Loading AI tools
विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
मूर्तिदेवी पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ समिति के द्वारा दिया जानेवाला प्रतिष्ठित साहित्य सम्मान है। पुरस्कार में चार लाख रूपए, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिह्न और वाग्देवी की प्रतिमा दी जाती है।[1] नीचे पुरस्कार प्राप्त करनेवालों की सूची है। इसके अतिरिक्त सी के नागराज राव, जयदेव तनेजा, कुबेरनाथ राय, शिवाजी सामन्त, श्यामाचरण दुबे, विद्यानिवास मिश्र, वीरेन्द्र जैन और विष्णु प्रभाकर को भी मूर्तिदेवी पुरस्कार प्रदान किया गया है।[2]
क्रम | वर्ष | पुरस्कृत साहित्यकार | पुरस्कृत रचना | भाषा |
---|---|---|---|---|
1 | 1983 | सी.के नागराज राव | कन्नड़ | |
2 | 1984 | वीरेंद्र कुमार सखलेचा | हिन्दी | |
3 | 1985 | मनुभाई पाँचोली ‘दर्शक' | गुजराती भाषा | |
४ | १९८६ | कन्हैया लाल सेथिआ | राजस्थानी | |
५ | १९८८ | विष्णु प्रभाकर | हिन्दी | |
६ | १९८९ | विद्या निवास मिश्र | हिन्दी | |
७ | १९९० | मुनि श्री नागराज | हिन्दी | |
८ | १९९१ | डॉ प्रतिभा राय | यज्ञसेनी | मलयालम |
९ | १९९२ | कुबेरनाथ राय | कामधेनु | हिन्दी |
१० | १९९३ | श्यामाचरण दुबे | हिन्दी | |
११ | १९९४ | शिवाजी सावन्त | मराठी | |
१२ | १९९५ | निर्मल वर्मा | भारत और यूरोप प्रतिश्रुति के क्षेत्र | हिन्दी |
१३ | 2000 | गोविन्दचन्द्र पांडेय | हिन्दी | |
१४ | 2001 | राममूर्ति त्रिपाठी | हिन्दी | |
१५ | 2002 | यशदेव शल्य | हिन्दी | |
१६ | 2003 | कल्याण मल लोढा | हिन्दी | |
१७ | 2004 | नारायन देसाई | मारू जीवन आज मारी वाणी | गुजराती |
१८ | 2005 | डॉ राममूर्ति शर्मा | भारतीय दर्शन की चिन्तनधारा | हिन्दी |
१९ | 2006 | कृष्णबिहारी मिश्र | कल्पतरु की उत्सव लीला[3] | हिन्दी |
२० | २००७ | वीरप्पा मोइली | श्री रामायण महानिवेशणम[4] | कन्नड़ |
२1 | 2011 | गुलाब कोठारी | मैं ही राधा मैं ही कृष्ण[5] | हिंदी |
22 | 2012 | हरप्रसाद दास[6] | ओड़िआ | |
23 | 2013 | सी राधाकृष्णन | मलयालम | |
24 | 2014 | विश्वनाथ त्रिपाठी | व्योमकेश दरवेश[7] | हिन्दी |
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Every time you click a link to Wikipedia, Wiktionary or Wikiquote in your browser's search results, it will show the modern Wikiwand interface.
Wikiwand extension is a five stars, simple, with minimum permission required to keep your browsing private, safe and transparent.