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महेन्द्र सिंह रंधावा (फरवरी, 1909 -- 3 मार्च, 1986) भारतीय इतिहासकार, वनस्पतिशास्त्री, सिविल सेवक, लेखक और कला व संस्कृति के प्रवर्तक थे। विस्तृत अनुभव के आधार पर उन्होंने अपनी पुस्तकों में भारत के वनों, उपवनों, उद्यानों और देहाती क्षेत्रों की वनस्पति से संबंधित वैज्ञानिक ज्ञान और अनुभूतियों को काव्यमय शैली में इस प्रकार प्रस्तुत किया है कि ये पुस्तकें साहित्य और विज्ञान की अमूल्य निधि बन गयी है। उनकी पुस्तक "ब्यूटीफुल गार्डन्स" का देवकीनंदन पालीवाल द्वारा किया गया हिन्दी रूपांतर 'सुहावने उद्यान' शीर्षक से बहुत लोकप्रिय हुआ।
महेन्द्र सिंह रंधावा | |
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चण्डीगढ़ के गुलाब उद्यान में डॉ महेन्द्र सिंह की मूर्ति | |
जन्म |
02 फ़रवरी 1909 जीरा, पंजाब, भारत |
मौत |
3 मार्च 1986 77 वर्ष) खरर, पंजाब, भारत | (उम्र
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शिक्षा की जगह | पंजाब विश्वविद्यालय |
पेशा |
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जीवनसाथी | इकबाल कौर रंधावा |
बच्चे | जतिन्दर सिंह रंधावा |
महिंदर सिंह रंधावा ने भारत में कृषि अनुसंधान की स्थापना में प्रमुख योगदान दिया था। भारत के विभाजन के फलस्वरूप पाकिस्तान से निर्वासित लोगों को पुनर्स्थापित करने में भी उन्होने पुनर्वास के महानिदेशक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने चण्डीगढ़ शहर की स्थापना और पंजाब की कला, भारत में कृषि के इतिहास का दस्तावेजीकरण करने में महती सक्रियता दिखाई। उन्होंने 1 नवम्बर, 1966 से 31 अक्टूबर, 1968 तक चंडीगढ़ के मुख्य कमिश्नर का पद भी सम्भाला।
महेन्द्र सिंह रन्धावा को विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९७२ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
रंधावा बहुत लिखते थे। फफूँद (algae) पर अनेक शोधपत्रों के अतिरिक्त उन्होंने कला, इतिहास, संस्कृति और कृषि पर भी अनेकों पुस्तकों की रचना की। १९८५ में पंजाबी में उनकी आत्मकथा प्रकाशित हुई जिसका नाम है - "आप बीती"। उनकी अन्य कृतियाँ निम्नलिखित हैं-
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