीच तक चला। इस युग के आखिरी में ज़्यादातर समय इंसानी कंप्यूटर के तरह औरतों को भाड़े रखा जाता था क्योंकि वो कम पैसे में काम करती थी।[1] 1943 तक, ज़्यादातर इंसानी कंप्यूटर औरते थीं।[2]
कंप्यूटर शब्द का आधुनिक मतलब, 'एक प्रोग्राम करनेलायक डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक मशीन', 1945 से है, और इसका औपचारिक इस्तेमाल, 1937 से "ट्यूरिंग मशीन" के संदर्भ में है।[3]
डिवाइसों का इस्तेमाल हजारों सालों से गणना में मदद के लिए किया गया है, ज़्यादातर वक्त उंगलियों के साथ एक-से-एक का संपर्क रखे। सबसे शुरुआती गिनती डिवाइस एक टैली स्टिक के तरह होना चाहिए। बाद में उर्वर अर्धचंद्र में रिकॉर्ड रखनेवाले डिवाइसों में कैल्कुली (मिट्टी के गोले, टोपी, वगैरह) शामिल थे, जो चीज़ो की संख्या बताते थे। ये चीज़ें, जो खोखले बिना पके हुए मिट्टी के कंटेनरों में रखे जाते थे, जानवर या अनाज होने चाहिए।[4] "छड़ गिनती" का इस्तेमाल इसका एक उदाहरण है।
अबैकस का इस्तेमाल शुरू में अंकगणित कामों के लिए किया गया था। रोमन अबैकस को 2400 ईसा पूर्व की शुरुआत में बेबीलोनिया में इस्तेमाल किए जानेवाले डिवाइसों से बनाया गया था। तब से, गणना बोर्ड या तालिका के कई दूसरे रूपों का आविष्कार किया गया है। एक मध्ययुग के यूरोपीय गिनती घर में, एक चेक किया हुआ कपड़ा मेज़ पर रखा जाता था, और मार्करों को कुछ नियमों के हिसाब से उस पर चारों तरफ घुमाया जाता, जिससे पैसे के रकम की गणना करने में मदद होती।[5]
डेरेक जे. डी सोला प्राइस के हिसाब से, अनथिखिथीरा को सबसे पुराना ज्ञात एनलॉग कंप्यूटर माना जाता है।[6] इसे खगोल में गणना करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। ये 1901 में ग्रीक द्वीप अनथिखिथीरा के अनथिखिथीरा मलबे में खोजा गया था। ये लगभग 100 ईसा पूर्व का था। अनथिखिथीरा मशीन के जैसे जटिल डिवाइस 14वीं शताब्दी तक फिर नहीं हुए।[7]
प्राचीन और मध्ययुग में खगोलीय और नौसंचालन गणनाओं के लिए कई एनालॉग कंप्यूटरों को बनाया गया था। प्लेनिस्फीयर एक स्टार चार्ट था जिसका आविष्कार 11वीं शताब्दी की शुरुआत में अल-बिरुनी ने किया था।[8]
एक अभिकलित्र (संगणक) निम्नलिखित चार भागों से मिलकर बनता है : निविष्ट यंत्र , संसाधन यंत्र , निर्गम यंत्र और भंडारण यंत्र। (युक्ति को यंत्र भी कहा जता है।)
अभिकलित्र का मुख्य कार्य दिये गये आंकड़े को जमा कर उसपर दिए गए निर्देशों के अनुरूप काम कर परिणाम देना है॥ कार्यक्षमता के आधार पर इसे निम्नलिकित श्रेणियों में बाँटा गया है- सुपर संगणक, मेनफ्रेम संगणक मिनी संगणक, एव माइक्रो संगणक आदि। सुपर संगणक इनमें सबसे बडी श्रेणी होती है, तथा माइक्रो संगणक सबसे छोटी।
अभिकलित्र जिस भाषा को समझता है उसे द्विआधारी भाषा कहते हैं। वास्तव में यह यंत्र केवल विद्युत धारा के चालू या बंद होने को ही समझता है॥ विद्युत प्रवाह होने एवं रुकने को 0 या 1 के जरिए व्यक्त किया जाता है। इसलिए इसपर कोइ काम करने के लिए इसे इस भाषा में निर्देश या सूचना देना होता है।
शुरूआती दिनों में अभिकलित्र को सीधे द्विआधारी भाषा में निर्देश या सूचना दी जाती थी। यंत्र से सीधा संपर्क रहने के कारण इसे यंत्र भाषा (मशीन लैंग्वेज) भी कहा जाता था। इस तरह से निर्देश या सूचना देने की यह प्रक्रिया काफी जटिल थी।
यंत्र भाषा की जटिलता को कम करने के लिए संयोजक (असेंबलर) की सहायता ली गई। यह ऐसा प्रोग्राम था जो कुछ खास शब्दों को द्विआधारी संकेतों के समूह में बदल देता था। इस भाषा में प्रत्येक प्रक्रिया के लिए एक सरल शब्द चुन लिए गए थे। इससे द्विआधारी संकेत समूह के बजाय केवल संकेत शब्द लिखकर काम हो जाता था। इस संकेतों द्वारा संयोजित तथा संयोजक की सहायता से काम करने वाली भाषा को संयोजन भाषा (असेंबली लैंग्वेज) कहा गया।
असेम्बली लैंग्वेज के आने से संगणक प्रोग्रामर्स को सुविधा जरूर मिली, किन्तु इसके लिए प्रोग्रामर को संगणक के हार्डवेयर तथा इसकी कार्य प्रणाली का सम्पूर्ण ज्ञान होना आवश्यक होता था। अतः अब और भी सरल भाषायों का विकास किया गया, जिन्हें उच्च स्तरीय भाषा कहा गया। इनमे से कुछ प्रमुख आरंभिक भाषाए कोबोल (COBOL), बेसिक (BASIC), सी (C) थी।
1960 के दशक में, संकलक या कंपाइलर का उपयोग करने वाली उच्च-स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं को आमतौर पर ऑटोकोड कहा जाता था। ऑटोकोड के उदाहरण COBOL और फोरट्रान हैं। कंप्यूटर के लिए डिज़ाइन की गई पहली उच्च-स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा प्लैंकल्कल (Plankalkül) थी, जो कोनराड ज़्यूस द्वारा बनाई गई थी। हालांकि, यह उनके समय में लागू नहीं किया गया था।
उच्च-स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं के बारे में एक बात ध्यान देने योग्य है कि ये भाषाएँ प्रोग्रामर को मशीन से अलग करने और अलग करने की अनुमति देती हैं। अर्थात्, असेंबली या मशीन भाषा जैसी निम्न-स्तरीय भाषाओं के विपरीत, उच्च-स्तरीय प्रोग्रामिंग प्रोग्रामर के निर्देशों को बढ़ा सकते हैं और उनकी जानकारी के बिना पृष्ठभूमि में बहुत सारे डेटा आंदोलनों को ट्रिगर कर सकते हैं। निर्देश को निष्पादित करने की जिम्मेदारी और शक्ति प्रोग्रामर से मशीन को सौंप दी गई है।
उच्च स्तरीय भाषायों या हाई लेवल लैंग्वेजों को मशीन भाषा में परिवर्तित करने के लिए संकलक (Compiler) और व्याख्याता (Interpreter) की जरूरत पड़ती है। संकलक या कंपाइलर उच्च स्तरीय भाषा में लिखे गए प्रोग्राम को स्थायी रूप से मशीन भाषा में परिवर्तित करता है, जबकि व्याख्याता या इंटरप्रेटर एक एक पंक्ति करके परिवर्तित करता है।
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