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सेल्यूलर जेल
औपनिवेशिक जेल विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
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सेल्यूलर जेल अंडमान निकोबार द्वीप की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में है जो अंग्रेजों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कैद रखने के लिए बनाई गई थी। यह काला पानी के नाम से कुख्यात थी क्योंकि यह भारत की मुख्य भूमि से हजारों किलोमीटर दूर स्थित थी, और सागर से भी हजार किलोमीटर दुर्गम मार्ग पड़ता था।। कालापानी का अर्थ बाकी बचे हुए जीवन के लिए कठोर और अमानवीय यातनाएँ सहना था।
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अनेक भारतीय क्रांतिकारियों को सेलुलर जेल में रखा गया था। इनमें कुछ नाम ये हैं - विनायक दामोदर सावरकर, जयदेव कपूर, आशुतोष लाहिड़ी, होतीलाल वर्मा, बटुकेश्वर दत्त, बाबू राम हरी, नानीगोपाल मुखोपाध्याय, सरदार गुरमुख सिंह, पंडित परमानन्द, वारीन्द्र कुमार घोष, शचीन्द्र नाथ सान्याल, इंदु भूषण राय, पृथ्वी सिंह आज़ाद, पुलिन दास, त्रिलोकी नाथ चक्रबर्ती, आदि।
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इतिहास
सारांश
परिप्रेक्ष्य
यह जेल अंडमान निकोबार द्वीप की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में बनी हुई है। यह अंग्रेजों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कैद रखने के लिए बनाई गई थी, जो कि मुख्य भारत भूमि से हजारों किलोमीटर दूर स्थित थी, व सागर से भी हजार किलोमीटर दुर्गम मार्ग पड़ता था। यह काला पानी के नाम से कुख्यात थी।
अंग्रेजी सरकार द्वारा भारत के स्वतंत्रता सैनानियों पर किए गए अत्याचारों की मूक गवाह इस जेल की नींव 1897 में रखी गई थी। इस जेल के अंदर 694 कोठरियां हैं। इन कोठरियों को बनाने का उद्देश्य बंदियों के आपसी मेल जोल को रोकना था। आक्टोपस की तरह सात शाखाओं में फैली इस विशाल कारागार के अब केवल तीन अंश बचे हैं। कारागार की दीवारों पर वीर शहीदों के नाम लिखे हैं। यहां एक संग्रहालय भी है जहां उन अस्त्रों को देखा जा सकता है जिनसे स्वतंत्रता सैनानियों पर अत्याचार किए जाते थे।
अंडमान में उपनिवेश (उपनिवास, बस्ती या कालोनी) स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य समुद्री तूफानों में फॅसे जहाजों को सुरक्षित स्थान उपलब्ध कराना था। ये सोचा गया की एक स्थाई बस्ती ही समुद्री जहाजों की सुरक्षा का एकमात्र समाधान है। इन द्वीपों में बस्ती बसाने का पहला प्रयास १७८९ में किया गया जब कैप्टेन आर्चिबाल्ड ब्लेयर ने चाथम द्वीप में एक बस्ती बसाई। इस बस्तीको बाद में उत्तरी अंडमान में पोर्ट कॉर्नवालिस स्थानांतरित कर दिया गया क्योंकि उस स्थान को नौसेनिक दृस्टि से उपयुक्त समझा गया। बस्ती बसाने का यह प्रयास सफल नहीं रहा और इसे १७९६ में समाप्तः कर दिया गया।
६० वर्षों के बाद पुनः इन द्वीपों में समुद्री जहाजों की सुरक्षा हेतु स्थाई बस्ती बसाने का सवाल आया परन्तु बंदी उपनिवेश की स्थापना वास्तव में १८५७ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के देशभक्तों को देशनिकाला करने के लिए स्थापित किया गया।
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के २०० स्वतंत्रता सेनानियों के पहले जत्थे के १० मार्च १८५८ को अंडमान तथा निकोबार तथा निकोबार द्वीपों में आगमन के साथ बंदी उपनिवेश की शुरुआत हुई। सभी लम्बी अवधि और आजीवन कारावास की सजा पाए देशभक्तों जो किसी कारणवश बर्मा और भारत में मृत्यु दण्ड से बच गए थे, उन्हें अंडमान के बंदी उपनिवेश में भेजा गया।
