नितिन गडकरी
भारतीय राजनीतिज्ञ विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
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नितिन गडकरी (जन्म : २७ मई १९५७) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं तथा भारत सरकार में सड़क परिवहन और राजमार्ग, जहाज़रानी, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री हैं। इससे पहले २०१०-२०१३ तक वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। बावन वर्ष की आयु में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बनने वाले वे इस पार्टी के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष थे। उनका जन्म महाराष्ट्र के नागपुर ज़िले में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। वे कामर्स में स्नातकोत्तर हैं इसके अलावा उन्होंने कानून तथा बिजनेस मनेजमेंट की पढ़ाई भी की है।[1] वो भारत के एक उद्योगपति हैं।[2]
नितिन गडकरी | |
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सड़क परिवहन, राजमार्ग व जहाजरानी मंत्री, भारत सरकार | |
पदस्थ | |
कार्यालय ग्रहण 26 मई 2014 | |
प्रधानमंत्री | नरेन्द्र मोदी |
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री, भारत सरकार | |
पदस्थ | |
कार्यालय ग्रहण 4 जून 2014 | |
प्रधानमंत्री | नरेन्द्र मोदी |
पूर्वा धिकारी | गोपीनाथ मुंडे |
पद बहाल 1 जनवरी 2010 – 22 जनवरी 2013 | |
पूर्वा धिकारी | राजनाथ सिंह |
उत्तरा धिकारी | राजनाथ सिंह |
लोक निर्माण विभाग मंत्री, महाराष्ट्र | |
पद बहाल 27 मई 1995 – 1999 | |
जन्म | 27 मई 1961 नागपुर, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
राजनीतिक दल | भारतीय जनता पार्टी |
जीवन संगी | कंचन गडकरी |
बच्चे | निखिल, सारंग और केतकी |
शैक्षिक सम्बद्धता | नागपुर विश्वविद्यालय |
व्यवसाय | वकील, उद्योगपति |
धर्म | हिन्दू |
जालस्थल | nitingadkari.in |
गडकरी सफल उद्यमी हैं। वह एक बायो-डीज़ल पंप, एक चीनी मिल, एक लाख २० हजार लीटर क्षमता वाले इथानॉल ब्लेन्डिंग संयत्र, २६ मेगावाट की क्षमता वाले बिजली संयंत्र, सोयाबीन संयंत्र और को जनरेशन ऊर्जा संयंत्र से जुड़े हैं। गडकरी ने १९७६ में नागपुर विश्वविद्यालय में भाजपा की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की। बाद में वह २३ साल की उम्र में भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने।[3] अपने ऊर्जावान व्यक्तित्व और सब को साथ लेकर चलने की ख़ूबी की वजह से वे सदा अपने वरिष्ठ नेताओं के प्रिय बने रहे।[4] १९९५ में वे महाराष्ट्र में शिव सेना- भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार में लोक निर्माण मंत्री बनाए गए और चार साल तक मंत्री पद पर रहे। मंत्री के रूप में वे अपने अच्छे कामों के कारण प्रशंसा में रहे। १९८९ में वे पहली बार विधान परिषद के लिए चुने गए, पिछले २० वर्षों से विधान परिषद के सदस्य हैं और आखिरी बार २००८ में विधान परिषद के लिए चुने गए। वे महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता भी रहे हैं। उन्होंने अपनी पहचान ज़मीन से जुड़े एक कार्यकर्ता के तौर पर बनाई है और वे एक राजनेता के साथ-साथ एक कृषक और एक उद्योगपति भी हैं।[5]
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