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भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य सिक्किम की राजधानी विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
गान्तोक (तिब्बती: སྒང྄ཐོག ,अंग्रेजी: Gangtok) भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य सिक्किम की राजधानी है। एक बहुत आकर्षक शहर है जो रानीपूल नदी के पश्चिम ओर बसा है। कंचनजंघा शिखर की संपूर्ण शृंखला की सुंदर दृश्यावली यहां से दिखाई देती है। गंगटोक के प्राचीन मंदिर, महल और मठ आपको सपनों की दुनिया की सैर कराएंगे।
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यहां देखने लायक कई स्थान हैं जैसे, गणेश टोक, हनुमान टोक तथा ताशि व्यू प्वांइट। अगर आप गंगटोक घूमने का पूरा लुफ्त उठाना चाहते हैं तो इस शहर को पैदल घूमें। यहां से कंचनजंघा नजारा बहुत ही आकर्षक प्रतीत होता है। इसे देखने पर ऐसा लगता है मानो यह पर्वत आकाश से सटा हुआ है तथा हर पल अपना रंग बदल रहा है।
अगर आपकी बौद्ध धर्म में रुचि है तो आपको इंस्टीट्यूट ऑफ तिब्बतोलॉजी जरुर घूमना चाहिए। यहां बौद्ध धर्म से संबंधित अमूल्य प्राचीन अवशेष तथा धर्मग्रन्थ रखे हुए हैं। यहां अलग से तिब्बती भाषा, संस्कृति, दर्शन तथा साहित्य की शिक्षा दी जाती है। इन सबके अलावा आप प्राचीन कलाकृतियों के लिए पुराने बाजार, लाल बाजार या नया बाजार भी घूम सकते हैं।
गंगटोक से 40 किलोमीटर की दूरी पर यह झील स्थित है। यह झील चारों ओर से बर्फीली पहाडियों से घिरा हुआ है। झील एक किलोमीटर लंबा तथा 50 फीट गहरा है। यह अप्रैल महीने में पूरी तरह बर्फ में तब्दील हो जाता है। सुरक्षा कारणों से इस झील को एक घंटे से अधिक देर तक नहीं घूमा जा सकता है। जाड़े के समय में इस झील में प्रवास के लिए बहुत से विदेशी पक्षी आते हैं। इस झील से आगे केवल एक सड़क जाती है। यही सड़क आगे नाथूला दर्रे तक जाती है। यह सड़क आम लोगों के लिए खुला नहीं है। लेकिन सेना की अनुमति लेकर यहां तक जाया जा सकता है।
लाम्पोखरी, गंगटोक से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक झील है। गंगटोक से यहाँ पाक्योंग अथवा रम्फू होते हुए टैक्सी से पहुंचा जा सकता है। झील चारों ओर से पहाड़ियों से घिरी हुई है। झील एक किलोमीटर लंबी तथा 50 फुट तक गहरी है। यहाँ पर अनेक दर्शनीय स्थल हैं।
रुमटेक घूमे बिना गंगटोक का सफर अधूरा माना जाता है। यह मठ गंगटोक से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मठ 300 वर्ष पुराना है। रुमटेक सिक्किम का सबसे पुराना मठ है। 1960 के दशक में इस मठ का पुननिर्माण किया गया था। इस मठ में एक विद्यालय तथा ध्यान साधना के लिए एक अलग खण्ड है। इस मठ में बहुमूल्य थंगा पेंटिग तथा बौद्ध धर्म के कग्यूपा संप्रदाय से संबंधित वस्तुएं सुरक्षित अवस्था में है। इस मठ में सुबह में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा की जाने वाली प्रार्थना बहुत कर्णप्रिय होती है।
यह गंगटोक के प्रमुख आकर्षणों में एक है। इसे सिक्किम का सबसे महत्वपूर्ण स्तूप माना जाता है। इसकी स्थापना त्रुलुसी रिमपोचे ने 1945 ई. में की थी। त्रुलुसी तिब्बतियन बौद्ध धर्म के नियंगमा सम्प्रदाय के प्रमुख थे। इस मठ का शिखर सोने का बना हुआ है। इस मठ में 108 प्रार्थना चक्र है। इस मठ में गुरु रिमपोचे की दो प्रतिमाएं स्थापित है।
इनहेंची का शाब्दिक अर्थ होता है निर्जन। जिस समय इस मठ का निर्माण हो रहा था। उस समय इस पूरे क्षेत्र में सिर्फ यही एक भवन था। इस मठ का मुख्य आकर्षण जनवरी महीने में यहां होने वाला विशेष नृत्य है। इस नृत्य को चाम कहा जाता है। मूल रूप से इस मठ की स्थापना 200 वर्ष पहले हुई थी। वर्तमान में जो मठ है वह 1909 ई. में बना था। यह मठ द्रुपटोब कारपो को समर्पित है। कारपो को जादुई शक्ित के लिए याद किया जाता है।
इस अभ्यारण्य में ऑर्किड का सुंदर संग्रह है। यहां सिक्किम में पाए जाने वाले 454 किस्म के ऑर्किडों को रखा गया है। प्राकृतिक सुंदरता को पसंद करने वाले व्यक्तियों को यह अवश्य देखना चाहिए।
