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कराची पाकिस्तान का सबसे बड़ा नगर है और सिन्ध प्रान्त की राजधानी है। यह अरब सागर के तट पर बसा है और पाकिस्तान का सबसे बड़ा बन्दरगाह भी है। इसके उपनगरों को मिलाकर यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह 3527 वर्ग किलोमीटर में फैला है और करीब 1.45 करोड़ लोगों का घर है। यहाँ के निवासी इस शहर की ज़िन्दादिली की वजह से इसे रौशनियों का शहर और क़ैद-ए-आज़म जिन्ना का निवास स्थान होने की वजह से इसे शहर-ए-क़ैद कह कर बुलाते हैं। जिन्नाह की जन्मस्थली के लिए प्रसिद्ध कराची पाकिस्तान के सिंध प्रांत की राजधानी है। यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा शहर है। अरब सागर के तट पर बसा कराची पाकिस्तान की सांस्कृतिक, आर्थिक और शैक्षणिक राजधानी मानी जाती है। यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा बंदरगाह शहर भी है। यह शहर पाकिस्तान आने वाले पर्यटकों के बीच भी खासा लोकप्रिय है। पर्यटक यहां बीच, म्यूजियम और मस्जिद आदि देख सकते हैं।
कराची کراچی/করাচি | ||
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ऊपर से: जिन्नह का मकबरा, मोहता पैलेस, वित्तीय जिला, हबीब बैक प्लाज़ा, तीन तलवार | ||
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कराची की सिंध, पाकिस्तान में स्थितिPakistan. | ||
Country | पाकिस्तान | |
प्रांत | सिंध | |
Municipal Committee | 1853 | |
Municipal Corporation | 1933 | |
Metropolitan Corporation | 1976 | |
City District Government | 14th अगस्त 2001 | |
City Council | सिटी कॉम्प्लेक्स, गुलशन टाउन | |
Towns | 18
बाल्दिया
बिन कासिम गदाप गुलबर्ग गुलशन जमशेद कियामारी कोरांगी लांधी लियाकताबाद ल्यारी मलिर न्यू कराची उत्तरू नज़ीमाबाद ओरांगी सदर शाह फैसल SITE | |
शासन[1] | ||
• प्रणाली | City District | |
• शहर का नाज़िम | सैयद मुस्तफा कमाल | |
• नायब नाज़िम | नसरीन जलील | |
क्षेत्रफल[2] | ||
• कुल | 3530 किमी2 (1,360 वर्गमील) | |
ऊँचाई | 8 मी (26 फीट) | |
जनसंख्या (2009)[3] | ||
• कुल | 1,28,27,927 | |
• घनत्व | 5099 किमी2 (13,210 वर्गमील) | |
समय मण्डल | PST (यूटीसी+5) | |
दूरभाष कोड | 021 | |
वेबसाइट | http://www.karachicity.gov.pk |
कराची एक बड़ी फॉल्ट लाइन के बहुत करीब है, जहाँ भारतीय टेक्टोनिक प्लेट अरब टेक्टोनिक प्लेट से मिलती है।[4] आज के पाकिस्तानी भूभाग का मानवीय इतिहास कम से कम 5000 साल पुराना है, यद्यपि इतिहास पाकिस्तान शब्द का जन्म सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली के द्वारा हुआ। आज का पाकिस्तानी भूभाग कई संस्कृतियों का गवाह रहा है।
ईसापूर्व 3300-1800 के बीच यहाँ सिन्धुघाटी सभ्यता का विकास हुआ। यह विश्व की चार प्राचीन ताम्र-कांस्यकालीन सभ्यताओं में से एक थी। इसका क्षेत्र सिन्धु नदी के किनारे अवस्थित था पर गुजरात (भारत) और राजस्थान में भी इस सभ्यता के अवशेष पाए गए हैं। मोहेन्जो-दारो, हड़प्पा इत्यादि स्थल पाकिस्तान में इस सभ्यता के प्रमुख अवशेष-स्थल हैं। इस सभ्यता के लोग कौन थे इसके बारे में विद्वानों में मतैक्य नहीं है। कुछ इसे आर्यों की पूर्ववर्ती शाखा कहते हैं तो कुछ इसे द्रविड़। कुछ इसे बलोची भी ठहराते हैं। इस मतभेद का एक कारण सिन्धु-घाटी सभ्यता की लिपि का नहीं पढ़ा जाना भी है।
