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अग्रवाल या अगर्वाल एक भारतीय उपनाम और जातीय समुदाय है। वैदिक युगीन आग्रेयवंशी क्षत्रिय ही वर्तमान में अग्रवाल नाम से जाने जाते हैं। एक जातीय समुदाय के रूप में इनके कई गोत्र और उपनाम प्रचलित हैं।
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सरस्वती नदी के सूखने एवं बादशाह सिकंदर के आक्रमण के फलस्वरूप आग्रेय गणराज्य का पतन हो गया और अधिकांश आग्रेयवीर वीरगति को प्राप्त हो गये। बचे हुवे आग्रेयवंशी अग्रोहा (अग्रोदक) से निष्क्रमण कर सुदूर भारत में फैल गये और आजीविका के लिये तलवार छोड़ तराजू पकड़ ली। आज इस समुदाय के बहुसंख्य लोग वाणिज्य व्यवसाय से जुड़े हुवे हैं और इनकी गणना विश्व के सफलतम उद्यमी समुदायों में होती है। पिछले दो हजार वर्षों से इनकी आजीविका का आधार वाणिज्य होने से इनकी गणना क्षत्रिय वर्ण होने के बावजूद वैश्य वर्ग में होती है और स्वयं अग्रवाल समाज के लोग अपने आप को वैश्य समुदाय का एक अभिन्न अंग मानते हैं।
इनके 18 गोत्र अथवा शाखाएँ हैं, इनमें से 10 सूर्यवंशी और 8 नागवंशी होने का दावा करते हैं: गर्ग, गोयन, गोयल, कंसल , बंसल , सिंहल, मित्तल, जिंदल, बिंदल , नागल , कुच्छल , भंदल, धारण , तायल, तिंगल, ऐरण, मधुकुल , मंगल|
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