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आत्महत्या (लैटिन suicidium, sui caedere से, जिसका अर्थ है "स्वयं को मारना") जानबूझ कर अपनी मृत्यु का कारण बनने के लिए कार्य करना है। आत्महत्या अक्सर निराशा के चलते की जाती है, जिसके लिए अवसाद, द्विध्रुवीय विकार, मनोभाजन, शराब की लत या मादक दवाओं का सेवनजैसे मानसिक विकारों को जिम्मेदार ठहराया जाता है।[1] तनाव के कारक जैसे वित्तीय कठिनाइयां या पारस्परिक संबंधों में परेशानियों की भी अक्सर एक भूमिका होती है। आत्महत्या को रोकने के प्रयासों में आग्नेयास्त्रों तक पहुँच को सीमित करना, मानसिक बीमारी का उपचार करना तथा नशीली दवाओं के उपयोग को रोकना तथा आर्थिक विकास को बेहतर करना शामिल हैं।
Suicide वर्गीकरण एवं बाह्य साधन | ||
The Suicide by Édouard Manet 1877–1881 | ||
आईसीडी-१० | X60.–X84. | |
आईसीडी-९ | E950 | |
मेडलाइन प्लस | 001554 | |
ईमेडिसिन | article/288598 | |
एम.ईएसएच | F01.145.126.980.875 |
आत्महत्या करने के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे आम विधि, देशों के अनुसार भिन्न-भिन्न होती है और आंशिक रूप से उपलब्धता से सम्बन्धित है। आम विधियों में निम्नलिखित शामिल हैं: लटकना, कीटनाशक ज़हर पीना और बन्दूकें। लगभग 8,00,000 से 10,00,000 लोग हर वर्ष आत्महत्या करते हैं, जिस कारण से यह दुनिया का दसवे नम्बर का मानव मृत्यु का कारण है।[1][2] पुरुषों से महिलाओं में इसकी दर अधिक है, पुरुषों में महिलाओं की तुलना में इसके होने का समभावना तीन से चार गुना तक अधिक है।[3] अनुमानतः प्रत्येक वर्ष 10 से 20 मिलियन गैर-घातक आत्महत्या प्रयास होते हैं।[4] युवाओं तथा महिलाओं में प्रयास अधिक आम हैं।
इतिहास सम्मान और जीवन का अर्थ जैसे व्यापक अस्तित्व विषयों द्वारा आत्महत्या के विचारों पर प्रभाव पड़ता है। अब्राहमिक धर्म पारम्परिक रूप से आत्महत्या को ईश्वर के समक्ष किया जाने वाला पाप मानते हैं क्योंकि वे जीवन की पवित्रतामें विश्वास करते हैं। जापान में सामुराई युग में, सेप्पुकू को विफलता का प्रायश्चित या विरोध का एक रूप माना जाता था। सती, जो अब कानूनन निषिद्ध है हिंदू दाह संस्कार है, जो पति की चिता पर विधवा द्वारा खुद को बलिदान करने से सम्बन्धित है, यह अपनी इच्छा या परिवार व समाज के दबाव में किया जाता था।[5]
आत्महत्या और आत्महत्या का प्रयास, पूर्व में आपराधिक रूप से दण्डनीय था लेकिन पश्चिमी देशों में अब ऐसा नहीं है। बहुत से मुस्लिम देशों में यह आज भी दण्डनीय अपराध है। 20वीं और 21वीं शताब्दी में आत्मदाह के रूप में आत्महत्या विरोध का एक तरीका है और कामीकेज़ और आत्मघाती बम विस्फोट को फौजी या आतंक वादी युक्ति के रूप में उपयोग किया जाता है।[6]
आत्महत्या जिसे पूर्ण आत्महत्या भी कहा जाता है, “अपना जीवन स्वयं समाप्त” करने की क्रिया है।[7] आत्महत्या का प्रयास या गैर-घातक आत्महत्या व्यवहार स्वयं को घायल करना है, जिसके साथ अपने जीवन को समाप्त करने की इच्छा शामिल होती है और इसमें मृत्यु नहीं होती है।[8] सहाय्यित आत्महत्या वह है जब एक व्यक्ति किसी दूसरे को उसकी आत्महत्या के लिए प्रेरित करता है या सहायता करता है।[9] यह इच्छामृत्यु के विपरीत है जहां पर व्यक्ति किसी व्यक्ति की मृत्यु की इच्छा को पूरा करने के लिए अधिक सक्रिय भूमिका निभाता है।[9] आत्महत्या का विचार अपने जीवन को समाप्त करने के बारे में विचार करना है।[8]
आत्महत्या के जोखिम को प्रभावित करने वाले कारकों में मानसिक विकार, औषधि दुरुपयोग, मानसिक अवस्थाएं, संस्कृति, परिवार और सामाजिक परिस्थितियां तथा आनुवांशिकी शामिल है।[11] मानसिक रोग और नशीले पदार्थ के दुरुपयोग आम तौर पर आपस में संबंधित दिखते हैं।[12] अन्य जोखिम कारकों में पूर्व में आत्महत्या के किए गए प्रयास,[13] ऐसा करने के लिए साधनों की आसान उपलब्धता, आत्महत्या का पारिवारिक इतिहास या घातक मस्तिष्क चोट भी शामिल हैं।[14] उदाहरण के लिए, उन परिवारों में आत्महत्या की दर अधिक है जिनके पास बंदूक जैसे हथियार है।[15] सामाजिक आर्थिक कारक जैसे बेरोजगारी, गरीबी, बेघर होना और भेदभाव किया जाना, आत्महत्या के विचारों को पैदा कर सकते हैं। को पैदा कर सकते हैं।[16] लगभग 15–40% लोग सुसाइड नोट छोड़ते हैं।[17] आत्महत्या के व्यवहारों के लिए आनुवांशिकी 38% से 55% तक जिम्मेदार दिखती है।[18] बुजुर्ग योद्धाओं के साथ आत्महत्या का जोखिम अधिक है क्योंकि उनमें युद्ध से संबंधित मानसिक बीमारी और शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की दर अधिक होती है।[19]
