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पूर्ण ऐजिटक संगमा (जन्म : 1 सितम्बर 1947, मेघालय, मृत्यु: 04.03.2016) भारत के एक राजनेता थे। वे मेघालय के मुख्यमंत्री, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सह-संस्थापक और लोकसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। वे आठ बार लोकसभा-सदस्य रह चुके हैं। मृत्यु के समय वे तुरा (अनुसूचित जनजाति) लोकसभा सीट से सांसद थे।
पी॰ ए॰ संगमा | |
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पद बहाल 25 मई 1996 – 23 मार्च 1998 | |
पूर्वा धिकारी | शिवराज पाटिल |
उत्तरा धिकारी | जी.एम.सी. बालयोगी |
पद बहाल 6 फरवरी 1988 – 25 मार्च 1990 | |
पूर्वा धिकारी | विलियमसन ए संगमा |
उत्तरा धिकारी | बी.बी. लिंगदोह |
जन्म | 1 सितंबर 1947 चपाहठी, गारो हिल्स डिस्ट्रिक्ट, असम, पश्चिम गारो हिल्स जिला, मेघालय) |
मृत्यु | 4 मार्च 2016 68 वर्ष) नई दिल्ली | (उम्र
जन्म का नाम | पूर्ण ऐजिटक संगमा |
राजनीतिक दल | नेशनल पीपल्स पार्टी (2012—2016) |
अन्य राजनीतिक संबद्धताऐं |
निर्दलीय (2012—2013) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (1999—2004; 2005—2012) |
शैक्षिक सम्बद्धता | राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना |
धर्म | ईसाई धर्म |
उन्हें मरणोपरांत वर्ष 2017 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण प्रदान किया गया। वे मेघालय से पद्म विभूषण के पहले प्राप्तकर्ता है।
पी ए संगमा का जन्म 1 सितंबर 1947 को पश्चिम गारो हिल्स, मेघालय के चपाथी ग्राम में हुआ था। शिलांग से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद पी.ए. संगमा ने असम के डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय से अंतर्राष्ट्रीय संबंध में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने एल.एल.बी. की परीक्षा भी उत्तीर्ण की।[1]
वर्ष 1973 में पी.ए. संगमा प्रदेश युवा कांग्रेस समिति के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। कुछ ही समय बाद वह इस समिति के महासचिव नियुक्त हुए। वर्ष 1975 से 1980 तक पी.ए. संगमा प्रदेश कांग्रेस समिति के महासचिव रहे। वर्ष 1977 के लोकसभा चुनावों में पी.ए. संगमा तुरा निर्वाचन क्षेत्र से जीत दर्ज करने के बाद पहली बार सांसद बने। चौदहवीं लोकसभा चुनावों तक वह इस पद पर लगातार जीतते रहे। हालांकि नौवीं लोकसभा में वह जीत दर्ज करने में असफल रहे थे।[2]
वर्ष 1980-1988 तक पी.ए. संगमा केन्द्रीय सरकार के अंतर्गत विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे। वर्ष 1988-1991 तक वे मेघालय के मुख्यमंत्री भी रहे। वर्ष 1999 में कांग्रेस से निष्कासित होने के बाद शरद पवार और तारिक अनवर के साथ मिलकर पी.ए. संगमा ने नेशनल कांग्रेस पार्टी की स्थापना की। शरद पवार के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी से नजदीकी बढ़ जाने के कारण पी.ए. संगमा ने अपनी पार्टी का ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस पार्टी में विलय कर नेशनलिस्ट तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की। 10 अक्टूबर 2005 को अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के सदस्य के तौर पर लोकसभा पद से इस्तीफा देने के बाद पी.ए. संगमा फरवरी 2006 में नेशनल कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि के तौर पर संसद पहुंचे। 2008 के मेघालय विधानसभा चुनावों में भाग लेने के लिए उन्होंने चौदहवीं लोकसभा से इस्तीफा दे दिया। पी.ए संगमा एन.सी.पी. के महासचिव पद पर भी रहे।[3][4]
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