ऐसा माना जाता है कि 1500 ईसापूर्व के आसपास आर्यों का आगमन पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्रों के मार्फ़त भारत में हुआ। आर्यों का निवास स्थान कैस्पियन सागर के पूर्वी तथा उत्तरी हिस्सों में माना जाता है जहाँ से वे इसी समय के करीब ईरान, यूरोप और भारत की ओर चले गए थे। सन् 543 ईसापूर्व में पाकिस्तान का अधिकांश इलाका ईरान (फारस) के हख़ामनी साम्राज्य के अधीन आ गया। लेकिन उस समय इस्लाम का उदय नहीं हुआ था; ईरान के लोग ज़रदोश्त के अनुयायी थे और देवताओं की पूजा करते थे। सन् 330 ईसापूर्व में मकदूनिया (यूनान) के विजेता सिकन्दर ने दारा तृतीय को तीन बार हराकर हखामनी वंश का अन्त कर दिया। इसके कारण मिस्र से पाकिस्तान तक फैले हखामनी साम्राज्य का पतन हो गया और सिकन्दर पंजाब तक आ गया। ग्रीक स्रोतों के मुताबिक उसने सिन्धु नदी के तट पर भारतीय राजा पुरु (ग्रीक - पोरस) को हरा दिया। पर उसकी सेना ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया और वह भारत में प्रवेश किये बिना वापस लौट गया। इसके बाद उत्तरी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में यूनानी-बैक्ट्रियन सभ्यता का विकास हुआ। सिकन्दर के साम्राज्य को उसके सेनापतियों ने आपस में बाँट लिया। सेल्युकस नेक्टर सिकन्दर के सबसे शक्तिशाली उत्तराधिकारियों में से एक था।
मौर्यों ने 300 ईसापूर्व के आसपास पाकिस्तान को अपने साम्राज्य के अधीन कर लिया। इसके बाद पुनः यह ग्रीको-बैक्ट्रियन शासन में चला गया। इन शासकों में सबसे प्रमुख मिनांदर ने बौद्ध धर्म को प्रोत्साहित किया। पार्थियनों के पतन के बाद यह फारसी प्रभाव से मुक्त हुआ। सिन्ध के राय राजवंश (सन् 489-632) ने इसपर शासन किया। इसके बाद यह उत्तर भारत के गुप्त और फारस के सासानी साम्राज्य के बीच बँटा रहा।
सन् 712 में फारस के सेनापति मुहम्मद बिन क़ासिम ने सिन्ध के राजा को हरा दिया। यह फारसी विजय न होकर इस्लाम की विजय थी। बिन कासिम एक अरब था और पूर्वी ईरान में अरबों की आबादी और नियंत्रण बढ़ता जा रहा था। हालांकि इसी समय केन्द्रीय ईरान में अरबों के प्रति घृणा और द्वेष बढ़ता जा रहा था पर इस क्षेत्र में अरबों की प्रभुसत्ता स्थापित हो गई थी। इसके बाद पाकिस्तान का क्षेत्र इस्लाम से प्रभावित होता चला गया। पाकिस्तानी सरकार के अनुसार इसी समय 'पाकिस्तान की नींव' डाली गई थी। इसके 1192 में दिल्ली के सुल्तान पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद ही दिल्ली की सत्ता पर फारस से आए तुर्कों, अरबों और फारसियों का नियंत्रण हो गया। पाकिस्तान दिल्ली सल्तनत का अंग बन गया।
सोलहवीं सदी में मध्य-एशिया से भाग कर आए हुए बाबर ने दिल्ली की सत्ता पर अधिकार किया और पाकिस्तान मुगल साम्राज्य का अंग बन गया। मुगलों ने काबुल तक के क्षेत्र को अपने साम्राज्य में मिला लिया था। अठारहवीं सदी के अन्त तक विदेशियों (खासकर अंग्रेजों) का प्रभुत्व भारतीय उपमहाद्वीप पर बढ़ता गया . सन् 1857 के गदर के बाद सम्पूर्ण भारत अंग्रेजों के शासन में आ गया।
अंग्रेज़ों के शासन काल में, ख़ासकर पंजाब में कई विरोध आंदोलन हुए। इस दौरान पंजाब और सिंध में अच्छी ख़ासी हिंदू आबादी थी। पर जनतंत्र की मांग को लेकर और मुस्लिमों के अल्पमत में होने के कारण अलग मुस्लिम राष्ट्र की मांग होने लगी। पहले सन् 1930 में शायर मुहम्मद इक़बाल ने भारत के उत्तर-पश्चिमी चार प्रान्तों -सिन्ध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद)- को मिलाकर एक अलग राष्ट्र की मांग की थी। 1947 अगस्त में भारत के विभाजन के फलस्वरूप पाकिस्तान का जन्म हुआ। उस समय पाकिस्तान में वर्तमान पाकिस्तान और बांग्लादेश दोनों सम्मिलित थे। सन् 1971 में भारत के साथ हुए युद्ध में पाकिस्तान का पूर्वी हिस्सा (जिसे उस समय तक पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था) बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र हो गया।Karachi Pakistan ka sabse bada bandargah hai
