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1970 की रामानंद सागर की फ़िल्म विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
गीत 1970 की हिन्दी फिल्म है। यह फिल्म रामानंद सागर द्वारा निर्मित और निर्देशित है।[1] फिल्म में राजेन्द्र कुमार, माला सिन्हा, सुजीत कुमार, मनमोहन कृष्ण, आदि हैं। संगीत कल्याणजी आनंदजी द्वारा है। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर 'औसत' रही थी।
गीत | |
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गीत का पोस्टर | |
निर्देशक | रामानंद सागर |
लेखक | रामानंद सागर |
निर्माता | रामानंद सागर |
अभिनेता |
राजेन्द्र कुमार माला सिन्हा सुजीत कुमार |
संपादक | लक्ष्मणदास |
संगीतकार | कल्याणजी आनंदजी |
प्रदर्शन तिथि |
1970 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
कमला (माला सिन्हा) एक सफल मंच कलाकार है, जो अपने विधुर पिता दीनदयाल (नासिर हुसैन) के साथ दिल्ली में रहती है। वह कुँवर शमशेर सिंह (सुजीत कुमार) के स्वामित्व वाली कंपनी में काम करती है। वो उससे शादी करना चाहता है, लेकिन उसे बताने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है। ज्यादा काम के बाद, वह अवकाश लेना चाहती है और इसलिए कुल्लू चली जाती है। वहाँ, वह एक स्थानीय चरवाहे, सरजू (राजेन्द्र कुमार) के गीत को सुनती है। वे एक साथ समय बिताते हैं और कमला धीरे-धीरे उस पर मोहित हो जाती है। बाद में वह अपने प्रतिबद्ध शो खत्म करने के लिए दिल्ली लौटती है।
वहाँ, वह कुँवर को अपनी सेवानिवृत्ति के बारे में बताती है, जिसका दिल टूट जाता है। वह अंत में अपनी भावनाओं को व्यक्त करता है और कमला से पुनर्विचार करने के लिए कहता है। कमला उसे बताती है कि वह अब कुछ नहीं कर सकती, हालाँकि वो उससे सहानुभूति रखती है। कुछ दिनों के बाद, सरजू अपनी बहन जानकी (कुमकुम) के साथ अचानक दिल्ली आ जाता है। कमला उसे कुँवर से मिलवाती है, जो पहले से ही सरजू से काफी ईर्ष्या रखता है। वह सरजू को मंच पर उनके साथ प्रस्तुति देना अस्वीकार करता है। लेकिन कमला के सरजू के रूप को बदलने के बाद मंजूरी दे देता है। कमला और सरजू की जोड़ी स्टेज शो करती है और वो काफी पसंद किये जाते हैं। वे लोग व्यवसायी अशोक के साथ जानकी की शादी तय करते हैं। कमला और सरजू भी उसी समय शादी करने का फैसला करते हैं।
लेकिन ईर्ष्या से भरा कुँवर, सरजू को मारने की व्यवस्था करता है। उस दुर्घटना से सरजू बच जाता है, लेकिन सिर में चोट के कारण बोल नहीं पाता। वे जानकी की शादी आयोजित करते हैं और उसे उसके पति के घर भेज देते हैं। कमला, सरजू की देखभाल करती है और उसके ठीक होते ही उससे शादी करना चाहती है। अब कुँवर, कमला के पिता की हत्या कर देता है और सरजू को फँसा देता है। सरजू को अपने पिता के शव के बगल में हाथ में चाकू लिए खड़े देखकर, कमला भी मान जाती है कि उसने मानसिक विकलांगता के कारण उसके पिता को मार डाला। वह उसे उसके बहन के घर भेज देती है, लेकिन सरजू जानकी का घर भी छोड़ देता है। वह मजदूर के रूप में काम करता है जहां उसका मालिक उसे बाँसुरी बजाते हुए सुनता है और उसे रेडियो पर बजाने के लिये आमंत्रित करता है।
कमला एक शर्त पर कुँवर से शादी करने के लिए राजी हो जाती है कि हत्या के आरोप में सरजू को पुलिस के हवाले नहीं किया जायेगा। लेकिन कुँवर, सरजू को पूरी तरह से हटाने की योजना बनाता है और सरजू को मारने के लिए गुंडे भेजता है। सरजू भाग जाता है और फिर से अपनी आवाज निकालने में सफल हो जाता है। वह कुँवर को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस लेकर आता है और कमला को सच्चाई का पता चलता है; कि कुँवर उसके पिता का असली हत्यारा है। कमला और सरजू फिर से मिल जाते हैं और कुल्लू चले जाते हैं।
सभी कल्याणजी-आनंदजी द्वारा संगीतबद्ध।
क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | गायक | अवधि |
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1. | "मेरे मितवा मेरे मीत रे" (डुएट) | आनंद बख्शी | मोहम्मद रफी, लता मंगेशकर | 3:40 |
2. | "जिसके सपने हमें रोज आते रहे" | हसरत जयपुरी | महेन्द्र कपूर, लता मंगेशकर | 5:04 |
3. | "मेरे मितवा मेरे मीत रे" (सोलो) | आनंद बख्शी | मोहम्मद रफी | 3:45 |
4. | "तेरे नैना क्यों भर आये" | आनंद बख्शी | लता मंगेशकर | 5:08 |
5. | "जो तस्वीर दिल में बसाई थी" | हसरत जयपुरी | आशा भोंसले | 4:51 |
6. | "तेरे नैना क्यों भर आये" (II) | आनंद बख्शी | महेन्द्र कपूर | 1:05 |
7. | "कभी होंठों से मुझे भी लगा ले" | प्रेम धवन | सुमन कल्याणपुर | 3:33 |
8. | "तुझे मजनूँ की कसम" (गीतिनाट्य) | हसरत जयपुरी | मोहम्मद रफी, आशा भोंसले | 11:20 |
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