लाला हरदयाल
भारतीय क्रांतिकारी / From Wikipedia, the free encyclopedia
लाला हरदयाल (१४ अक्टूबर १८८४, दिल्ली -४ मार्च १९३९) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के उन अग्रणी क्रान्तिकारियों में थे जिन्होंने विदेश में रहने वाले भारतीयों को देश की आजादी की लडाई में योगदान के लिये प्रेरित व प्रोत्साहित किया। इसके लिये उन्होंने अमरीका में जाकर गदर पार्टी की स्थापना की। वहाँ उन्होंने प्रवासी भारतीयों के बीच देशभक्ति की भावना जागृत की। काकोरी काण्ड का ऐतिहासिक फैसला आने के बाद मई, सन् १९२७ में लाला हरदयाल को भारत लाने का प्रयास किया गया किन्तु ब्रिटिश सरकार ने अनुमति नहीं दी। इसके बाद सन् १९३८ में पुन: प्रयास करने पर अनुमति भी मिली परन्तु भारत लौटते हुए रास्ते में ही ४ मार्च १९३९ को अमेरिका के महानगर फिलाडेल्फिया में उनकी रहस्यमय मृत्यु हो गयी।[1] उनके सरल जीवन और बौद्धिक कौशल ने प्रथम विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध लड़ने के लिए कनाडा और अमेरिका में रहने वाले कई प्रवासी भारतीयों को प्रेरित किया।
लाला हरदयाल | |
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![]() लाला हरदयाल एम॰ए॰ पीएच॰डी॰ | |
जन्म |
हर दयाल माथुर १४ अक्टूबर १८८४ मोहल्ला चीराखाना (चाँदनी चौक) दिल्ली ब्रिटिश भारतਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
मृत्यु |
४ मार्च १९३९ फिलाडेल्फिया (पेन्सिल्वानिया) अमेरिकाਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
गुरु/शिक्षक | लाला लाजपत राय |
खिताब/सम्मान | एम॰ए॰ (Master of Letters) |
साहित्यिक कार्य | Thoughts on Education, Hints for Self Culture, Glimpses of World Religions and The Bodhisatva Doctrines in Buddhist Sanskrit Literature |
धर्म | हिन्दू |
दर्शन | वसुधैव कुटुम्बकम |