शहर का क्षेत्रफल 3,527 वर्ग किलोमीटर है। यह एक मैदानी क्षेत्र जिस की उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्र में पहाड़ियां हैं। शहर के मध्यभाग से दो बड़ी नदियां गुज़रती हैं, मलीर नदी और लिया री नदी। उस के साथ साथ शहर से कई और छोटी बड़ी नदियां गुज़रती हैं। कराची की बंदरगाह शहर के दक्षिण पश्चिमी क्षेत्र में अवस्थित है। नगर के उत्तरी व पश्चिमी भाग के बंदरगाह को सुन्दर प्राकृतिक बंदरगाह माना जाता है।
शहर में वर्षा कम होती हैं, वार्षिक वृष्टि करिब 250 मिलिमीटर है जिस का अधिकतम हिस्सा मनसून में होता है। कराची में गृष्मकाल अप्रैल से अगस्त तक होता हैं और इस दौरान वायु में सापेक्षिक आद्रता ज़्यादा रहता है। नवंबर से फरवरी शहर में सर्दी का मौसम माना जाता है। दिसम्बर और जनवरी शहर में सब से ज़्यादा आरामदेह मौसम के महीने हैं और इस वजह से शहर में इन ही दिनों में सब से इस नगर में ज़्यादा पर्यटक जाते है।
तापक्रम (१९३१-२००२) | जनवरी | फरवरी | मार्च | अप्रिल | मई | जुन | जुलाई | अगस्त | सितंबर | अक्तुबर | नवंबर | दिसम्बर | वार्षिक |
सबसे अधिकतम (°C) | 32.8 | 33.5 | 34.0 | 34.4 | 40.8 | 39.0 | 33.2 | 33.7 | 36.8 | 40.1 | 32.5 | 31.5 | 34.1 |
सबसे न्युनतम (°C) | 5.0 | 6.3 | 7.0 | 12.2 | 17.7 | 22.1 | 22.2 | 20.0 | 18.0 | 10.0 | 6.1 | 5.3 | 12.7 |
बीच- समुद्र तट पर स्थित होने के कारण कराची में तथा इसके आस-पास काफी बीच हैं। यहां के कुछ प्रमुख बीच हैं हवाकस्ब, सैंडस्पीड, माउंटकेभ, सूम्यानी, फ्रेंच बीच, गडानी तथा टूरटल बीच। यह सभी बीच तैराकी तथा रात का समय बिताने के लिए काफी अच्छी मानी जाती हैं। रात को ठहरने के लिए यहां पर कई कॉटेज हैं। लेकिन इसके लिए पहले से बुकिंग करवाना आवश्यक है। सीव्यू यहां का एक अन्य बीच है, जो काफी खूबसूरत है। यहां दिन में मुख्य रूप से लड़के और लड़कियां आते हैं।
एयर फोर्स म्यूजियम: यह म्यूजियम शेर-ऐ--फैजल रोड़ पर स्थित है। इस म्यूजियम के सामने के पार्क में वायुयानों का सुंदर संग्रह है। विभिन्न प्रकार के वायुयानों के मॉडल, फोटो तथा एक छोटा सा वायुयान इस म्यूजियम में रखा हुआ है।
मारी टाइम म्यूजियम: मारी टाइम म्यूजियम भी शेर-ऐ-फैजल रोड़ पर स्थित है। इस म्यूजियम के सामने के पार्क में पानी के पुराने लड़ाकू जहाज, पुराने व्यापारिक जहाज तथा विशाल बंदूकों का अदभुत संग्रह है। इस संग्रहालय में एक विशाल ह्वेल की खाल भी देखी जा सकता है। प्रवेश शुल्क: 20 रुपए
नेशनल म्यूजियम ऑफ पाकिस्तान: पाकिस्तान का नेशनल म्यूजियम कराची में है। इस म्यूजियम की स्थापना 17 अप्रैल 1950 को फेरर भवन में की गई थी। लेकिन इसे 1970 ई. में जिया-उद्दीन रोड़ स्थित नये भवन में स्थानांतरित कर दिया गया। उस समय इस म्यूजियम में मात्र चार गैलरियां थीं। परंतु वर्तमान में इस म्यूजियम में 11 गैलरियां हैं। इसके अतिरिक्त यहां एक कुरान गैलरी भी है। इस म्यूजियम में पवित्र कुरान की 300 प्रतियां हैं। जिनमें से 52 प्रतियां हस्तलिखित हैं। इस म्यूजियम में पाकिस्तान की कला संस्कृति से संबंद्ध वस्तुओं का संग्रह भी है। यहां सैंधव सभ्यता, गांधार सभ्यता, इस्लामिक कला, प्राचीन सिक्कों तथा दुर्लभ हस्तशिल्पों का सुंदर संग्रह है।
इसके अलावा कराची में मजार-ए-कायद, मोहाता पैलेस और म्यूजियम, आगा खां यूनिवर्सिटी आदि भी देखी जा सकता है।