मानसिक विकार आम तौर पर आत्महत्या के समय उपस्थित रहते हैं जिनका अनुमान 27 से लेकर[20] 90 प्रतिशत से अधिक तक होता है।[13] वे जिनको किसी मनोवैज्ञानिक इकाइयों में भर्ती किया गया हो उनके द्वारा जीवन में आत्महत्या को पूरा करने की संभावना 8.6 प्रतिशत होती है।[13] आत्महत्या करके मरने वाले समस्त लागों में से आधे को प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार होता है; इसके या द्विध्रुवी विकार जैसे दूसरे मनोदशा विकारों के कारण आत्महत्या का जोखिम 20 गुना तक बढ़ जाता है।[21] अन्य परिस्थितयों में विखंडितमनस्कताग्रस्त(14%), व्यक्तित्व विकार (14%),[22] द्विध्रुवी विकार[21] और अभिघातज तनाव पश्चात विकार शामिल है।[13] विखंडितमनस्कताग्रस्त से पीड़ित लगभग 5% लोग आत्महत्या के कारण मृत्यु को प्राप्त होते हैं।[23] भोजन विकार एक और उच्च जोखिम परिस्थिति है।[24]पहले के आत्महत्या के प्रयासों का इतिहास आत्महत्या के अंततः पूर्ण होने का सबसे बड़ा भविष्यवक्ता होता है।[13] आत्महत्या के लगभग 20% मामलों में पहले भी प्रयास होते हैं और जो पहले आत्महत्या का प्रयास कर चुके होते हैं उनमें से 1% लोग, एक साल के भीतर ही आत्महत्या पूर्ण कर लेते हैं[13] और 5% से अधिक 10 सालों के बाद आत्महत्या करते हैं।[24] जबकि खुद को चोट पहुंचाने की क्रिया को आत्महत्या के प्रयास के रूप में नहीं देखा जाता है, फिर भी खुद को चोट पहुंचाने से संबंधित व्यवहार को आत्महत्या के बढ़े जोखिम से जोड़ कर देखा जाता है।[25] पूर्ण हुए आत्महत्या के लगभग 80% मामलों में लोग अपनी मृत्यु के पहले एक साल के भीतर चिकित्सक से मिल होते हैं,[26] इनमें से 45% पिछले माह ही मिले होते हैं।[27] आत्महत्या पूरा करने वालों में से 25–40% लोगों ने पिछले साल मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं से संपर्क किया था।[20][26]
बड़े अवसाद और द्विध्रुवी विकार के बाद मादक पदार्थ उपयोग आत्महत्या का दूसरा सबसे आम जोखिम कारक है।[28] काफी लंबे समय तक मादक पदार्थ उपयोग तथा तीव्र नशा दोनों ही संबंधित हैं।[12][29] जब इनको एकाकीपन जैसे निजी विषाद के साथ जोड़ा जाता है तो जोखिम और बढ़ जाता है।[29] इसके अतिरिक्त मादक पदार्थ दुरुपयोग मानसिक स्वाथ्य विकारों से संबंधित है।[12] आत्महत्या करने वाले अधिकतर लोग, आत्महत्या करते समय शामक कृत्रिम निद्रावस्था दवाएं (जैसे कि अल्कोहल या बेंज़ोडाइज़ेपाइन्स) के प्रभाव में होते हैं[30]जिनमें अल्कोहल के नशे की उपस्थिति की मात्रा 15% से 61% मामलों में हो सकती है।[12] वे देश जहाँ पर अल्कोहल उपयोग की दर उच्च है तथा मदिरालयों का घनत्व अधिक है उनके यहां पर आत्महत्या की दर उच्च है[31] यह संयोग प्राथमिक रूप से आसवित सुरा के उपयोग से संबंधित है न कि अल्कोहल के कुल उपयोग से।[12] अल्कोहल से उपचार किए गए लोगों में से लगभग 2.2–3.4% वे लोग हैं जिन्होने अपने जीवन में आत्महत्या से मृत्यु प्राप्त करने का प्रयास किया है।[31]अल्कोहल के नशेड़ी जिन्होने आत्महत्या का प्रयास किया वे आम तौर पर पुरुष, बुजुर्ग और पहले आत्महत्या का प्रयास कर चुके लोग हैं।[12]हेरोइन का उपयोग करने वालों में होने वाली म़त्यु का 3 से लेकर 35% तक आत्महत्या के कारण मरे थे (यह उनकी संख्या का 14 गुना है जो इनका उपयोग नहीं करते हैं)।[32]
The misuse of कोकीन और मेथाम्फेटामीन तथा आत्महत्या के बीच उच्च अंतःसंबंध है।[12][33]वे जो कोकीन का उपयोग करते हैं उनमें इस अवस्था की वापसी के जोखिम काफी अधिक हैं।[34] Those who used श्वसन द्वारा ग्रहण किए जाने वाले नशीले पदार्थ का उपयोग करने वाले भी बड़े जोखिम में है जिसमें से लगभग 20% कभी न कभी आत्महत्या का प्रयास करते हैं और 65% इसके बारे में सोचते हैं।[12] सिगरेट पीना भी आत्महत्या के जोखिम से जुड़ा है।[35] इस बात के साक्ष्य काफी कम हैं कि यह संबंध क्यों अभी भी मौजूद है; हलांकि यह सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि जो धूम्रपान के प्रति संवेदनशील होते हैं वे आत्महत्या के प्रति भी संवेदनशील होते हैं और धूम्रपान स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करता है जिसके चलते लोग अपना जीवन समाप्त करना चाहते हैं और धूम्रपान मस्तिष्क की रासायनिक संरचना को प्रभावित करती है।[35] भांग के कारण स्वतंत्र रूप से यह जोखिम बढ़ता नहीं दिखता है।[12]
जुएं की लत का सम्बन्ध सामान्य जनसंख्या की अपेक्षा बढ़े हुए आत्महत्या के विचार तथा प्रयासों के साथ है।[36] 12 से 24% लती जुआरी आत्महत्या का प्रयास करते हैं।[37]उनकी पत्नियों के बीच आत्महत्या की दर सामान्य जनसंख्या की अपेक्षा तीन गुना अधिक होती है।[37] लती जुआरियों में जोखिम को बढ़ाने वाले अन्य कारकों में मानसिक व्याधियाँ, अल्कोहल तथा नशीली दवाओं का सेवन आदि हैं।[38]
आत्महत्या की प्रवत्ति तथा शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं के बीच सम्बन्ध है जैसे:[24]पुराने दर्द,[39] अभिघातजन्य मस्तिष्क की चोट,[40] कैंसर,[41]ऐसे व्यक्ति जो हीमोडायलिसिस पर हों, एचआईवी, सिस्टमिक ल्युपस एरीथेमाटोटस तथा कुछ अन्य बीमारियाँ।[24] कैंसर की पहचान के पश्चात आत्महत्या के बाद खतरा लगभग दोगुना हो जाता है।[41] आत्महत्या की बढ़ी हुई प्रवृत्ति अवसादग्रस्तता की बीमारी और शराब के अत्यधिक सेवन के समायोजन के बाद भी बनी रहती है। एक से अधिक चिकित्सा स्थिति वाले व्यक्तियों में, जोखिम विशेष रूप से ऊँचा था। जापान में स्वास्थ्य समस्याओं को आत्महत्या के प्राथमिक औचित्य के रूप में सूचीबद्ध किया जाता है।[42]नींद की समस्याएँ जैसे कि अनिद्रा[43] तथा स्लीप एप्निया अवसाद और आत्महत्या के लिए जोखिम कारक हैं। कुछ मामलों में नींद की समस्याएँ अवसाद से अलग एक जोखिम कारक हो सकती हैं।[44] कई अन्य चिकित्सा स्थितियाँ मनोदशा विकारों के लक्षणों के साथ उपस्थित हो सकती हैं, जैसे: हाइपोथायरायडिज्म, अल्जाइमर्स, मस्तिष्क का ट्यूमर, सिस्टमिक ल्युपस एरीथेमाटोटस तथा कई दवाइयों के प्रतिकूल प्रभाव (जैसे बीटा ब्लॉकर्स तथा स्टेरॉयड्स)।[13]
