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शेखर जोशी (10 सितम्बर 1932 – 4 अक्तूबर 2022) कथा लेखन को दायित्वपूर्ण कर्म मानने वाले सुपरिचित कथाकारों में से एक थें। शेखर जोशी की कई कहानियों का अंगरेजी, चेक, पोलिश, रुसी और जापानी भाषाओं में अनुवाद हुआ है। उनकी कहानी दाज्यू पर बाल-फिल्म सोसायटी द्वारा एक फिल्म का निर्माण भी किया गया है।[1][2] इन्हें 1987 महावीरप्रसाद दुवेदी पुरस्कार 1955 सहित्य भूषण 1997 में पहल सम्मान
शेखर जोशी का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलिया गांव में वर्ष 1932 में सितंबर माह में हुआ था। शेखर जोशी की प्रारंभिक शिक्षा अजमेर और देहरादून में हुई थी। माध्यमिक की पढ़ाई के दौरान ही सुरक्षा विभाग में जोशी जी का ई.एम.ई. अप्रेन्टिसशिप के लिए चयन हो गया, जहाँ वे वर्ष 1986 तक सेवा में रहे, तत्पश्चात स्वैच्छिक रूप से पदत्याग करके वें स्वतंत्र लेखन में संलग्न हो गए।[3] सम्मान:: डॉ राही मासूम रज़ा साहित्य सम्मान -2012 से, अलंकृत
शेखर जोशी की कई कहानियाँ जैसे— दाज्यू, कोशी का घटवार, बदबू, मेंटल आदि ने न सिर्फ उनके प्रशंसकों की लंबी जमात खड़ी की बल्कि नई कहानी की पहचान को भी अपने तरीके से प्रभावित किया है। पहाड़ी इलाकों की गरीबी, कठिन जीवन संघर्ष, उत्पीड़न, यातना, प्रतिरोध, उम्मीद और नाउम्मीदी से भरे औद्योगिक मजदूरों के हालात, शहरी-कस्बाई और निम्नवर्ग के सामाजिक-नैतिक संकट, धर्म और जाति में जुड़ी रुढ़ियाँ— ये सभी उनकी कहानियों के मुख्य विषय हैं।[4] शेखर जोशी की प्रमुख प्रकाशित रचनाएँ निम्नलिखित हैं:—
शेखर जोशी जी का निधन 90 वर्ष की उम्र में 4 अक्तूबर 2022 को गाजियाबाद में हुआ।[6][7]
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