कैसे आएं कराची आने के लिए सबसे बढिया मार्ग वायु मार्ग है। यहां जिन्ना अंर्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यह हवाई अड्डा विभिन्न देशो से नियमित फ्लाइटों के माध्यम से जुड़ा हुआ है।
कराची स़हिर की बलदीह का आग़ाज़ 1933ई. मैं हवा। इबतदा मैं स़हिर का इक मेअर, इक नाइब मेअर और 57 कौंसलर होते थे। 1976ई. मैं बलदीह कराची कु बलदीह अज़मी कराची बणा दीआ गिआ। सन 2000ई. मैं हकूमत पाकिसतान ने सिआसी, इतज़ामी और माली वसाइल और ज़िमा दारीउं कु निचली सता तक मनतकल करने का मनसूबा बणाइआ। उस के बाअद 2001ई. मैं उस मनसूबे के नफ़ाज़ से पहिले कराची इतज़ामी ढांचे मैं दूसरे दरजे की इतज़ामी वहदत यानी डवीज़न, कराची डवीज़न, था। कराची डवीज़न मैं पांच अज़ला, ज़िल्हा कराची जनूबी, ज़िल्हा कराची स़रकी, ज़िल्हा कराची ग़रबी, ज़िल्हा कराची वसती और ज़िल्हा मलेर स़ामिल थे।
सन 2001ई. मैं इन तमाम ज़लाओं कु इक ज़िले मैं जोड़ लिआ गिआ। अब कराची का इतज़ामी निज़ाम तिन सतहों पर वाकिअ है।
ज़िल्हा कराची कु 18 टाऊन मैं तकसीम किआ गिआ हे। इन सब की मुतख़ब बलदीआती इतज़ामीआ मौजूद हैं। इन की ज़िमा दारीउं और इखतिआरात मैं पाणी की फ़राहमी, निकासी आब, कौड़े की सफ़ाई, सड़कों की मुरमत, बाग़ात, टरैफ़िक सिगनल और चद दिगर ज़मरे आते हैं। बकआ इखतिआरात ज़िलाई इतज़ामीआ के हवाले हैं।
ये टाउनज़ मज़ीद 178 यूनीअन कोनसलों मैं तकसीम हैं जो मुकामी हकोमतों के निज़ाम की बुनिआदी इकाई है। हर यूनीअन कौंसिल 13 अफ़राद की बाडी पर मस़तमल है जिस मैं नाज़िम और नाइब नाज़िम भी स़ामिल हैं। योसी नाज़िम मुकामी इतज़ामीआ का सरबराह और स़हिरी हकूमत के मनसूबा जात और बलदीआती ख़िदमात के इलावा अवाम की स़काईआत हुकाम बाला तक पहनचाने का भी ज़िमा दार है।
2005ई. मैं मुकामी हकोमतों के इतख़ाबात मैं सईअद मुसतफ़ा कमाल ने कामयाबी हासल की ओर नामत अल्हा ख़ान की जग्हा कराची के नाज़िम करार पाए जबका नसरीन जलील स़हिर की नाइब नाज़मा करार पाईं। मुसतफ़ा कमाल नाज़िम का उहदा सभालणे से कबल सूबा सिध के वज़ीर बराए अनफ़ारमीस़न टैकनालोजी थे। इन से कबल कराची के नाज़िम नामत अल्हा ख़ान 2004ई. और 2005ई. के लीए एस़ीआ के बिहतरीन नाज़मीन में से एक करार पाए थे। मुसतफ़ा कमाल नामत अल्हा ख़ान का स़ुरू करदा सफ़र जारी रखे होए हैं और स़हिर मैं तरकीआती काम तेज़ी से जारी हैं।
कराची स़हिर मदरजा ज़ैल कसबात मैं तकसीम है[5]:
कराची स़हिर के कसबात
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वाज़िह रहे कि डिफैंस हाऊसिग अथारटी कराची मैं काइम है लेकिन वोह कराची का टाऊन नहीं और ना ही किसी टाऊन का हिसा है बलकि पाक अफ़वाज के ज़ेर इतज़ाम है।
साल | स़हिरी आबादी |
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1856 | 56,875 |
1872 | 56,753 |
1881 | 73,560 |
1891 | 105,199 |
1901 | 136,297 |
1911 | 186,771 |
1921 | 244,162 |
1931 | 300,799 |
1941 | 435,887 |
1951 | 1,068,459 |
1961 | 1,912,598 |
1972 | 3,426,310 |
1981 | 5,208,132 |
1998 | 9,269,265 |
2006 | 11,969,284 |
गज़स़ता 150 सालों मैं कराची की आबादी व दिगर आदाद व स़ुमार मैं वाज़िह तबदीली वाकिअ होई है। ग़ीरसरकारी और बिन अलाकवामी ज़राअ के मुताबिक कराची की मौजूदा आबादी 20 से 25 मलीन है [हवाला दुरकार]। जो 1947ई. के मुताबिक मैं 37 गुणा ज़िआदा है। आज़ादी के वकत कराची की आबादी महिज़ 4 लाख थी। स़हिर की आबादी उस वकत 5 फ़ीसद सालाना के हिसाब से ब़ड़ा रही है जिस मैं अहिम तरीं किरदार दिहात से स़हिरों कु मनतकली है। इक अदाज़े के मुताबिक हर माह 45 हज़ार अफ़राद स़हिर काइद पहुचते हैं। कराची दुनीआ के बड़े स़हिरों में से एक है।
