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1963 की फिल्म विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
दिल ही तो है 1963 में बनी हिन्दी की फिल्म है। इसका निर्देशन सी॰ एल॰ रावल और पी॰ एल॰ संतोषी ने किया और निर्माण बी॰ एल॰ रावल ने किया। इसमें राज कपूर और नूतन प्रमुख भूमिकाओं में हैं।
आपने तीन बच्चों के गुजर जाने के बाद अमीर नवाब जालुद्दीन और उसकी पत्नी ने अपने रिश्तेदारों, सबरा और फरीदा के पास अपने चौथी संतान यूसुफ को छोड़ने का फैसला किया। उनके पास अपना पहले से भी एक बेटा शेखु है। 3 साल बाद, वे चाहते हैं कि यूसुफ को वापस ले लिया जाए लेकिन फरीदा ने रेलवे स्टेशन पर यूसुफ को छोड़ दिया और शेखु को उनको दे दिया। शेखु को स्वीकार कर लिया जाता है, जबकि यूसुफ एक गरीब हिंदू आया के पास पहुंच जाता है।
विडंबना यह है कि यूसुफ को अपनाने का फैसला करने के बाद खुद नवाब के साथ आया को अपनी नौकरी खो देनी पड़ती है। वर्षों बाद, युसुफ बड़े हो गया है और ऑल इंडिया रेडियो पर 'चाँद' के रूप में गाता हैं। वह अमीर विधुर खान बहादुर की बेटी, जमीला बानू से मिलता है और प्यार करने लगता है। इससे अनजाने में घटनाओं की एक श्रृंखला स्थापित होती हैं।
सभी गीत साहिर लुधियानवी द्वारा लिखित; सारा संगीत रोशन द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायन | अवधि |
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1. | "यूँ ही दिल ने चाहा था" | सुमन कल्याणपुर | 3:18 |
2. | "दिल जो भी कहेगा मानेंगे" | मुकेश | 3:14 |
3. | "गुस्से में जो नखरा है" | मुकेश | 3:12 |
4. | "लागा चुनरी में दाग" | मन्ना डे | 6:29 |
5. | "पर्दा उठे सलाम हो जाये" | मन्ना डे, आशा भोंसले | 3:19 |
6. | "तुम अगर मुझको ना चाहो" | मुकेश | 3:27 |
7. | "भूले से मोहब्बत कर बैठा" | मुकेश | 3:57 |
8. | "निगाहें मिलाने को जी चाहता है" | आशा भोंसले | 6:36 |
9. | "तुम्हारी मस्त नजर गर" | मुकेश, लता मंगेशकर | 3:24 |
10. | "चुरा ले ना तुमको ये मौसम" | मुकेश, सुमन कल्याणपुर | 3:15 |
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