कई मनोवैज्ञानिक अवस्थाएं आत्महत्या के खतरों को बढ़ाती हैं, जिनमें निराशा, जीवन में आनन्द की कमी, अवसाद तथा व्यग्रता शामिल हैं।[21] समस्याओं को हल करने की क्षमता की कमी, भूत-काल की क्षमताओं में कमी तथा आवेग पर नियन्त्रण में कमी भी इसमें भूमिका निभाते हैं।[21][45]अधिक उम्र के वयस्कों में दूसरों पर बोझ होने की धारणा भी महत्वपूर्ण है।[46][46] हाल के जीवन के तनाव जैसे परिवार के किसी सदस्य अथवा किसी मित्र को खोना, नौकरी खोना, अथवा सामाजिक अलगाव (जैसे अकेले रहना) इस खतरे में वृद्धि करते हैं।[21] कभी विवाहित नहीं रहने वाले लोग भी उच्च जोखिम में आते हैं।[13] धार्मिक होने से किसी व्यक्ति के लिये आत्महत्या का खतरा कम हो जाता है।[47] इसका कारण अनेक धर्मों में आत्महत्या के लिये नकारात्मक रूख तथा धर्म से प्राप्त होने वाली संयुक्तता है।[47] धार्मिक व्यक्तियों में, मुस्लिम लोगों में आत्महत्या की दर कम प्रतीत होती है।[48] कुछ लोग धमकी अथवा पक्षपात से बचने के लिये आत्महत्या कर लेते हैं।[49] बचपन में हुआ यौन शोषण[50] तथा पालक घर में व्यतीत समय भी जोखिम के कारक हैं।[51] यौन शोषण को कुल जोखिम के 20% को योगदान का कारक माना जाता है।[18]आत्महत्या की क्रमिक विकास व्याख्या यह है कि यह समावेशी फिटनेस में सुधार ला सकती है। ऐसा तब हो सकता है जब आत्महत्या करने वाला व्यक्ति बच्चे पैदा नहीं कर सकता तथा जीवित रह कर वह अपने रिश्तेदारों से संसाधनों को लेता रहता है। इसकी एक आपत्ति यह है कि स्वस्थ किशोरों की मृत्यु की सम्भावना समावेशी फिटनेस में वृद्धि नहीं करती है। एक निनान्त अलग पैतृक वातावरण में अनुकूलन वर्तमान वातावरण की तुलना में दोषपूर्ण अनुकूलन हो सकता है।[45][52] गरीबी आत्महत्या के जोखिम से जुड़ी हुई है।[53]किसी व्यक्ति के आसपास उनकी तुलना में बढ़ रही सापेक्ष गरीबी आत्महत्या के खतरे को बढ़ाती है।[54] 1997 से भारत में लगभग 2,00,000 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है जो कि कुछ हद तक ऋण सम्बन्धी कारणों से सम्बन्धित है।[55]चीन के ग्रामीण क्षेत्रों में आत्महत्या की आशंका शहरी क्षेत्रों के मुकाबले तीन गुना होती है, जिसका आंशिक कारण देश के इन क्षेत्रों में होने वाली वित्तीय परेशानियों को माना जाता है।[56]
मीडिया, जिसमें इण्टरनेट भी शामिल है, एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।[11] यह आत्महत्या का चित्रण ऐसे कवरेज की अधिक मात्रा, प्रमुखता तथा दोहराव के द्वारा करती है जिसमें आत्महत्या का महिमा-मंडन अथवा रोमानी-चित्रण किया जाता है।[57]जब किसी माध्यम से आत्महत्या करने का विस्तृत वर्णन की व्याख्या की जाती है, आत्महत्या की इस विधि की वृद्धि पूर्ण जनसंख्या में हो सकती है।[58]आत्महत्या संसर्ग का यह ट्रिगर अथवा कॉपी-कैट आत्महत्या को वार्थर प्रभाव के रूप में जाना जाता है, जिसका नाम गेटे के पक्षधर पर पड़ा है दि सौरोज़ ऑफ यंग वार्थर जिन्होंने स्वयं आत्महत्या की थी।[59] युवाओं में यह जोखिम अधिक होता हैं क्योंकि वे मृत्यु को रोमानी समझते हैं।[60] ऐसा प्रतीत होता है कि मीडिया द्वारा एक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, मनोरंजन मीडिया का प्रभाव भी उतना ही होता है।[61] वार्थर प्रभाव के विपरीत प्रस्तावित पापाजेनो प्रभाव है, जिसमें माना जाता है कि प्रभावी बचाव तन्त्र की कवरेज के फलस्वरूप एक सुरक्षात्मक प्रभाव हो सकता है। यह शब्द मोजार्ट के ओपेरा के एक चरित्र जादुई बांसुरी पर आधारित है जो अपने प्रिय व्यक्ति को खोने के डर से आत्महत्या करने जा रहा था, जबकि मित्रों ने सहायता करके उसको बचा लिया।[59] मीडिया के द्वारा उचित रिपोर्टिंग दिशा निर्देशों के पालन से आत्महत्या के खतरे को कम किया जा सकता है।[57]हालाँकि उद्योग से अन्तः-क्रय, विशेष रूप से लम्बी अवधि के में, मुश्किल हो सकती है।[57]