कराची इक कसीर अलनसली, कसीर अललसानी और कसीर अलसकाफ़ती बिन अलाकवामी स़हिर है। 1998ई. की मरदम स़ुमारी के मुताबिक कराची की 94 आस़ारआ 04 फ़ीसद आबादी स़हिर मैं किआम पज़ीर है। इस तर्हां वोह सूबा सिध का सब से जदीद इलाका है।
कराची मैं सब से ज़िआदा आबादी उरदू बोलणे वाले महाजरीन की है जो 1947ई. मैं तकसीम बर-ए-सग़ीर के बाअद हिदुसतान के मुख़तलिफ़ इलाकों से आकर कराची मैं आबाद होए थे। हिदुसतान से आए होए इन मुसलिम महाजरीन कु नू आमोज़ ममलकत पाकिसतान की हकूमत की मदद से मुख़तलिफ़ रिहाइस़ गाहें निवाज़ी गें जन में से अकसर पाकिसतान छोड़ कर भारत जाणे वाली हिदू और सिख बरादरी की थी।
स़हिर के दिगर बासीउं मैं सिधी, बलोची, पजाबी, पठान, गुजराती, कस़मीरी, सराइकी और 10 लाख से ज़ाइद अफ़ग़ान महाजरीन स़ामिल हैं जो 1979ई. मैं अफ़ग़ानिसतान पर सोवीअत यूनीअन की जारिहीअत के बाअद हिजरत करके स़हिर काइद पहुचे और अब यहां के मुसतकिल बासी बण चुके हैं। इन महाजरीन मैं पख़तुन, ताजिक, हज़ारा, अज़बक और तुरकमान स़ामिल थे। इन के इलावा हज़ारों बगाली, अरब, इरानी, अराकानी के मुसलिम महाजरीन (बरमा की राखाइन रिआसत के) और अफ़रीकी महाजरीन भी कराची मैं किआम पज़ीर हैं। आतिस़ प्रसत पारसीउं की बड़ी तादाद भी तकसीम हिद से कबल से कराची मैं रिहाइस़ पज़ीर है। कराची के पारसीउं ने स़हिर की तारीख़ मैं अहिम किरदार अदा किआ है और अहिम सरकारी उहदों और कारोबारी सरगरमीउं मैं भरपूर तरीके से स़ामिल रहे हैं। आज़ादी के बाअद इन की अकसरीअत मग़रिबी ममालिक कु हिजरत करगई ताहम अब भी स़हिर मैं 5 हज़ार पारसी आबाद हैं। इलावा अज़ें स़हिर मैं गुआ से ताअलुक रखणे वाले कैथोलिक एसाईउं की भी बड़ी तादाद आबादी है जो बरतानवी राज के ज़माने मैं यहां पहुची थी।
1998ई. की मरदम स़ुमारी के मुताबिक स़हिर की लिसानी तकसीम इस तर्हां से है: उरदू बोलणे वाले 65 फ़ीसद, पजाबी 8 फ़ीसद, सिधी 7.22 फ़ीसद, पस़तो 11.42 फ़ीसद, बलोची 4.34 फ़ीसद, सराइकी 2.11 फ़ीसद, दिगर 7.4 फ़ीसद। दिगर मैं गुजराती, दाउदी बोहरा, मैमन, घानची, बराहवी, मकरानी, बरोस़सकी, अरबी, फ़ारसी और बगाली स़ामिल हैं। स़हिर की अकसरीअत मुसलमान है जन की तादाद 96.49 फ़ीसद है। ईसाई 2.35 फ़ीसद, हिदू 0.83 फ़ीसद, अहमदी 0.17 फ़ीसद और दिगर 0.13 फ़ीसद हैं। दिगर मैं पारसी, यहूदी और बुध स़ामिल हैं।
कराची पाकिसतान का तजारती दारुल हकूमत है और जी डी पी के बेस़तर हिसा का हामल है। कौमी महसोलात का 65 फ़ीसद कराची से हासल होता है। पाकिसतान के तमाम सरकारी व निजी बीनकों के दफ़ातर कराची मैं काइम हैं। जन में से तकरीबा तमाम के दफ़ातर पाकिसतान की वाल असटरीट "आई आई चनदरीगर रोड" पर काइम हैं।
दुबई का माअरूफ़ तामीराती अदारा इमार परापरटीज़ कराची के दो जज़ाइर बडल और बडो पर 43 अरब अमरीकी डालरज़ की लागत से तामीराती काम का आग़ाज़ कररहा है। कराची पोरट टरसट 20 अरब रुपए के इक मनसूबे पोरट टावर कमपलीकस का आग़ाज़ कररही है जो इक हज़ार 947 फ़ुट बुलदी के साथ पाकिसतान की सब से बुलद इमारत होगी। इस मैं इक होटल, इक स़ापिग सैंटर और इक नुमाइस़ी मरकज़ स़ामिल होगा। इमारत की अहिम तरीं ख़ूबी इस का घोमता हवा रैसतोरां होगा जिस की गैलरी से बदौलत कराची भर का नज़ारा किआ जासके गा। मज़कूरा टावर कलफ़टन के साहिल पर तामीर किआ जाए गा।
बैंकिग और तजारती दारुल हकूमत हुणे के साथ साथ कराची मैं पाकिसतान मैं काम करने वाले तमाम कसीर अलकोमी इदारों के भी दफ़ातर काइम हैं। यहां पाकिसतान का सब से बड़ा बाज़ार हसस कराची असटाक ऐकसचेंज भी मौजूद है जो 2005ई. मैं पाकिसतान के जी डी पी मैं 7 फ़ीसद अज़ाफ़े मैं अहिम तरीं किरदार करार दीआजाताहे।