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात वहाबी विद्रोह, मणिपुर विद्रोह, आदि से जुड़े सेनानियों और अन्य देशभक्तों को अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने के जुर्म में अंडमान के बंदी उपनिवेश भेजा गया।
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प्रमुख कैदियों की सूची
सारांश
परिप्रेक्ष्य
ब्रिटिश अधिकारियों को अंडेमान निकोबार द्वीप सौंपने से पूर्व जापानियों ने ब्रिटिश सरकार के सभी रिकार्डस, फाइले आदि नष्ट कर दिए थे। 1900 ई० से 1938 ई० तक के कुछ राजनैतिक कैदी, जिन्हें काले पानी की सजा मिली थी, निम्नलिखित हैं-
- अर्जुन सिंह
- अवनि भूषण चक्रवर्ती
- अविनाश राय भट्टाचार्य
- अश्विनी कुमार बोस
- इन्दु भूषण राय
- अत्तर सिंह
- अमर सिंह, दूसरे मांडले केस, 1917 ई० में भाग लिया। गदर पार्टी से सम्बन्ध
- अमर सिंह ( इंजी) जेलर बेरी को थप्पड़ मारने की सजा, दो वर्ष पिंजरा बंद रहे।
- इन्द्र सिंह मल्ला प्रथम लाहौर साजिश केस में आजीवन कारावास
- इन्द्र सिंह भसीन
- उजागर सिंह
- उधम सिंह
- उपेन्द्र नाथ बैनर्जी
- उल्हास कर दत्त
- औगी राजा, विशाखापट्टनम् किसान आंदोलन नेता अन्य साथियों के साथ काला पानी में आजीवन कारावास, अण्डमान में बस गया
- करतार सिंह गदर दल से सम्बन्धित
- काला सिंह
- कांशी राम
- किशोरी लाल -- नौजवान भारत सभा के सदस्य लाहौर षडयंत्र केस में दण्डित ।
- केसर सिंह, लाहौर षडयन्त्र केस में दण्ड मिला ।
- खुशहाल सिंह
- गैण्डा सिंह
- केहर सिंह, जेल यातनाओं के कारण शहीद
- कृपा सिंह, दूसरे लाहौर साजिश केस में सज़ा खड़क सिंह
- गुज्जर सिंह
- गुरदास सिंह
- गुरदित्त सिंह बाबा, गदर लहर में थे
- गुरमुख सिंह, 1937 ई० भूख हड़ताल की। कामागाता मारू के यात्री, कैदी नं० 38504 ; 1916-21 ई० तक सैल० जेल 1922 में मद्रास जेल से भागे, 1936 में पकड़कर पुनः सैल० जेल में
- हरनाम सिंह
- गेवन सिंह
- गोबिंद राम
- चन्द्र सिंह गढ़वाली ने पठानों पर गोली चलवाने से इंकार कर दिया था। 59 साथियों के साथ कोर्ट मार्शल । गांधी-इरविन समझौते के तहत सजा माफ हो जानी थी, परन्तु इस वीर ने मना कर दिया।
- चतर सिंह
- चतर सिंह, को साबुन मांगने पर मिली गाली, विरोध जताने पर पिंजरा बंद बरामदे का एक कोना बंद करके रखा जाता था, भीतर ही, मलमूत्र खाना, सोना आदि
- चनन सिंह
- चेत राम
- चूहड़ सिंह
- जगत राम पण्डित (होशियारपुर ) गदर पत्र का सम्पादक।
- जयदेव कपूर, महावीर सिंह का साथी था।
- जावंद सिंह
- ज्योतिषाराय चन्द्र पाल
- ज्वाला सिंह बाबा, अमेरिका में आलुओं के व्यापारी, गदर पार्टी के पहले उप प्रधान; पहले लाहौर षडयंत्र केस में काला पानी।
- ठाकुर सिंह, लाहौर साजिश केस में सज़ा धन्वंतरी (जम्मू) नौजवान भारत सभा के सदस्य, दिल्ट बम केस में सज़ा
- नत्था सिंह
- नाहर सिंह
- नानी गोपाल
- निधान सिंह, गदरपार्टी के नेता ।
- भाई परमानन्द (छिब्बर) पं० परमानन्द (झांसी)
- प्यारा सिंह, गदर पार्टी से ।
- पृथ्वी सिंह आज़ाद ( 48,50,51, 53 ) स्वतंत्रता सेनानियों विवरण अन्यत्र दिया जाएगा)
- बसंत सिंह, 'गदर' समाचार पत्र प्रकाशन में योगदान बघेल सिंह, पादरी हत्या केस में दण्ड बाज सिंह
- बिशन सिंह, लाहौर साजिश केस में सज़ा