तर्कसंगत आत्महत्या तार्किक रूप से अपने प्राण त्यागने को कहते हैं,[62] हालाँकि कुछ लोग ऐसा सोचते हैं कि आत्महत्या कभी तर्कसंगत नहीं हो सकती है।[62] दूसरों के हित में अपने जीवन को समाप्त करने के कार्य को परार्थवादी आत्महत्या कहते हैं।[63] इसका एक उदाहरण समुदाय में युवा लोगों के लिए भोजन की अधिकाधिक मात्रा छोड़ने के लिए किसी बूढ़े व्यक्ति द्वारा अपने जीवन को समाप्त करना है।[63] किन्ही एस्किमो संस्कृतियों में इसे इस सम्मान, साहस अथवा बुद्धिमत्ता के एक कार्य के रूप में देखा गया है।[64]आत्मघाती हमला एक राजनैतिक कार्यवाई है जिसमें हमलावर दूसरों के विरुद्ध हिंसा यह जानते हुए भी करता कि इसका अन्त उसकी स्वयं की मृत्यु के रूप में होगा।[65] कुछ आत्मघाती हमलावर इसे शहादत का जरिया मानते हैं।[19] कामिकाज़े अभियान एक बड़े मकसद अथवा नैतिक दायित्व के रूप में किये गए थे।[64] हत्या-आत्महत्या मानववध की वह घटना है जिसमें इसे करने वाले द्वारा स्वयं ही एक सप्ताह के अन्दर आत्महत्या कर ली जाती है।[66] सामूहिक आत्महत्या अक्सर सामजिक दबाव में की जातीं हैं जबकि सदस्य अपने नेता को स्वायत्तता दे देते हैं।[67] सामूहिक आत्महत्या में कम से कम दो लोग हो सकते हैं, जिसको आत्महत्या समझौता के रूप में भी जाना जाता है।[68]
हल्का करने वाली परिस्थियों में, जबकि जीवित रहना असहनीय प्रतीत होता है, कुछ लोग आत्महत्या को बचाव के साधन के रूप में अपनाते हैं।[69] नाज़ी यातना शिविरों में कुछ बंदियों द्वारा जानबूझ कर विद्युतीकृत बाड़ को छू कर स्वयं को मार दिए जाने की जानकारी है।[70]
आत्महत्या के प्रमुख कारण भिन्न-भिन्न देशों में भिन्न-भिन्न हैं। विभिन्न क्षेत्रों की प्रमुख विधियों में फाँसी, कीटनाशक विष पीना और आग्येयास्त्रों का उपयोग शामिल है।[71] विभिन्न भागों में होने वाले ये अंतर संभवतः विभिन्न विधियों की उपलब्धता पर निर्भर करते हैं।[58]56 देशों की एक समीक्षा से पता चलता है कि अधिकतर देशों में आत्महत्या सबसे आम विधि थी, [72] जो 53% पुरुषों और 39% महिलाओं की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार थी।[73] पूरी दुनिया में आत्महत्याओं का 30% कीटनाशकों से होता है। इस विधि का उपयोग हलांकि यूरोप में 4% से ले कर प्रशांत क्षेत्र में 50% के बीच विस्तृत है।[74]कृषि जनसंख्याओं में इस तक आसान पहुंच के कारण, यह लैटिन अमरीका में भी यह काफी आम है।[58] बहुत से देशों में, दवाओं की अतिरिक्त खुराक का उपयोग महिलाओं में आत्महत्या के 60% मामलों में तथा पुरुषों में 30% मामलों में देखा गया है।[75] इनमें बहुत से गैरनियोजित होते हैं और दुविधा की गंभीर अवस्था के दौरान होते हैं।[58] मृत्युदर विधि के अनुसार भिन्न-भिन्न होती हैः आग्नेयास्त्र 80-90%, डूबकर 65-80%, फांसी लगाकर 60-85%, कार एक्ज़ास्ट 40-60%, कूदना 35-60%, बंद कमरे में कोयला जलाकर 40-50%, कीटनाशक 6-75%, दवा की अतिरिक्त खुराक 1.5-4%।[58] आत्महत्या के प्रयास की सबसे आम विधियां, सबसे सफल विधियों से भिन्न होती है जिनमें से विकसित देशों में प्रयासों का 85% तक दवाओं की अतिरिक्त खुराक के माध्यम से होता है।[24]संयुक्त राज्य अमरीका में आत्महत्या के 57% मामलों में आग्नेयास्त्रों का उपयोग होता है, यह विधि महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक आम है।[13] अगला सबसे आम कारण पुरुषों में फांसी और महिलाओं में खुद को विष देना है।[13] ये विधियां मिलकर यूएस में आत्महत्या के 40% मामलों के लिए जिम्मेदार हैं।[76] स्विटज़रलैंड, जहां पर लगभग सभी के पास आग्नेयास्त्र हैं, अधिकतम आत्महत्याएं फांसी लगा कर की जाती हैं।[77] कूद कर जान देना हांगकांग और सिंगापुर क्रमशः 50% और 80% तक है।[58] चीन में कीटनाशकों को खा कर जान देना सबसे आम तरीका है।[78] जापान में अपने पेट को चोट पहुंचा कर खत्म करना, जिसे सेपूकू या हारा-किरी कहते हैं अभी भी मौजूद है,[78] हलांकि फांसी लगा कर आत्महत्या करना सबसे आम तरीका है।[79]
आत्महत्या या अवसाद की कोई एकीकृत अंतर्निहित पैथोफिज़ियोलॉजी नहीं है।[13] हलांकि यह माना जाता है कि ये व्यावहारिक, सामाजिक-पर्यावरणीय और मनोवैज्ञानिक कारकों के अंतःसंबंधों से उपजता है।[58] मस्तिष्क व्युत्पन्न न्यूरोट्रॉफिक कारक (बीडीएनएफ) के निम्न स्तर प्रत्यक्ष रूप से आत्महत्या के साथ जुड़े हैं[80] और अप्रत्यक्ष रूप से गंभीर अवसाद तथा अभिघातजन्य तनाव पश्चात विकार, स्किज़ोफ्रेनिया और जुनूनी बाध्यकारी विकार से जुड़े हैं।[81] शव-परीक्षा अध्ययनों से पता चला है कि मनोवैज्ञानिक परिस्थितियों वाले तथा उनके बिना वाले, दोनों तरह के लोगों में बीडीएनएफ के हिप्पोकैंपस और प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स में निम्न स्तर मिले हैं।[82] सेरोटोनिन, जो कि मस्तिष्क का न्यूरोट्रांसमिटर है, आत्महत्या करने वालों में कम होता है। आंशिक रूप से इसे मृत्यु के पश्चात 5-HT2A ग्राहियों के बढ़े स्तर के साक्ष्यों के आधार पर कहा जाता है।[83] अन्य साक्ष्यों में सेरेब्रल स्पाइनल तरल में 5-हाइड्रॉक्सीइन्डॉलिएसिटिक अम्ल सेरोटोनिन के टूटने से बने उत्पाद के घटे स्तर शामिल हैं।[84] हलांकि प्रत्यक्ष साक्ष्य मिलना कठिन है।[83] एपिजेनेटिक्स जो कि ऐसे वातावरणीय कारकों की प्रतिक्रिया में आनुवंशिक अभिव्यक्ति में परिवर्तनों का अध्ययन है जो अतर्निहित डीएनए को बदलते नहीं है, इसे भी आत्महत्या के जोखिम को निर्धारित करने में भूमिका निभाने के लिए उत्तरदायी माना जाता है।[85]