अनफ़ारमीस़न ऐंड कमीवनीकीस़नज़ टीकनालोजीज़ (आई सी टी), इलैकट्रानिक मीडीआ और काल सीनटरज़ का नया रहजान भी स़हिर की तरकी मैं अहिम किरदार अदा कररहा है। ग़ीरमलकी कमपनीउं के काल सीनटरज़ कु तरकी के लीए बुनिआदी हदफ़ करार दीआ गिआ हे और हकूमत ने आई टी स़ोअबे मैं ग़ैर मुलकी सरमाइआ कारी के लीए महसोलात मैं 80 फ़ीसद तक कमी के लीए काम कररही है [हवाला दुरकार]। कराची पाकिसतान का साफ़ट वेअर मरकज़ भी है। पाकिसतान के कई निजी टैली विज़न और रेडीओ चीनलों के सदर दफ़ातर भी कराची मैं हैं जन में से जीव, ए आर वाई, हम और आज टी वी मस़हूर हैं। मुकामी सिधी चैनल के टी ऐन, सिध टी वी और कस़िस़ टी वी भी माअरूफ़ चैनल हैं।
कराची मैं कई सनअती ज़ुन वाकिअ हैं जन मैं कपड़े, अदवीआत, धातों और आटो मुबाइल की सनातें बुनिआदी अहिमीअत की हामल हैं। मज़ीद बुरिआं कराची मैं इक नुमाइस़ी मरकज़ इकसपो सैंटर भी है जिस मैं कई इलाकाई व बिन अलाकवामी नमाइस़ें मुनअकिद होती हैं। टवीवटा और सोज़ोकी मोटरज़ के कारख़ाने भी कराची मैं काइम हैं। इस सनात से मतालिक दिगर इदारों मैं मलत टरैकटरज़, आदम मोटर कपनी और हीनो पाक के कारख़ाने भी यहीं मौजूद हैं। गाड़ीउं की तिआरी का स़ुअबा पाकिसतान मैं सब से ज़िआदा तेज़ी से अभरती हवा सनअती स़ुअबा है जिस का मरकज़ कराची है।
कराची बदरगाह और मुहमद बिन कासिम बदरगाह पाकिसतान की दो अहिम तरीं बनदरगाहें हैं जबका जिनाह बिन अलाकवामी हवाई अडा मुलक का सब से बड़ा हवाई अडा है।
1960ई. की दुहाई मैं कराची कु तरकी पज़ीर दुनीआ मैं तरकी का रोल माडल समझा जाता है। जिस का अदाज़ा इस बात से लगाइआ जासकता है कि जनूबी कोरीआ ने स़हिर का दूसरा पज साला मनसूबा बराए 1960ई. ता 1965ई. निकल किआ।
पोरट टावर कमपलीकस (मजोज़ा)
करीसनट बे (मनज़ूर स़ुदा)
कराची करीक मरीना (ज़ेर तामीर)
डोलमीन टावरज़ (ज़ेर तामीर)
आई टी टावर (मनज़ूर स़ुदा)
बडल जज़ीरा (मनज़ूर स़ुदा)
बडो जज़ीरा (मनज़ूर स़ुदा)
असकवाइर वण टावरज़ (ज़ेर तामीर)
कराची मास टरांज़िट निज़ाम
अस़ा टावरज़ (मनज़ूर स़ुदा)
ऐफ़ पी सी सी आई टावर (मजोज़ा)
कराची पाकिसतान के चद अहिम तरीं सकाफ़ती इदारों का घर है। तज़ीन व आराइस़ के बाअद हिदू जिम ख़ाना मैं काइम करदा नैस़नल अकैडमी आफ़ परफ़ारमनग आरटस (नापा) कलासिकी मौसीकी और जदीद थेटर समेत दिगर स़ुअबा जात मैं दो साला डिपलोमा कोरस पेस़ करता है। आल पाकिसतान मिऊज़ीकल कानफ़रस 2004ई. मैं आपणे किआम के बाअद सालाना मिऊज़िक फ़ैसटीवल मुनअकिद कररहा है। ये फ़ैसटीवल स़हिरी ज़िदगी के इक अहिम जुज़ की हैसीअत इख़तिआर कर गिआ है जिस का स़िदत से इतज़ार किआ जाता है और 3 हज़ार से ज़ाइद स़हिरी इस मैं लाते हैं।
कूचा सकाफ़त मैं मस़ाआरे, डरामे और मौसीकी पेस़ की जाती है। कराची मैं काइम चद अजाइब घरों मैं माअमूल की बनीआदों पर नमाइस़ें मुनअकिद होती हैं जन मैं मोहटा पैलिस और कौमी अजाइब घर स़ामिल हैं। सालाना बनीआदों पर मनाकदा कारा फ़िलम फ़ैसटीवल मैं पाकिसतानी और बिन अलाकवामी आज़ाद और दसतावेज़ी फ़िलमीं पेस़ की जाती हैं। कराची की सकाफ़त मस़रक वसती, जनूबी एस़ीआई और मग़रिबी तहज़ीबों के मिलाप से तस़कील पाई है। कराची मैं पाकिसतान की सब से बड़ी मिडल कलास आबादी किआम पज़ीर है। कराची सूबा सिध का सदर मुकाम है।
पाकिसतान मैं सब से ज़िआदा स़रा ख़वानदगी कराची स़हिर में है जहां कई जामाआत और कालज़ कजाइम हैं। कराची अपणी कसीर नौजवान आबादी के बाइस मुलक भर मैं जाणा जाता है। कराची की कई जामाआत मुलक के बिहतरीन तालीमी इदारों मैं स़ुमार होती हैं।
