खुरई
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खुरई (Khurai) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के सागर ज़िले में स्थित एक नगर है। जो की उपजिला है यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है।[1][2]
खुरई jila khurai Khurai | |
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खुरई रेलवे स्टेशन | |
निर्देशांक: 24.04°N 78.33°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | मध्य प्रदेश |
ज़िला | सागर ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 51,108 2,021 के बाद से लगभग 1,00,000 से ज्यादा हो गई है |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
विवरण
खुरई सागर ज़िले की एक बहुत पुरानी तहसील और एक बहुत बड़ा विधानसभा क्षेत्र भी है। यहां उन्नत गेहूं की पैदावार होती है तथा कृषि यंत्रो का भी निर्माण होता है।। यहां के कृषि यंत्र सारे देश मे जाने जाते हैं। यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थान - लाल मन्दिर, गौड़ राजाओं का किला, डोहेला मन्दिर आदि हैं। वर्तमान में हनोता बीना नदी परियोजना से खुरई हनोता को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। सन् 2018 में खुरई नगर की सीमा बढ़ाये जाने पर आस पास के 12 गाँव खुरई नगर सीमा में आ गए हैं, जिससे खुरई नगर की जनसँख्या बढ़ गई है। अब खुरई में 32 वार्ड हैं।
खुरई नगर पालिका का गठन 1893 में हुआ था उस वक्त मध्यप्रदेश की सबसे अच्छी नगर पालिकाओं में इंदौर एवं खुरई का स्थान था। खुरई मंडी सागर जिले की सबसे पुरानी मंडी तथा मध्यप्रदेश की सबसे पुरानी मंडियों में से एक है जिसकी स्थापना 1893 में ही हुई थी जो खुरई गंज के नाम से जानी जाती थी। खुरई मंडी आज भी 306 गेहूं के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है। खुरई कृषि यंत्रों के निर्माण के लिए खुरई का नाम सारे देश में जाना जाता है। यहां निर्मित कृषि यंत्र उच्च गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं। देश भर से लोग कृषि यंत्रों को लेने यहां आते हैं। खुरई पुलिस थाने के भवन का निर्माण 1904 में हुआ था और करीब 35 वर्षों से यहां उपजेल स्थापित है। तथा अदालत की स्थापना भी खुरई में 1862 में हो चुकी थी। जिला स्तरीय क्षमता युक्त यहां सिविल अस्पताल है जिसे 150 बेड. किया जाना प्रस्तावित है। जिला स्तरीय तर्ज पर नए तरह से अनुविभागीय कार्यालय हैं। विवेक श्रीवास्तव (विवु) द्वारा उपलोड किया गया।।
खुरई डोहेला मंदिर
खुरई डोहेला मंदिर का निर्माण 1752 में हुआ था। यहां कई देवी देवताओं के मंदिर हैं पर मुख्य रूप से इसकी पहचान भगवान विष्णु के मंदिर से है। कहा जाता है कि इस मंदिर में मौजूद भगवान विष्णु की मूर्ति सिर्फ 2 जगह मौजूद है। एक बद्रीनाथ धाम और दूसरा खुरई। मकर संक्रांति के पावन पर्व पर यहां महोत्सव होता है जिसे डोहेला महोत्सव कहते हैं इस महोत्सव में दूर-दूर से लोग आते हैं।
इतिहास
लोक कथाएँ है कि महाभारतकाल में कौरवों ने राजा विराट की गायों का अपहरण कर इस नगर से गमन किया था उन गायों के असंख्य खुरों के चिन्हों के कारण इस नगर का नाम खुरई हुआ। खुरई का ऐतिहारिक कालक्रम इस प्रकार है:
- औरंगजेब के शासन मे उसने खुरई-गड़ौला को परगना बना लिया । जिसमें 161 गांव थे जिसमें एरण खुरई सहित 32 गांव खेमचंद्रसिंह दांगी को जागीर में दे दिए गए।
- 1707 ईस्वी में खेमचंद्रसिंह दांगी ने किले का निर्माण करवाया ये गडोला के ठाकुर खुमन सिंह के पुत्र थे।
- 1740 में खेमचंद्र की मृत्यु के बाद उनके पुत्र दीवान अचल सिंह तथा भूमणसिंह के कब्जे में 40 गांव मय निर्माण के चले गए जो 1752 तक रहे।
- 1752 में किले पर पेशवाओं का अधिकार हुआ खुरई पेशवा के प्रतिनिधि गोविंद पंडित के कब्जे में यह चला गया। गोविंद पंडित ने किले तथा कस्बे को बढ़ाया और किले के पीछे एक मंदिर डोहिला बनवाया। डोहिला को किले के पीछे खोदी गई झील से जोड़ दिया गया ये झील किले के दक्षिण में आज भी स्थित है।
- 1857 में भानगढ़ के राजा ने खुरई पर चढ़ाई कर दी तथा ब्रिटिश शासन द्वारा नियुक्त तहसीलदार अहमद किला समर्पित कर खुद भी विद्रोहियों के साथ हो गया व अपने हिसाब से अधिकारियों की नियुक्ति कर दी और 1858 तक वहां रहा। मगर सरहिरोज़ ने भानगढ़ के राजा व उसकी सेना को बरोदिया नौनागिर के युद्ध में पराजित कर दिया तब राजा द्वारा खुरई खिमलासा में नियुक्त अधिकारियों समेत सभी लोग भाग गए।
- 1861 में खुरई को सागर जिले में सम्मिलित किया गया और खुरई को तहसील का दर्जा प्राप्त हुआ। खुरई के प्रथम तहसीलदार पंडित नारायण राव हुए। अदालत की स्थापना भी तहसील बनने के साथ 1862 में हो चुकी थी किले भवन का उपयोग तहसील कचहरी के लिए किया गया।
- 1864 में कर्नल TW ने किले में 2 खंभों का निर्माण कराया वह खंबे आज भी किले में मौजूद है।
- 1885 में नगर का प्रथम स्कूल उर्दू स्कूल के रूप में प्रारंभ हुआ जो किला भवन की ऊपरी मंजिल में संचालित हुआ करता था।
- 1893 में खुरई नगर पालिका का गठन हुआ था उस वक्त मध्यप्रदेश की सबसे बेहतरीन नगर पालिकाओं में इंदौर तथा खुरई का नाम हुआ करता था।
- 1893 में खुरई कृषि मंडी की स्थापना हुई थी जो मध्यप्रदेश की सबसे पुरानी मंडियों में गिनी जाती है..
- 1904 तक खुरई पुलिस थाने का निर्माण भी हो चुका था।
- 1901 में हिन्दी मेन बोर्ड शाला स्थापित हुई जिसे 1945 के पश्चात पहली से आठवीं तक का दर्जा प्राप्त हुआ जो आज किला पूर्व माध्यमिक शाला के नाम से संचालित है।
खुरई से विधायक
- 1951 गया प्रसाद मथुरा प्रसाद, रामलाल बालचंद (कांग्रेस)
- 1957 भदई हलके, ऋषभ कुमार मोहनलाल (कांग्रेस)
- 1962 नंदलाल परमानन्द (कांग्रेस)
- 1967 के एल चौधरी (भारतीय जन संघ)
- 1972 लीलाधर (कांग्रेस)
- 1977 राम प्रसाद (भारतीय जनता पार्टी)
- 1980 हरिशंकर मंगल प्रसाद अहिरवार (कांग्रेस)
- 1985 मालती अरविन्द कुमार (कांग्रेस)
- 1990 धरमु राय (भारतीय जनता पार्टी)
- 1993 धरमु राय (भारतीय जनता पार्टी)
- 1998 धरमु राय (भारतीय जनता पार्टी)
- 2003 धरमु राय (भारतीय जनता पार्टी)
- 2008 अरुणोदय चौबे (कांग्रेस)
- 2013 भूपेंद्र सिंह (भारतीय जनता पार्टी)
- 2018 भूपेंद्र सिंह (भारतीय जनता पार्टी)
- 2023 भूपेंद्र सिंह (भारतीय जनता पार्टी)
खुरई जिला योग्यता
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