आत्महत्या की रोकथाम एक वाक्यांश है जिसे, रोकथाम उपायों के माध्यम से आत्महत्या की घटनाओं को कम करने के लिए सामूहिक प्रयास के लिए उपयोग किया जाता है। कुछ विधियों तक पहुंच को कम करना जैसे आग्नेयास्त्र या विष, इस जोखिम को कम करता है।[58][86] अन्य उपायों में कोयले तथा पुलों व सबवे प्लेटफॉर्मों पर बैरियर तक पहुंच कम करना शामिल है।[58] नशीली दवाओं तथा मदिरा की लत, अवसाद और पहले आत्महत्या का प्रयास कर चुके लोगों का उपचार भी प्रभावी हो सकता है।[86] कुछ लोगों ने मदिरा तक पहुंच की कमी को रोकथाम रणनीति के रूप में प्रस्तावित किया है (जैसे कि मदिरालयों की संख्या को कम करना)।[12] हलांकि संकटकालीन हॉटलाइनें आम हैं, लेकिन इस बात के साक्ष्य कम है कि इस उपाय को और समर्थन दिया जाए।[87][88] युवा वयस्क जिन्होने हाल ही में आत्महत्या के बारे में सोचा है, उनमें संज्ञानात्मक व्यवहार उपचार परिणामों को बेहतर करता दिखता है।[89] आर्थिक विकास की अपनी गरीबी कम करने की क्षमता के कारण आत्महत्या की दर में कमी लाने में सक्षम हो सकता है।[53] सामाजिक संबंधों को बढ़ाने के प्रयास, विशेष रूप से बुजुर्गों में प्रभावी हो सकते हैं।[90]
आत्महत्या की अंतिम दर पर सामान्य जनसंख्या की जाँच के प्रभावों पर काफी कम आँकड़े उपलब्ध हैं। .[91] चूंकि ऐसे लोगों की दर उच्च हैं जो कि इन उपायों की जाँच के प्रति सकारात्मक होने के बावजूद आत्महत्या के जोखिम में नहीं है, इसलिए चिंता की बात यह है कि जाँच, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल संसाधन का उपयोग बहुत अधिक बढ़ जाए।[92] हलांकि उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए आंकलन अनुशंसित है।[13] आत्महत्या की संभावना के बारे में पूछने से जोखिम बढ़ता नहीं दिखता है।[13]
मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों में उपचार के कई प्रकार आत्महत्या के जोखिम को कम कर सकते हैं। वे लोग जो सक्रिय रूप से आत्महत्या के जोखिम में आते हैं उनको उनकी इच्छा से या बलपूर्वक मानसिक देखभाल में भर्ती किया जा सकता है।[13]वे चीजें जो ऐसे लोगों को हानि पहुंचा सकती हैं, आम तौर पर हटा दी जाती हैं।[24] कुछ चिकित्सक रोगियों से आत्महत्या रोकथाम अनुबंध पर हस्ताक्षर कराते हैं जिसके माध्यम से वे छोड़े जाने पर खुद को नुक्सान न पहुंचाने पर सहमित प्रदान करते हैं।[13] हलांकि, साक्ष्य इस अभ्यास के प्रभावी होने का संकेत नहीं देते हैं।[13] यदि कोई व्यक्ति निम्न जोखिम पर है तो वाह्य-रोगी मानसिक स्वास्थ्य उपचार का प्रबंध किया जा सकता है[24] पुराने आत्महत्या करने की मनस्थिति वाले वे लोग जो सीमांत व्यक्तित्व विकार से पीड़ित हैं उनमें लघु-अवधि के लिए अस्पताल में भर्ती किए जाने को सामुदायिक देखभाल से बेहतर नहीं देखा गया है।[93][94] इस बात के अंतरिम साक्ष्य उपलब्ध हैं कि मानसिक उपचार, विशेष रूप से डायालेक्ट्रिक बिहेवियरल उपचार, किशोरों में[95] तथा साथ ही सीमांत व्यक्तित्व विकार वाले लोगों में आत्महत्या की प्रवृति को कम करता है।[96] हलांकि इस बात के साक्ष्य नहीं मिले हैं कि अंततः आत्महत्या में कमी हुई हो।[95]अवसाद-रोधी दवाओं के लाभ बनाम हानियों पर विवाद है।[11] युवा लोगों में नई अवसाद रोधी दवाओं जैसे SSRIs आत्महत्या की प्रवृत्ति को 25 प्रति 1000 से 40 प्रति 1000 तक बढ़ाती दिखती है।[97] हलांकि बुजुर्गों में जोखिम कम हो सकता है।[13] लीथियम उन लोगों में जोखिम कम करने में प्रभावी दिखता है जिनमें द्विध्रुवीय विकार और एकध्रुवीय अवसाद समान्य जनसंख्या जितने स्तर पर दिखता है।[98][99]
लगभग 0.5% से 1.4% लोग अपने जीवन को आत्महत्या द्वारा समाप्त कर देते हैं।[2][13]वैश्विक रूप से 2008/2009 में आत्महत्या मृत्यु का दसवां सबसे बड़ा कारण है[1] इस तरह से लगभग 8,00,000 से दस लाख लोग वार्षिक रूप से मरते हैं, जिसका वार्षिक मृत्यु दर में 11.6 प्रति 100,000 व्यक्ति का योगदान है।[2] आत्महत्या की दर 1960 से 2012 तक लगभग 60% तक बढ़ गयी है,[86] इन वृद्धियों को प्राथमिक रूप से विकासशील दुनिया में देखा गया है।[1] प्रत्येक सफल आत्महत्या के प्रयास के पीछे 10 से 40 आत्महत्या के असफल प्रयास होते हैं।[13] आत्महत्या की दरों में देशों के बीच समयानुसार महत्वपूर्ण अंतर होता है।[2] 2008 में मृत्यु का प्रतिशत निम्न था: अफ्रीका 0.5%, दक्षिण-पूर्व एशिया 1.9% अमरीकी देश 1.2% और यूरोप 1.4%,[2] प्रति 1,00,000 दर: ऑस्ट्रेलिया 8.6, कनाडा 11.1, चीन 12.7, भारत 23.2, यूनाइटेड किंगडम 7.6, संयुक्त राज्य अमरीका 11.4[101] 2009 में प्रतिवर्ष 36,000 मामलों के साथ, संयुक्त राज्य अमरीका में इसे 10 वाँ प्रमुख मृत्यु का कारण पाया गया था।[102] और लगभग 6,50,000 लोगों ने आत्महत्या के प्रयास के कारण वार्षिक रूप से आकस्मिक विभाग का दौरा किया।[13] लिथुएनिया, जापान और हंगरी में यह दर सर्वाधिक है।[2] चीन और भारत वे देश हैं जिनमें सबसे अधिक आत्महत्या मौतें होती हैं, इन दोनों देशों में विश्व की इस विधि से होने वाली कुल मौतों की आधी होती हैं।[2] चीन में आत्महत्या मृत्यु, मौत का पाँचवा सबसे बड़ा कारण है।[103]