कराची के मस़हूर खेलों मैं क्रिकेट, हाकी, मके बाज़ी, फ़ुट बाल और घड़ दौड़ स़ामिल हैं। मस़हूर नेशनल स्टेडियम, कराची के इलावा क्रिकेट के मीचज़ यू बी ऐल असपोरटस कमपलीकस, ए ओ क्रिकट स्टेडियम, के सी सी ए क्रिकट गराऊंड, कराची जिम ख़ाना गराऊंड और डी ऐच ए क्रिकट स्टेडियम पर मुनअकिद होते हैं। शहर मैं हाकी के लीए हाकी कलब आफ़ पाकिसतान और यू बी ऐल हाकी गराऊंड, बाकसिग के लीए के पी टी असपोरटस कमपलीकस, असकवास़ के लीए जहांगीर ख़ान असकवास़ कमपलकीस और फ़टबाल के लीए पीपलज़ फ़ुट बाल असटीडीम और पोलो गराऊंड, कराची जैसे स़ानदार मराकज़ काइम हैं। 2005ई. मैं शहर के पीपलज़ फ़ुट बाल असटीडीम मैं साफ़ कप फ़टबाल टोरनामनट मुनअकिद हवा। कुस़ती राणी भी कराची की खीलों की सरगरमीउं का इक अहम हिसा है।
कराची जिम ख़ाना, सिध कलब, कराची कलब, मुसलिम जिम ख़ाना, करीक कलब और डी ऐच ए कलब समेत दिगर खेलों के कलब आपणे मैंबरां कु टैनिस, बैडमिटन, असकवास़, तैराकी, दौड़, असनोकर और दिगर खीलों की सहोलीआत मुहईआ करते हैं। कराची मैं दो आलमी मिआर के गालफ़ कलब डी ऐच ए और और कारसाज़ काइम हैं। इलावा अज़ें शहर मैं छोटे पैमाने पर खीलों की सरगरमीआं भी उरूज पर होती हैं जन मैं सब से मस़हूर नाईट क्रिकट है जिस मैं हर इख़तताम हफ़ता पर छोटे मोटे मीदानों और गलीउं मैं बुरकी कमकमों मैं क्रिकेट खेली जाती है।
°विलेज गारडन
यूनीवरस सनीपलीकस (कलफ़टन)
इलावा अज़ें कलफ़टन, डी ऐच ए, स़ार फ़ैसल, नारथ नाज़िम आबाद, करीम आबाद, गुलस़न इकबाल, गुलिसतान जौहर वग़ैरा मैं भी कई मराकज़ हैं।
कलफ़टन का साहिल माज़ी करीब मैं दो मरतबा तेल की रसाई के बाइस मुतासिर हूचका है जिस के बाअद साहिल की सफ़ाई करदी गई है। इलावा अज़ें रात के वकत तफ़रीह के लीए साहिल पर बुरकी कमकमे भी नसब कए गए हैं। हकूमत ने कराची की साहली पटी की ख़ूबसूरती के लीए कलफ़टन मैं बीच पारक काइम किआ है जो जहांगीर कोठारी पीरीड और बाग़ इबन कासिम से मुनसलिक है। स़हिर के करीब दिगर साहली तफ़रीही मकामात भी हैं जन मैं सीनडज़पट, हाकस बे, फ़रनच बीच, रस़ीन बीच और पैराडाईज़ पवाइनट माअरूफ़ हैं।
कराची पाकिसतान मैं ख़रीदारी का मरकज़ तसवर किआ जाता है जहां रोज़ाना लाखों सारफ़ीन अपणी ज़ुरूरीआत की अस़ीआ ख़रीदते हैं। सदर, गलफ़ स़ापिग माल, बहादर आबाद, तारिक रोड, ज़मज़मा, ज़ेब उलनिसा असटरीट और हैदरी इस हवाले से मुलक भर मैं माअरूफ़ हैं। इन मराकज़ मैं कपड़ों के इलावा दुनीआ भर से ज़ुरूरीआत ज़िदगी की तमाम अस़ीआ हासल की जासकती हैं। बरतानवी राज के ज़माने की इमपरीस मारकीट मसालहा जात और दिगर अस़ीआ का मरकज़ है। सदर मैं ही काइम रैनबो सैंटर दुनीआ मैं चोरी स़ुदा सी डीज़ के बड़े मराकज़ में से एक है। दिगर अहिम इलाकों मैं पापोस़ मारकीट और हैदरी स़ामिल हैं। हर ऐतवार कु लिआकत आबाद मैं परनदों और पालतू जानवरों के इलावा पोदों का बाज़ार भी लगता है।
कराची मैं जदीद तामीरात के हामल ख़रीदारी मराकज़ की भी कमी नहीं जन मैं पारक टावरज़, दी फ़ोरम, मलीनीम माल और डोलमीन माल ख़सोसा काबल ज़िकर हैं। इस वकत ज़ेर तामीर इटरीम माल, जमीरा माल, आई टी टावर और डोलमीन सिटी माल भी तामीरात के स़ाहकार हैं।
कराची का जिन्नाह अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र जो पाकिसतान का मसरूफ़ तरीं हवाई अडा है। स़हिर का कदीम एअरपोरट टरमीनल अब हज परवाज़ों, कारगो और सरबराहान ममलकत के लीए इसतमाल होता है। नया हवाई अडा 1993ई. मैं इक फ़रांसीसी अदारे ने तिआर किआ। मुलक की सब से बड़ी बनदरगाहें भी कराची मैं काइम हैं जो कराची पोरट और पोरट कासिम कहलाती हैं। ये बनदरगाहें जदीद सहोलीआत से मज़ीन हैं और ना सिरफ़ पाकिसतान की तमाम तजारती ज़ुरूरीआत के मुताबिक काम किरती हैं बलकि अफ़ग़ानिसतान और वसत एस़ीआ के ममालिक की समुदरी तजारत भी उन्ही बनदरगाहों से होती है।