ताशी लिंग मुख्य शहर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से कंचनजंघा श्रेणी बहुत सुंदर दिखती है। यह मठ मुख्य रूप से एक पवित्र बर्त्तन बूमचू' के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस बर्त्तन में पवित्र जल रखा हुआ है। यह जल 300 वर्षों से इसमें रखा हुआ है और अभी तक नहीं सुखा है।
यहां बौद्ध धर्म से संबंधित प्राचीन ग्रंथों का सुंदर संग्रह है। यहां का भवन भी काफी सुंदर है। इस भवन की दीवारों पर बुद्ध तथा संबंधित अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का प्रशंसनीय चित्र है। यह भवन आम लोगों और पर्यटकों के लिए 'लोसार पर्व' के दौरान खोला जाता है। लोसार एक प्रमुख नृत्य त्योहार है।
यह स्थान गंगटोक के पश्िचम में 145 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां कुछ घर तथा अधिक संख्या में होटल हैं। यहां से कंचनजघां का अदभूत दृश्य दिखता है। यहां से पर्वत चोटी बहुत नजदीक लगती है। ऐसा लगता है मानो यह मेरे बगल में है और मैं इसे छू सकता हूं। यहां मौसम बहुत सुहावना होता है।
पिलींग से कुछ ही दूरी पर सिक्किम का दूसरा सबसे पुराना मठ 'सांगो-चोलिंग' है। यह सिक्किम के महत्वपूर्ण मठों में से एक है। इस मठ में एक छोटा सा कब्रिस्तान भी है। इस मठ के दीवारों पर बहुत ही सुंदर चित्रकारी की गई है। पिलींग आने वाले को इस मठ को अवश्य घूमना चाहिए।
यह मठ पिलींग से थोड़ी देर की पैदल दूरी पर स्थित है। ग्यालसिंग से इसकी दूरी 6 किलोमीटर पड़ती है। यह सिक्किम का सबसे महत्वपूर्ण और प्रतिष्िठत मठ है। यहां बौद्ध धर्म की पढ़ाई भी होती है। यहां बौद्ध धर्म की प्राथमिक, सेकेण्डरी तथा उच्च शिक्षा प्रदान की जाती है। यहां 50 बिस्तरों का एक विश्राम गृह भी है। पर्यटक को भी यहां ठहरने की सुविधा प्रदान की जाती है। इस मठ में कई प्राचीन धर्मग्रन्थ तथा अमूल्य प्रतिमाएं सुरक्षित अवस्था में हैं। पेमायनस्ती मठ का विशेष आकर्षण यहां लगने वाला बौद्ध मेला है। यहां हर वर्ष फरवरी महीने में यह मेला लगता है।
शाही पूजा स्थल, जो बौद्धों के लिए पूजा का मुख्य स्थान है। यह एक सुंदर और आकर्षक भवन है, यहां भगवान बुद्ध की प्रतिमाओं और लकड़ी पर नक्काशी के कार्य का बहुत बड़ा संग्रह है।
यह मठ गंगटोक से 24 कि॰मी॰ दूर है। यह ग्यालवा करमापा का स्थान है, जो तिब्बत में बौद्ध धर्म के कगयूपा अनुयायियों के प्रमुख हैं। यहां तिब्बती धर्म से संबंधित अनेक पेंटिंग्स प्रदर्शित हैं। धर्मालाप के सत्रों में यहां अनेक यात्री आते हैं। मंदिर के पीछे बौद्ध धर्म के अध्ययन केलिए स्थित संस्थान में मठवासी अध्ययन करते हैं। रमटेक में फरवरी माह में तिब्बती नव वर्ष से दो दिन पूर्व चाम नृत्य का आयोजन किया जाता है। इस दौरान आप झांझ-मजीरे और ढोल की थाप पर नाचते मठवासियों को देख सकते हैं।
निगमापा शैली में बना यह मोहक गोम्पा शहर के मध्य से 3 कि॰मी॰ उत्तर पूर्व में स्थित है।
सिक्किम स्थित इस सेंचुरी में 450 दुर्लभ किस्म के ऑर्किड हैं। इनमें से कुछ सुंदर अन्य कहीं नहीं पाए जाते। यहां आने के लिए अप्रैल और मई का प्रारंभ और सितंबर से दिसंबर के बीच का समय सर्वश्रेष्ठ है। आप गंगटोक से 12 कि॰मी॰ दक्षिण में स्थित एक और उत्कृष्ट ऑर्किड सेंचुरी ऑर्किडेरियम भी देख सकते हैं।
सुंदर कलियों और फू लों को यहां खिलते-महकते देखा जा सकता है। पुष्प प्रदर्शनी केंद्र में आप प्रकृति के विविध रंगों के खूबसूरत नज़ारे का आनंद ले सकते हैं, यहां ऑर्किड और फूलों की अन्य प्रजातियों की किस्में देखी जा सकती हैं।
यह विशाल सफेद चोर्टन 108 प्रेयर-व्हील्स (जिन्हें दक्षिणावर्त दिशा में घुमाना चाहिए) से घिरा हुआ है।
बच्चे इस स्थान को अवश्य पसंद करेंगे। आप प्राकृतिकवातावरण में विभिन्न प्रकार के हिरणों को देख सकते हैं। यदि आप प्रात: 7.30 बजे से 8.00 बजे के आसपास पार्क में आएं तो आपको हिरण चरते हुए मिल जाएंगे।
गंगटोक | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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जलवायु सारणी (व्याख्या) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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