पश्चिमी दुनिया में, आत्महत्या के साधनों द्वारा पुरुष, महिलाओं की तुलना में तीन से चार गुना तक अधिक मरते हैं, हलांकि महिलाएं, पुरुषों की तुलना में चार गुना अधिक आत्महत्या प्रयास करती हैं।[2][13] इसका कारण पुरुषों द्वारा अपना जीवन समाप्त करने के लिए अधिक खतरनाक हथियारों का उपयोग है।[104] यह अंतर 65 से अधिक की उम्र वालों में अधिक होता है, इस समय यह अंतर 10 गुना तक अधिक होता है।[104] चीन में महिलाओं की आत्महत्या दर सर्वाधिक है तथा यह अकेला देश है जहाँ पर यह पुरुषों से महिलाओं की आत्महत्या की दर अधिक है (0.9 दर)।[2][103] पूर्वी भूमध्य में आत्महत्या की दर पुरुषों व महिलाओं में लगभग समान है।[2] महिलाओं के लिए आत्महत्या की दर सर्वाधिक दक्षिण कोरिया में प्रति 1,00,000 पर 22 थे, दक्षिण पूर्व एशिया और पश्चिमी भूमध्य में दरें आमतौर पर उच्च है।[2]
बहुत से देशों में अधेड़ लोगों में या बुजुर्गों में आत्महत्या की दर सबसे[105] अधिक होती है।[58] हलांकि आत्महत्या की परम संख्या 15 से 29 वर्षों के लोगों में सर्वाधिक है, क्योंकि इस उम्र समूह के लोगों की संख्या भी अधिक होती है।[2] संयुक्त राज्य अमरीका में यह 80 वर्ष से अधिक उम्र के कॉकेशियन पुरुषों सर्वाधिक है, हलांकि युवा लोग आत्महत्या का अधिक प्रयास करते हैं।[13] किशोरों में यह मृत्यु का सबसे आम[11] और युवा पुरुषों में यह दुर्घटना से मृत्यु के बाद दूसरे नंबर का कारण है।[105] विकसित देशों में युवा पुरुषों में यह मृत्यु दर का लगभग 30% है।[105] विकासशील दुनिया में दर समान हैं लेकिन समग्र मौतों में इनकी भागीदारी दर कम है क्योंकि दूसरे प्रकार के अभिघात के कारण होने वाली मौतों की दर उच्च है।[105] दुनिया के दूसरे क्षेत्रों की तुलना में, दक्षिण पूर्व एशिया में बुजुर्ग महिलाओं तुलना में युवा महिलाओं की आत्महत्या की दर अधिक है।[2]
प्राचीन एथेंस में जो व्यक्ति राज्य की अनुमति के बिना आत्महत्या करता था उसे सामान्य रूप से दफन होने का अधिकार नहीं मिलता था। उस व्यक्ति को शहर से बाहर अकेले दफन किया जाता था, उसकी कब्र पर किसी प्रकार का चिह्न नहीं लगा होता था।[106] प्राचीन ग्रीस और रोम में आत्महत्या को युद्ध में हार के समय मौत का स्वीकार्य तरीका था।[107] प्राचीन रोम में, आरंभिक रूप से आत्महत्या को अनुमत माना जाता था, लेकिन बाद में इसे इसकी आर्थिक लागत के कारण राज्य के विरुद्ध अपराध माना जाने लगा।[108] 1670 में फ्रांस के लुई XIV द्वारा एक आपराधिक राजाज्ञा जारी की गयी थी, जिसमें अधिक कठोर दंड का प्रावधान थाः मृत व्यक्ति के शरीर को चेहरा जमीन की ओर रखते हुए सड़क पर घसीटा जाता था और फिर उसे लटका दिया जाता था, जिसके बाद कूड़े के ढ़ेर पर डाल दिया जाता था।
इसके साथ ही उस व्यक्ति की सारी संपत्ति जब्त कर ली जाती थी।[109][110] ऐतिहासिक रूप से इसाई चर्च के वे लोग जो आत्महत्या का प्रयास करते थे समाज से बहिष्कृत कर दिए जाते थे और वे जो मर जाते थे उनको निर्धारित कब्रिस्तान से बाहर दफनाया जाता था।[111] 19 वीं शताब्दी के अंत में ग्रेट ब्रिटेन में आत्महत्या का प्रयास को हत्या के प्रयास के तुल्य माना जाता था और इसकी सजा फाँसी तक थी।[111] 19 वीं शताब्दी में यूरोप में आत्महत्या के कृत्य को पाप से किए जाने वाले काम से हटाकर पागलपनसे प्रेरित कृत्य कर दिया गया।[110]
अधिकतर पश्चिमी देशों में आत्महत्या अब अपराध नहीं रह गया है,[112] हलांकि यह अधिकांश पश्चिमी यूरोपीय देशों में मध्य युग से, कम से कम 1800 तक इसे अपराध माना जाता था।[113] कई इस्लामिक देशों में इसे दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखा जाता है।[48] ऑस्ट्रेलिया में आत्महत्या एक अपराध नहीं है।[114]हलांकि इसकी सलाह देना, उकसाना या इसमें सहायता देना और किसी को आत्महत्या करने के लिए सहायता करना अपराध की श्रेणी में है और कानून विशिष्ट रूप से किसी व्यक्ति को “यथोचित रूप से आवश्यक दबाव बनाने” की अनुमति देता है जो किसी दूसरे व्यक्ति को आत्महत्या के प्रयास से रोकने के लिए हो।[115] ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी राज्य में 1996 से 1997 तक एक छोटी सी अवधि में चिकित्सक की सहायता द्वारा मृत्यु को प्राप्त करना कानूनी रूप से वैध था।[116] वर्तमान समय में यूरोप का कोई भी देश आत्महत्या या आत्महत्या के प्रयास को अपराध नहीं मानता है।[111] इंगलैण्ड और वेल्स ने आत्महत्या अधिनियम 1961 के माध्यम से और आयरलैंड में 1993 में आत्महत्या को गैर आपराधिक कर दिया था।[111] शब्द "करना (कमिट)" को इसके संदर्भ में उपयोग किया जाना गैरकानूनी है इसके नकारात्मक भाव के कारण बहुत सारे संगठनों ने इसे उपयोग करना बंद कर दिया है।[117][118] भारत में आत्महत्या गैरकानूनी है और शेष परिवार को कानूनी परेशानिया झेलनी पड़ सकती हैं।[119] जर्मनी में सक्रिय इच्छा मृत्यु गैरकानूनी है और आत्महत्या के दौरान उपस्थित किसी व्यक्ति पर इस आपातकाल में सहायता करने में विफल रहने का मुकदमा चलाया जा सकता है।[120] स्विटज़रलैंड ने हाल ही में सहाय्य आत्महत्या को पुराने मानसिक रोगियों के लिए कानूनी करने के लिए कदम उठाए हैं। लाउसाने में स्थित उच्च न्यायालय में 2006 के निर्णय में एक अज्ञात व्यक्ति को लंबे समय से चली आ रही मानसिक समस्याओं के कारण अपना जीवन समाप्त करने का अधिकार प्रदान किया था।[121]
