जेन आस्टिन

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जेन आस्टिन

जेन औस्टिन (Jane Austen ; 16 दिसम्बर 1775 – 18 जुलाई 1817) एक अंग्रेजी उपन्यासकार थीं, जिन्हें मुख्य रूप से उनके छह प्रमुख उपन्यासों के लिए जाना जाता था, जो 18 वीं शताब्दी के अंत में ब्रिटिश जमींदारों की व्याख्या, आलोचना और टिप्पणी करते हैं। औस्टिन के कथानक अक्सर अनुकूल सामाजिक प्रतिष्ठा और आर्थिक सुरक्षा की खोज में विवाह पर महिलाओं की निर्भरता का पता लगाते हैं। उनकी रचनाएँ 18वीं सदी के उत्तरार्ध की संवेदनशीलता के उपन्यासों की आलोचना करती हैं और 19वीं शताब्दी के साहित्यिक यथार्थवाद के संक्रमण का भाग हैं। उनके यथार्थवाद और सामाजिक टिप्पणी के साथ-साथ कटु विडम्बना के उपयोग ने आलोचकों और विद्वानों के बीच उनकी प्रशंसा अर्जित की है।

सामान्य तथ्य जेन औस्टिन, जन्म ...
जेन औस्टिन
Thumb
जन्म16 दिसंबर 1775
स्टीवन्टन, हैम्पशायर, इंग्लैंड
मृत्यु18 जुलाई 1817
विंचेस्टर, हैम्पशायर, इंग्लैंड

हस्ताक्षरThumb
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परिचय

सारांश
परिप्रेक्ष्य

अंग्रेजी कथासाहित्य में जेन आस्टिन का विशिष्ट स्थान है। इनका जन्म सन्‌ १७७५ ई. में इंग्लैंड के स्टिवेंटन नामक छोटे से गांव में हुआ था। मां-बाप के सात बच्चों में ये सबसे छोटी थीं। इनका प्राय: सारा जीवन ग्रामीण क्षेत्र के शांत वातावरण में ही बीता। सन्‌ १८१७ में इनकी मृत्यु हुई। प्राइड ऐंड प्रेजुडिस, सेंस ऐंड सेंसिबिलिटी, नार्देंजर, अबी, एमा, मैंसफील्ड पार्क तथा परसुएशन इनके छह मुख्य उपन्यास हैं। कुछ छोटी मोटी रचानाएं वाट्संस, लेडी सूसन, सडिशन और लव ऐंड फ्रेंडशिप उनकी मृत्यु के सौ वर्ष बाद सन्‌ १९२२ और १९२७ के बीच छपीं।

जेन आस्टिन के उपन्यासों में हमें १८वीं शताब्दी की साहित्यिक परंपरा की अंतिम झलक मिलती है। विचार एवं भावक्षेत्र में संयम और नियंत्रण, जिनपर हमारे व्यक्तिगत तथा सामाजिक जीवन का संतुलन निर्भर करता है, इस क्लासिकल परंपरा की विशेषताएं थीं। ठीक इसी समय अंग्रेजी साहित्य में इस परंपरा के विरुद्ध रोमानी प्रतिक्रिया बल पकड़ रही थी। लेकिन जेन आस्टिन के उपन्यासों में उसका लेशमात्र भी संकेत नहीं मिलता। फ्रांस की राज्यक्रांति के प्रति भी, जिसका प्रभाव इस युग के अधिकांश लेखकों की रचनाओं में परिलक्षित होता है, ये सर्वथा उदासीन रहीं। इंग्लैंड के ग्रामीण क्षेत्र में साधारण ढंग से जीवनयापन करते हुए कुछ इने गिने परिवारों की दिनचर्या ही उनके लिए पर्याप्त थी। दैनिक जीवन के साधारण कार्यकलाप, जिन्हें हम कोई महत्व नहीं देते, उनके उपन्यासों की आधारभूमि है। असाधारण या प्रभावोत्पादक घटनाओं का उनमें कतई समावेश नहीं।

जेन आस्टिन की रचनाएं कोरी भावुकता पर मधुर व्यंग्य से ओतप्रोत हैं। स्त्री-पुरुष-संबंध उनके उपन्यासों का केंद्रबिंदु है, लेकिन प्रेम का विस्फोटक रूप वे कहीं भी नहीं प्रदर्शित करतीं। उनके नारी पात्रों का दृष्टिकोण इस विषय में पूर्णतया व्यावहारिक है। उनके अनुसार प्रेम की स्वाभाविक परिणति विवाह एवं सुखी दांपत्य जीवन में ही है।

शिक्षा देने या समाजसुधार की प्रवृत्ति जेन आस्टिन में बिलकुल नहीं थी। अपने आसपास के साधारण जीवन की कलात्मक अभिव्यक्ति ही उनका ध्येय थी। अन्य दृष्टिकोणों से भी उनका क्षेत्र सीमित था। फिर भी उनके उपन्यासों में मानव जीवन की नैसर्गिक अनुभूतियों का व्यापक दिग्दर्शन मिलता है। कला एवं रूपविधान की दृष्टि से भी उनके उपन्यास उच्च कोटि के हैं।

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