अन्तरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक प्रक्षेपास्त्र या आई॰सी॰बी॰एम एक सतह-से सतह पर मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र को कहते हैं। इन्हें यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि ये लम्बी दूरी तक मार कर सकते हैं अर्थात् एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक भी इनकी मारक-दूरी होती है। इन प्रक्षेपास्त्रों का उपयोग मुख्यतः नाभिकीय युद्ध की स्थिति में किया जाता है क्योंकि एक देश से दूसरे देश तक कम से कम समय में नाभिकीय अस्त्र ले जाने में इन प्रक्षेपास्त्रों को सबसे कम समय लगता है। इसलिए किसी भी नाभिकीय युद्ध की स्थिति में ये प्रक्षेपास्त्र सर्वाधिक क्षति कर सकते हैं।
इस समय पाँचों नाभिकीय शक्ति सम्पन्न देशों (चीन, फ़्रान्स, ब्रिटेन, रूस और अमेरिका) के पास ये प्रक्षेपास्त्र हैं। भारत भी इस प्रकार के प्रक्षेपास्त्रों के विकास में लगा हुआ है।[1][2] इसके अतिरिक्त यह माना जाता है कि इस्राइल[3], ईरान[4], पाकिस्तान[5] और उत्तर कोरिया[6] ने भी ये प्रक्षेपास्त्र तैयार कर लिए हैं या इन्हें तैयार करने की क्षमता प्राप्त कर चुके हैं या तैयार करने पर विचार कर रहे हैं।।
अन्तरमहाद्वीपीय प्रक्षेपास्त्र पृथ्वी के निचले वातावरण से आरम्भ होकर अपने मार्ग का अधिकान्श भाग ऊपरी वायुमण्डल में तय करता है जहाँ पर वायु घर्षण सबसे कम होता है। कम ईन्धन होने के कारण ये प्रक्षेपास्त्र मध्यम-दूरी के प्रक्षेपास्त्रों से अधिक दूरी तय करते हैं। मध्यम-दूरी के प्रक्षेपास्त्र निचले वायुमण्डल में ही मार्ग तय करते हुए जाते हैं। अन्तरमहाद्वीपीय प्रक्षेपास्त्र कहलाने के लिए कम से कम ५,५०० किमी की मारक-दूरी होनी चाहिए।
संयुक्त राज्य अमेरिका
मुख्य लेख: संयुक्त राज्य अमेरिका का अन्तरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम
- भूमि-आधारित: (सीजीएम-एक्स खुले में स्थावरता से दागा जाता है, एचजीएम-एक्स प्रक्षेपास्त्र खत्ते से बाहर गादा जाता है, एलजीएम-एक्स भूमिगत रॉकेट खत्ते से दागा जाता है, एमजीएम एक्स चलित रैम्प्स से दागा जाता है और यूजीएम-एक्स डूबी हुई पनडुब्बियों से दागा जाता है। एक्सजीएम-एक्स सतह पर मार करने के लिए और एसएम-एक्स वी उपग्रहों पर)।
- एट्लस (एसएम ६५, सीजीएम १६)
- टाइटन-१ (एसएम ६८, एचजीएम-२५ए)
- टाइटन-२ (एसएम ६८बी, एलजीएम २५सी)
- मिनटमैन-१ (एसएम ८०, एलजीएम३०ए/बी, एचएसएम ८०)
- मिनटमैन-२ (एलजीएम ३०एफ़)
- मिनटमैन-३ (एलजीएम ३०जी)
- एलजीएम-११८ए पीसकीपर/एमएक्स (एलजीएम-११८ए)
- मिजटमैन (एमजीएम १३४)
- पलेरिस ए१, ए२, ए३ (यूजीएम-२७/ए/बी/सी)
- पोज़डन सी३ (यूजीएम ७३)
- ट्राइडेण्ट (यूजीएम ९३/ए/बी)
- समुद्र-आधारित
- पलेरिस ए-१ (यूजीएम-२७ए)
- पलेरिस ए-२ (यूजीएम-२७बी)
- पलेरिस ए-३ (यूजीएम-२७सी)
- पोज़डन सी-३ (यूजीएम-७३)
- ट्राइडेण्ट १ सी-४ (यूजीएम-९३)
- ट्राइडेण्ट २ डी-५ (यूजीएम-१३३)
सोवियत संघ/रूस
मुख्य लेख: रूस का अन्तरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम
- भूमि-आधारित
- एमाआर-यूआर १०० स्तोका/१५ए१५/एसएस १७
- आर ७
- आर ९
- आर १६
- आर ३६
- आर-३६एम२
- आरटी २३
- आरटी २पीएम
- आरटी-२यूटीटीकेएच
- यूआर १००
- यूआर-१००एन
- समुद्र-आधारित
- एसएस-एन-४ सार्क आर १३
- एसएस-एन-६
- वोल्ना
- एसएस-एन-२०
- एसएस-एन-३०
चीनी जनवादी गणराज्य
मुख्य लेख: चीनी जनवादी गणराज्य का अन्तरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम
चीन अपने प्रक्षेपास्त्रों को दोंग फ़ेंग अर्थात् पूर्वी हवा कहता है।
- दोंग फ़ेंग ३ (रद्द)
- दोंग फ़ेंग ४ सीएसएस ४ (खत्ती आधारित)
- दोंग फ़ेंग ६ (रद्द)
- दोंग फ़ेंग २२ (रद्द)
- दोंग फ़ेंग ३१ सीएसएस ९
- दोंग फ़ेंग ४१ सीएसएस-एक्स १० (विकासरत)
भारत
मुख्य लेख: भारत का अन्तरमहाद्वीपीय प्रक्षेपण प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम
इस्राइल
मुख्य लेख: इस्राइल का अन्तरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम
उत्तर कोरिया
मुख्य लेख: उत्तर कोरिया का अन्तरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम
- भूमि-आधारित
- नोगोंग बी (कामचलाउ नाम)
- ताइपेदोंग १
- ताइपेदोंग २ (५,००० से ६,००० की मारक-दूरी अनुमानित)
ब्रिटेन
मुख्य लेख: ब्रिटेन का अन्तरमहाद्वीपीय प्रक्षेपण प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम
- समुद्र-आधारित, पनडुब्बी
- पलेरिस (अमेरिकी प्रक्षेपास्त्र और ब्रिटिश स्फोटक)
- ट्राइडेण्ट (अमेरिकी प्रक्षेपास्त्र और ब्रिटिश स्फोटक)
फ़्रान्स
मुख्य लेख: फ़्रान्स का अन्तरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम
- समुद्र-आधारित, पनडुब्बी:
- एम ४५
- एम ५ (योजना में)
- एम ५१