संयुक्त राज्य अमरीका में, आत्महत्या गैरकानूनी नहीं है लेकिन जो इसका प्रयास करते हैं उनके लिए यह दंडनीय हो सकती है।[111] चिकित्सक की सहायता से की गयी आत्महत्या ओरेगॉन था वार्शिंगटन राज्य[122] में वैध है।[123]
इसाइयत के अधिकांश प्रकारों में, आत्महत्या को एक पाप माना जाता है जो कि मुख्य रूप से मध्यकाल के संत ऑगस्टीन और संत थॉमस एक्युइनॉस जैसे प्रभावशाली इसाई विचारकों के लेखों पर आधारित है, लेकिन उदाहरण के लिए आत्महत्या को बाइज़ेन्टाइन इसाई जस्टिनियन की धर्म संहिता में पाप नहीं माना जाता था।[124][125] कैथोलिक सिंद्धांत में, तर्क आज्ञा "तुम हत्या नहीं करोगे" (मेथ्यू 19:18 में जीसस द्वारा नए वचन के अंतर्गत लागू) तथा साथ ही इस विचार कि जीवन ईश्वर का दिया हुआ उपहार है और इसे अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिए और आत्महत्या “प्राकृतिक आदेश” के विरुद्ध है पर आधारित है, इसलिए यह दुनिया के लिए ईश्वर की महा-योजना के साथ हस्तक्षेप करता है।[126] हलांकि ऐसा माना जाता है कि मानसिक रोग या पीड़ा का गंभीर डर, आत्महत्या करने वाले के भीतर जिम्मेदारी के भाव को कम कर देता है।[127] जवाबी तर्क में निम्नलिखित शामिल हैं: कि छठी आज्ञा का यदि सटीक रूप से अनुवाद किया जाए तो “तुमको हत्या नहीं करनी चाहिए” में ‘अपनी हत्या’ शामिल नहीं है; यह कि ईश्वर ने मानव को स्वतंत्र इच्छा प्रदान की है; यह कि रोग का उपचार न करना, अपने जीवन को समाप्त करने से अधिक ईश्वर के कामून का पालन न करना है; यह कि ईश्वर के माननने वालों द्वारा की गई, कई आत्महत्याओं की बाइबिल में निंदा नहीं की गई है।[128] यहूदी धर्म जीवन के मूल्य के महत्त्व पर ध्यान केन्द्रित करता है और आत्महत्या को दुनिया में ईश्वर की अच्छाइयों को अस्वीकार करने के तुल्य मानता है। इसके बावजूद, चरम परिस्थितियों में जबकि धर्म से धोखा करने के लिए दबाव और मृत्यु के बीच कोई और विकल्प शेष न रह जाए तो यहूदियों ने आत्महत्या या सामूहिक आत्महत्या (उदाहरण के लिए मासादा, यहूदियों का पहला फ्रांसीसी उत्पीड़न और यॉर्क कासेल देखें) की है और एक गंभीर अनुस्मारक के रूप में मरणोपरान्त यहूदी प्रार्थनाओं में “जब गले पर चाकू हो तो” के लिए एक प्रार्थना है जो कि “ईश्वर के नाम की पवित्रता बनाए रखने के लिए” मरने वालों के लिए है (शहादत देखिए)। इन कृत्यों को यहूदी विचारकों की मिश्रित प्रतिक्रिया मिली है, कुछ लोग इसे महान शहादत के उदाहरणों के रूप में देखते हैं जबकि दूसरे इसे शहादत की अपेक्षा में अपने जीवन को इस तरह से देना गलत मानते हैं।[129]
इस्लाम में आत्महत्या की अनुमति नहीं है।[48] हिंदू धर्म में आत्महत्या से घृणा की जाती है और समकालीन हिंदू समाज में इसे किसी अन्य की हत्या के तुल्य पाप समझा जाता है। हिन्दू धर्मग्रंथ बताते हैं कि वह जो आत्महत्या करता है, आत्माओं की दुनिया में चला जाता है और वहाँ वह तब तक रहता है जब तक कि उसका धरती पर जीवन तय था, यदि वह आत्महत्या न करता।[130] हलांकि, हिंदू धर्म में इंसान के अपने जीवन को समाप्त करने के अधिकार को मान्यता मिली है, जैसे कि अहिंसा के अभ्यास द्वारा मृत्यु तक भोजन का त्याग जिसे प्रायोपवेशनभी कहा गया है।[131] लेकिन प्रायोपवेशन कड़ाई के साथ उन लोगों के लिए अनुमत है जिनके जीवन में अब कोई इच्छा या महत्वकांक्षा नहीं रह गई है।[131] जैन धर्म में भी समान अभ्यास किया जाता है जिसका नाम संथारा है। सती या आत्मदाह, हिन्दुओं में मध्यकाल में हिंदू समाज की विधवाओं द्वारा किया जाता था।
आत्महत्या के दर्शन को लेकर कई सार सवाल उठाए जाते हैं, जिनमें आत्महत्या विचार का गठन कैसे होता है, आत्महत्या का विचार एक तर्कसंगत विकल्प हो सकता है या नहीं और आत्महत्या की नैतिक अनुज्ञेयता शामिल है।[132] आत्महत्या नैतिक रूप से स्वीकार्य हो सकती है या नहीं, इस पर दर्शनशास्त्रीय तर्क में एक ओर तगड़ा विरोध है (आत्महत्या अनैतिक मानते हुए) तो कुछ लोग इसे उन सभी का (यहां तक कि युवा व स्वस्थ लोगों का भी) एक पुनीत अधिकार मानते है जिनका यह विश्वास है कि वे तार्किक रूप से सोच समझ कर अपने जीवन को समाप्त करने का निर्णय ले रहे हैं।
