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कवि, गीतकार और पटकथा लेखक (जन्म:1945) विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
जावेद अख़्तर कवि और हिन्दी फ़िल्मों के गीतकार और पटकथा लेखक हैं। वह सीता और गीता, ज़ंजीर, दीवार और शोले की कहानी, पटकथा और संवाद लिखने के लिये प्रसिद्ध है। ऐसा वो सलीम ख़ान के साथ सलीम-जावेद की जोड़ी के रूप में करते थे। इसके बाद उन्होंने गीत लिखना जारी किया जिसमें तेज़ाब, 1942: अ लव स्टोरी, बॉर्डर और लगान शामिल हैं। उन्हें कई फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार, राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार और पद्म भूषण प्राप्त हैं। 2020 में उन्हें धर्मनिरपेक्षता और फ्री थिंकिंग को बढ़ावा देने में उनके योगदान के लिए रिचर्ड डॉकिंस अवार्ड से सम्मानित किया गया।[1][2]
जावेद अख़्तर का नाम देश का बहुत ही जाना-पहचाना नाम हैं। जावेद अख़्तर शायर, फ़िल्मों के गीतकार और पटकथा लेखक तो हैं ही, सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप में भी एक प्रसिद्ध हस्ती हैं। इनका जन्म 17 जनवरी 1945 को ग्वालियर में हुआ था। पिता जाँ निसार अख़्तर प्रसिद्ध प्रगतिशील कवि और माता सफ़िया अख़्तर मशहूर उर्दु लेखिका तथा शिक्षिका थीं। ज़ावेद प्रगतिशील आंदोलन के एक और सितारे लोकप्रिय कवि मजाज़ के भांजे भी हैं। अपने दौर के प्रसिद्ध शायर मुज़्तर ख़ैराबादी जावेद के दादा थे। पर इतना सब होने के बावजूद जावेद का बचपन विस्थापितों सा बीता। छोटी उम्र में ही माँ का आंचल सर से उठ गया और लखनऊ में कुछ समय अपने नाना नानी के घर बिताने के बाद उन्हें अलीगढ अपने ख़ाला के घर भेज दिया गया जहाँ के स्कूल में उनकी शुरूआती पढाई हुई।
जावेद ने दो विवाह किये हैं। उन कि पहली पत्नी से दो बच्चे हैं- फ़रहान अख़्तर और ज़ोया अख़्तर। फ़रहान पेशे से फ़िल्म निर्माता, निर्देशक, अभिनेता, गायक हैं। ज़ोया भी निर्देशक के रूप में अपने करियर कि शुरुआत कर चुकी हैं। उनकी दूसरी पत्नी फ़िल्म अभिनेत्री शबाना आज़मी हैं।
भारत सरकार ने सन् २००७ में जावेद को पद्म भूषण से सम्मानित किया।[3]
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