अष्टभार्या ये हिंदू भगवान कृष्ण की प्रमुख आठ रानियां है।[1][2] भागवत पुराण में इन आठ पत्नियों का उल्लेख है जो हैं - रुक्मिणी, जाम्बवंती, सत्यभामा, कालिंदी / यमी, नग्नजिति, मित्रबिन्दा, लक्ष्मणा और भद्रा। विष्णु पुराण और हरिवंश के अनुसार भद्रा की जगह माद्री या फिर रोहिणी का नाम दिया जाता हैं।
हिन्दू धर्म में, राधा सहित कृष्ण की सभी प्रमुख पत्नियों को देवी लक्ष्मी के अवतार के रूप में सम्मानित किया जाता है जबकि बृज के गोपियों को राधा की अभिव्यक्तियों के रूप में माना जाता है।[3][4] रुक्मिणी, विदर्भ की राजकुमारी, कृष्ण की पहली पत्नी और मुख्य रानी हैं जो द्वारका की पटरानी थीं। उन्हें समृद्धि की देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। जाम्बवंती को लक्ष्मी के तीसरे रूप, नीलादेवी की अभिव्यक्ति माना जाता है। तीसरी पत्नी, एक यादव राजकुमारी, सत्यभामा को पृथ्वी-देवी भूदेवी का रूप माना जाता है।[5] यमुना नदी की देवी कालिंदी की स्वतंत्र रूप से पूजा की जाती है। अष्टभार्या के अलावा, कृष्ण की १६,००० या १६,१०० औपचारिक पत्नियाँ थीं।
ग्रंथों में अष्टभार्य द्वारा पैदा हुए कई बच्चों का भी उल्लेख है, जिनमें सबसे प्रमुख राजकुमार प्रद्युम्न हैं जो रुक्मिणी के पुत्र हैं।[6]
सारांश
- संक्षिप्त विवरण - शास्त्रों के नाम
- भापु - भागवत पुराण
- महाभा - महाभारत
- विपु - विष्णु पुराण
- हवं - हरिवंश
- पपु - पद्म पुराण
नाम | विशेषण | राज्य | माता-पिता | शादी | प्रमाण | बच्चे |
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रुक्मिणी | वैदर्भी, विशालाक्षी, भैशमाकी | विदर्भ | भीष्मक (पिता) | रुक्मिणी कृष्ण के साथ वीरतापूर्वक भाग गई, जब उसे शिशुपाल के साथ शादी करने के लिए मजबूर किया जा रहा था। | भापु, महाभा, विपु, हवं |
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सत्यभामा | सुगंती, कमलाक्षी, सत्राजिति | यादव वंश का हिस्सा | सत्रजीत (पिता) | पिता द्वारा कृष्ण से शादी करवाई (स्यमंतक मणि प्रकरण) | भापु, महाभा, विपु, हवं |
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जाम्बवंती | नरेंद्रपुत्री, कपिंद्रपुत्री, पौरवी | - | जाम्बवन्त (पिता) | पिता द्वारा कृष्ण से शादी करवाई (स्यमंतक मणि प्रकरण) | भापु, महाभा, विपु, हवं |
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कालिंदी | यमुना, जिसकी पहचान मित्रविंद (हवं) के रूप में की गई हैं | सूर्य (पिता), सरण्यू (माता) (भापु) | कृष्ण को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या की। | भापु, विपु |
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नग्नजिति | सत्या, कौसल्या | कोशल | नागनजीत (पिता) | कृष्ण ने स्वयंवर में सात बैलों को हराकर जीत हासिल की। | भापु, महाभा, विपु, हवं |
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मित्रविंद | सुदत्ता (विपु) शैब्या या शैव्य (भापु) हवं के अनुसार कालिंदी को मित्रविंद कहा गया है और शैब्या / सुदत्ता अलग रानी है। |
अवन्ति | अपने स्वयंवर में कृष्ण को अपने पति के रूप में चुना। कृष्ण ने उसे ले जाने के लिए एक युद्ध में उसके भाइयों को हराया। | भापु, महाभा, विपु, हवं |
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लक्ष्मणा | लक्षणा, चारुहासिनी, माद्री (भापु) | मद्रा (भापु), अज्ञात (विपु, हवं)। गांधार | बृहत्सेन (पिता, पपु) | अपने स्वयंवर से अपहृत और कृष्ण ने प्रतिद्वंद्वी दावेदारों को हराया। | भापु, महाभा, विपु, हवं |
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भद्रा | कैकेयी | केकय | धृष्टकेतु (पिता), श्रुतकीर्ति (माता, कृष्ण की चाची) | भाइयों ने कृष्ण के साथ शादी करवाई। | भापु, महाभा |
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माद्री | सुबीमा (हवं) | मद्रा (विपु, हवं) | - | - | विपु, हवं |
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रोहिणी | जंबावती | - | - | नरकासुर को हराने के बाद कृष्ण ने उनसे शादी की। इन्हे कनिष्ठ पत्नियों की नेता माना जाता था। | भापु, महाभा, विपु |
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प्रतीकात्मकता
पत्नियों का पदानुक्रम उनकी शाही स्थिति के अनुसार तीन समूहों के तहत है और ये कृष्ण की संप्रभुता का प्रतीक माना जात है।
पहले समूह में, रुक्मिणी ये भौतिक प्रकृति का एक अवतार हैं। सत्यभामा मौलिक प्रकृति का अवतार है और राज्य और क्षेत्रदेवता का भी प्रतिनिधित्व करती है। जाम्बवंती ये विजय क प्रतीक है जो उनके पिता को हराकर शादी हुई थी। ज़्ज़
दूसरा समूह आर्यवर्त के प्रतिनिधि हैं। कालिंदी केंद्रीय राज्यों का, नाग्नजीती पूर्वी के राज्यों का और लक्ष्मणा पश्चिमी के पक्ष का प्रतिनिधित्व करते थे। पत्नियों के तीसरे समूह में मित्रविंदा और भद्रा शामिल थे, जो उनके पितृसत्तात्मक चचेरे भाई थे, जो सात्वत नामक उनके यादव कबीले का प्रतिनिधित्व करते थे।[7]
संदर्भ
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