आत्महत्या के विरोधियों में इसाई दर्शनशास्त्री जैसे हिप्पो के ऑगस्टीन और थॉमस एक्युइनॉस,[132] इम्मेनुअन कांट[133] और निश्चित तौर पर जॉन स्टुअर्ट मिल शामिल है – मिल का स्वतंत्रता और स्वायत्तता के महत्त्व पर फोकस का तात्पर्य यह है कि वह उन चयनों को नकारते हैं जो व्यक्ति को भविष्य के स्वायत्त निर्णय लेने से रोकता है।[134] अन्य लोग आत्महत्या को निजी चुनाव का न्यायसंगत मामला मानते हैं। इस स्थिति के समर्थक इस बात पर कायम रहते हैं कि किसी को भी उसकी इच्छा के विरुद्ध सहन करने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए, विशेष रूप से लाइलाज रोगों, मानसिक रोगों और अधिक उम्र जैसी परिस्थितियों में, जिनमें कि सुधार की कोई संभावना नहीं है। वे इस विश्वास को अस्वीकार करते हैं कि आत्महत्या सदैव विवेकहीन होती है, इसके लिए वे ये तर्क देते हैं कि यह असहनीय दर्द या अभिघात से पीड़ित लोगों के लिए अंतिम वैध उपाय हो सकती है।[135] एक अधिक मजबूत पक्ष यह तर्क दे सकता है कि लोगों को स्वायत्त रूप से इस बात की अनुमति होनी चाहिए चाहे वे पीड़ित हो या नहीं। इस विचारधारा के महत्वपूर्ण समर्थकों में स्कॉटिश अनुभववादी डेविड ह्यूम[132] और अमरीकी बायोएथिस्ट जैकब एप्पेलशामिल हैं।[121][136]
आत्महत्या का समर्थन कई संस्कृतियों और उपसंस्कृतियों में किया गया है। द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापानी फौज ने कामिकाज़ी आक्रमणों को बढ़ावा व उनका महिमा मंडन किया था, जो कि द्वितीय विश्व युद्ध के प्रशांत अभियान के अंतिम चरणों में जापानी साम्राज्य के फौजी उड़ाकों द्वारा मित्र देशों के नौसेना पोतों पर आत्मघाती आक्रमण थे। जापानी समाज को समग्र रूप से आत्महत्या “सहिष्णु” समझा जाता है[138] (जापान में आत्महत्या देखें)। आत्महत्या पर जानकारी के लिए इंटरनेट खोज से मिले वेबपेज यह दर्शाते हैं कि 10-30% बार ये आत्महत्या के प्रयासों को बढ़ावा देते या सुविधा प्रदान करते हैं। इस बात को लेकर कुछ चिंता है कि ऐसी साइटें उन लोगों को बढ़ावा दे सकती हैं जो संवेदनशील हैं। कुछ लोग ऑनलाइन आत्महत्या अनुबंध कर लेते हैं जो कि या तो पहले से मौजूद मित्रों के साथ या फिर वे लोग जिनसे हाल ही में चैट रूम या मैसेज बोर्ड में जान पहचान हुई हो। इंटरनेट हलांकि आत्महत्या को रोकने में सहायक हो सकता है क्योंकि वह अलग-थलग पड़े लोगों को सामाजिक समूह प्रदान कर सकता है।[139]
कुछ स्थान आत्महत्या के प्रयासों के उच्च स्तर के लिए जाने जाते हैं।[140] इनमें सैन फ्रांसिस्को का गोल्डन गेट पुल, जापान का ओकिगाहारा जंगल,[141] इंग्लैण्ड का बीची हेड,[140] और टोरंटो का ब्लूर स्ट्रीट वायाडक्टशामिल है।[142] 1937 में अपने निर्माण से लेकर 2010 तक गोल्डेन गेट पुल पर 1,300 लोग कूद कर अपनी जान दे चुके हैं।[143] जहां पर लोगों द्वारा आत्महत्या आम है, उनमें से बहुत सी जगहों पर इसे रोकने के लिए बाधाएं बनायी गयी हैं।[144] इनमें टोरंटो में ल्यूमिनस वेल,[142] और पेरिस में आइफिल टॉवर तथा न्यूयार्क में एम्पायर स्टेट बिल्डिंग शामिल है।[144] 2011 में गोल्डेन गेट पुल पर एक बैरियर का निर्माण किया जा रहा था।[145] ये आम तौर पर काफी प्रभावी दिखते हैं।[145]
चूंकि आत्महत्या के लिए मरने के एक जानबूझ कर किए जाने वाले प्रयास की जरूरत होती है इसलिए कुछ लोगों को लगता है कि यह गैर-मानवीय जानवरों में नहीं हो सकती है।[107] आत्महत्या संबंधी व्यवहार को साल्मोनेला में देखा गया है जो कि प्रतिस्पर्धी बैक्टीरिया से पार पाने के लिए उनके विरुद्ध एक प्रतिरोधी प्रणाली प्रतिक्रिया है।[146] आत्महत्या संबंधी रक्षा को ब्राजील में पायी जाने वाली “फोरेलियस पूसिलस” चीटियों के कर्मचारियों में भी देखा गया है जहाँ पर चीटियों का एक छोटा समूह घोसले की सुरक्षा के लिए हर शाम बाहर से उसे बंद करके निकल जाता है।[147] पी एफिड को जब लेडीबग से खतरा होता है तो वे अपने में विस्फोट कर सकते हैं जिससे उनके साथी बिखर कर सुरक्षित रहते हैं और इस तरह से कई बार लेडी बग मर भी जाती है।[148] दीमक की कुछ प्रजातियों में ऐसे सैनिक होते हैं जो फट जाते हैं और उनके दुश्मन उनके चिपचिपे पदार्थ में फंस जाते हैं।[149][150] आत्महत्या से संबंधित कुछ किस्से कुत्तों, घोड़ों और डॉल्फिनों के भी हैं लेकिन इसके निर्णायक साक्ष्य नहीं है।[151] जानवरों में आत्महत्या पर बहुत कम वैज्ञानिक अध्ययन उपलब्ध हैं।[152]
सामूहिक आत्महत्या का एक उदाहरण 1978 में "जॉन्सटाउन" पंथिक आत्महत्या (कल्ट सुसाइड) का है जिसमें जिमजोन्स के नेतृत्व वाले एक अमरीकी पंथ पीपुल्स टेम्पल के 918 सदस्यों ने साइनाइड से अंगूर के रस से बने स्वाद वाले साधन द्वारा अपना जीवन समाप्त किया था।[153][154][155] 1944 में साइपान युद्ध के अंतिम दिनों में 10,000 से अधिक जापानी नागरिकों ने “आत्महंता चोटी” और “बान्ज़ाई चोटी” से कूद कर आत्महत्या कर ली थी।[156]
बॉबी सैन्ड के नेतृत्व में 1981 भूख हड़ताल के कारण 10 लोगों की मौत हुई थी। मृत्यु समीक्षक द्वारा मृत्यु के कारण के रूप में “स्वयं आरोपित भुखमरी” को दर्ज किया गया था, न कि आत्महत्या को; हड़ताल करने वाले लोगों के परिवारों के विरोध के बाद इसे सुधार कर मृत्यु प्रमाणपत्र पर इसे बस “भुखमरी” कहा गया था।[157] द्वितीय विश्वयुद्ध में इरविन रोमेल के पास हिटलर के जीवन पर खतरे से संबंधित जुलाई 20 प्लॉट के बारे में पहले से जानकारी थी और आत्महत्या न करने की सूरत में उसे सार्वजनिक मुकदमें, फांसी तथा परिवार से बदला लिए जाने का खतरा था।[158]
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