कराची पाकिसतान रीलवीज़ के जाल के ज़रीए बज़रीआ रेल मुलक भर से मुनसलिक है। स़हिर के दो बड़े रेलवे इसटेस़न सिटी और कैंट रेलवे इसटेस़न हैं। रेलवे का निज़ाम कराची की बदरगाह के ज़रीए मुलक भर कु सामान पहनचाने की ख़िदमात अजाम दिता है। इस वकत स़हिर मैं बसों और मनी बसों ने अवामी निकल व हमल का बेड़ा अठारखा है लेकिन मुसतकबिल मैं स़हिर मैं तेज़ और आराम दा सफ़र के लीए मास टरांज़िट निज़ाम की तामीर का मनसूबा भी मौजूद है।
कराची साहिल के साथ नेम सहिराई इलाके पर काइम हैं जहां सिरफ़ दो नदीओं मलेर और लीआरी के साथ साथ मौजूद इलाके की ज़मीन ही ज़राइत के काबल है। आज़ादी से कबल कराची की अकसर आबादी माही गीरों और ख़ाना बदोस़ों पर मस़तमल थी और बेस़तर ज़मीन सरकारी मलकीअत थी। आज़ादी के बाअद कराची कु मुलक का दारुल हकूमत करार दीआ गिआ तो ज़मीनी इलाके रिआसत के ज़ीरानतज़ाम आगए। 1988ई. मैं कराची डिवैलपमैंट अथारटी के मुहईआ करदा आदाद व स़ुमार के मुताबिक 4 लाख 25 हज़ार 529 एकड़ (1722 मरब किलोमीटर) में से तकरीबा 4 लाख एकड़ (1600 मरब किलोमीटर) किसी ना किसी तर्हां सरकारी मलकीअत है। हकूमत सिध इक लाख 37 हज़ार 687 एकड़ (557 मरब किलोमीटर), के डी ए इक लाख 24 हज़ार 676 एकड़, कराची पोरट टरसट 25 हज़ार 259 एकड़, कराची मीटरोपोलीटन कारपोरेस़न (के ऐम सी) 24 हज़ार 189 एकड़, आरमी कनटोनमनट बोरड 18 हज़ार 569 एकड़, पाकिसतान असटील मिल 19 हज़ार 461 एकड़, डिफैंस हाऊसिग सुसाइटी 16 हज़ार 567 एकड़, पोरट कासिम 12 हज़ार 961 एकड़, हकूमत पाकिसतान 4 हज़ार 51 एकड़ और पाकिसतान रेलवे 12 हज़ार 961 एकड़ रकबे की हामल है। 1990ई. की दुहाई मैं के डी ए की ग़ैर तामीर ज़मीन मलेर डीओलपमनट अथारटी (ऐम डी ए) और लीआरी डिवैलपमैंट अथारटी (ऐल डी ए) कु मनतकल करदी गई।
कराची दुनीआ मैं तेज़ी से फीलते होए स़हिरों में से एक है इस लीए इसे बड़्हती होई आबादी, टरैफ़िक, आलूदगी, ग़ुरबत, दहिस़त गरदी और जराइम जैसे मिसाईल का सामनाहे।
उस वकत कराची का सब से बड़ा मसअला टरैफ़िक का है। सरकारी आदाद व स़ुमार के मुताबिक कराची मैं हर साल 550 अफ़राद टरैफ़िक हादसों मैं अपणी जान गनवातेहें। स़हिर मैं कारू की तादाद सड़कों के तामीर करदा ढांचे से कहीं ज़िआदा है। टरैफ़िक के इन मिसाईल से नमटने के लीए स़हिर मैं नामत अल्हा ख़ान के दूर मैं कई मनसूबे स़ुरू कए गए जन मैं फ़लाई उओरज़ और अडर पासज़ स़ामिल हैं।
बड़्हते हवा टरैफ़िक और धूआं छोड़ती गाड़ीउं कु खुली छुट के बाइस स़हिर मैं आलूदगी बड़्हती जारही है। कराची मैं फ़ज़ाई आलूदगी आलमी अदारा सिहत (डबलीव ऐच ओ) के मताईन करदा मिआर से 20 गुणा ज़िआदा है। टरैफ़िक के इलावा कौड़े क्रिकट कु आग लगाणा और अवामी स़ऊर की कमी भी आलूदगी का बड़ा सबब है।
इक और बड़ा मसअला स़ाहराहों कु चौड़ा करने के लीए दरख़तों की कटाई है। कराची मैं पहिले ही दरख़तों की कमी हेआवर मौजूद दरख़तों की कटाई पर माहोलीआती तनज़ीमों ने स़दीद इहतजाज किआ है। जिस पर स़हिरी हकूमत ने सतबर 2006ई. से तिन माह के लीए स़जरकारी मुहिम का ऐलान किआ।
पाकिसतान के दूसरे स़हिरों की तर्हां सीआसतदानों और सरकारी अहलकारों की मिली भुगत से खुली जगहों पर नाजाइज़ तजावाज़ात तामीर का मसअला कराची मैं भी अवाम और आने वाली नसलों के लीए प्रेस़ान कण है।[6]
इन के इलावा फ़राहमी आब और बिजली की फ़राहमी मैं तातल स़हिर के दो बड़े मिसाईल हैं ख़सोसा 2006 के मौसम गरमा मैं कराची मैं बिजली की लोड स़ैडिग ने आलमी स़ुहरत हासल की।
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