- बिशन सिंह सुपुत्र ज्वाला सिंह, सरहाली, अमृतसर। बिशन सिंह सुपुत्र केहर सिंह, सरहाली, अमृतसर । बिशन सिंह सुपुत्र राम सिंह, सरहाली, अमृतसर।
- बटुकेश्वर दत्त, भगत सिंह व चन्द्रशेखर आजाद का सा दो बार भूख हड़ताल की।
- बुड्डा सिंह, अंडमान जेल में शहीद
- भान सिंह बाबा, जेल यातनाओं के कारण मार्च 1918 ई शहीद । कारावास में अत्याचारों के विरुद्ध लड़ते रहें । मदन सिंह गदर दल के नेता महावीर सिंह (विवरण अन्यत्र )
- मंगल सिंह
- महेन्द्र सिंह
- मसतान सिंह
- महाराज सिंह
- मुंशा सिंह, गदर पार्टी का लोकप्रिय कवि
- रणधीर सिंह बाबा
- राम रखा बाली धर्मवीर (विवरण अन्यत्र )
- राम सरन दास तलवाड़, प्रथम लाहौर षडयन्त्र केस में सज़ा। रूढ़ सिंह ( अत्तर सिंह) जेल में अमानवीय यातनाएं सही।
- रूढ़ सिंह सुपुत्र बसावा सिंह, जेल में अमानवीय यातनाएं सही।
- लहना सिंह बाबा सुपुत्र बुलाका सिंह
- लहना सिंह बाबा, लोपो की
- लाल सिंह बाबा
- लाल चन्द फलक लाहौर षडयंत्र केस में सजा
- लाभ सिंह सुपुत्र राम सिंह लाभ सिंह सुपुत्र बूहड़ सिंह
- वतन सिंह, बाबा विसरण सिंह, संत, जेल में अत्याचारों के विरुद्ध संघर्ष |
- वसावा सिंह, अमृतसर, लाहौर साजिश केस में पहले फांसी का दण्ड, बाद में काला पानी।
- विभूति भूषण
- वीरेन्द्र कुमार
- वीरेन्द्र चन्द्र सेन
- शचीन्द्र नाथ सन्याल
- विठोवा सुपुत्र कोंडा जी, मराठा, 1857 के युद्ध में भाग लिया। 1867 ई० में पकड़ा गया। काला पानी भेजा गया। विभूति राय भूषण सरकार ।
- विलायती राम सुपुत्र दौलत राम, एम. एस. शेर वुड की हत्या से सम्बन्धित
- शिव सिंह जालन्धर
- शिव सिंह होशियारपुर प्रथम लाहौर केस में
- शेर सिंह शिंगारा सिंह
- संत सिंह
- गणेश दामोदर सावरकर
- विनायक दामोदर सावरकर
- सावन सिंह
- सोहन सिंह बाबा ( भाकना) 26 वर्ष जेल काटी ।
- सुरैन सिंह, अंडमान में शहीद | सुरजन सिंह
- सुधीर कुमार (खुलना केस ) सुधीर कुमार (अलीपुर केस )
- सुच्चा सिंह
- हजारा सिंह
- हरदित्त सिंह, मांडले साजिश केस में हरनाम सिंह, टुंडी लाट, गदरी कवि हरभजन सिंह प्रथम लाहौर षडयंत्र केस में। हरि सिंह ( उसमान) गदरी कवि व नेता, शस्त्र संभालने वाले हृदय राम (हिमाचल ) प्रथम लाहौर केस में ।
- हेमचन्द्र दास, दो बेटो सहित आज़ादी के युद्ध में शहीद त्रैलोक्य नाथ चक्रवर्ती (1916 से 1921 तक सैलूलर जेल में) नामधारी आंदोलन :
- गुरू राम सिंह को मांडले जेल में भेज दिया गया। लहना सिंह सुपुत्र, बुलाका सिंह,
- लहना सिंह लोपो की लाल सिंह, तीन सेनानियों के अतिरिक्त 21 व्यक्ति काले पानी भेजे गए।
- मंडी साजिश केस के अन्तर्गत मियां जवाहर सिंह, मियां सिंधु को काले पानी की सजा
- प्यारे लाल वच्छो वाली (लाहौर)
- गदर पार्टी के सभी नेता पकड़ लिए गए। सात को फांसी की सज़ा हुई- करतार सिंह सराभा, विष्णु गणेश पिंगले, जगत सिंह, हरनाम सिंह, बख्शीश सिंह, सुरैन सिंह बड़ा, सुरैन सिंह छोटा भाई परमानन्द छिब्बर, पं० परमानन्द, पृथ्वी सिंह आज़ाद आदि कैदियो को 'काले पानी' भेज दिया गया।
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चित्रावली
- सेल्युलर जेल का एक मॉडल (लघु प्रतिकृति)
- विनायक दामोदर सावरकर
- सेलुलर जेल में स्थापित स्वातंत्र्यवीर सावरकर की प्रतिमा
- तेल निकालने का कोल्हू जिसे कैदियों से जबरदस्ती चलवाया जाता था।
- सेल्युलर जेल का वह कक्ष जहाँ फाँसी दी जाती थी।
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
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