रसायन विज्ञान के प्रयोग रासायन शास्त्र की शब्दावली में रसायन विज्ञान से सम्बंधित कुछ शब्दों और परिभाषाओं की सूची है जिसमें रासायनिक नियम, चित्र एवं सूत्र, प्रयोगशाला उपकरण, शीशे के बर्तन और अन्य उपकरण शामिल हैं। रसायन विज्ञान पदार्थ के गुणधर्मों, संरचना एवं संयोजन के साथ-साथ किसी रासायनिक अभिक्रिया के दौरान इसमें होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करने वाला विज्ञान है। इसमें बड़ी मात्रा में पारिभाषिक शब्द और पर्याप्त मात्रा में शब्दजाल शामिल है।
नोट: आवर्त सारणी के सभी संदर्भ आईयूपीएसी की आवर्त सारणी की शैली को संदर्भित करते हैं।
कंकाली सूत्र (skeletal formula)
कक्षक (orbital)
परमाणु अथवा अणु का वो क्षेत्र जिसमें एक अथवा अधिक इलेक्ट्रॉन पाये जा सकते हैं। यह शब्द परमाणु कक्षक अथवा आण्विक कक्षक के लिए काम में लिया जा सकता है।
वह जल जिसमें खनिज की मात्रा बहुत ज्यादा हो, सामान्यतः कैल्सियम, मैग्नीसियम अथवा निश्चित अन्य धातु धनायनों में जल के रिसाव से इसका निर्माण होता है।
कंडोसीटी (condosity)
किसी विलयन की विद्युत चालकता का एक तुलनात्मक मापन जिसे सोडियम क्लोराइड (NaCl) विलयन की मोलर सान्द्रता के रूप में परिभाषित किया जाता है; इसमें परीक्षण के दौरान विलयन की विशिष्ट विद्युत चालकता ज्ञात की जाती है। इसकी मापन की इकाई सामान्यतः मोल प्रति लिटर (अथवा किसी अन्य एकांक आयतन विमा) में व्यक्त की जाती है।
असममिति का एक गुणधर्म जिसमें अणु अथवा आयन अपने दर्पण प्रतिबिंब से इस तरह भेद्य होता है कि इसे इसके किसी भी ज्यामितिय घूर्णन, स्थानान्तरण अथवा कुछ संरूपण परिवर्तन पर अध्यारोपित नहीं किया जा सकता।[4][5] ऐसे अणुओं अथवा आयनों को काइरल (chiral) कहा जाता है और ये दो रूपों में पाये जाते हैं जिन्हें ऐनैन्टियोमर कहते हैं और ये एक दूसरे के त्रिविम समावयवी होते हैं; इन रूपों को इनके निरपेक्ष विन्यास अथवा अन्य मापदंडों के अनुसार या तो "दक्षिण-हस्थ" अथवा "वाम-हस्थ" कहा जाता है। कुछ अन्य तरह की असममिति भी काइरलता का कारण बन सकती है, जिसमें सबसे अधिक कारण अणुओं के स्टीरियोजेनिक तत्वों को धारण करने जैसे एक अथवा अधिक स्टीरियो केन्द्र (केंद्रीय काइरलता), स्टीरियोजेनिक अक्ष (अक्षीय काइरलता) अथवा स्टीरियोजेनिक समतल (समतलीय काइरलता); इसके अतिरिक्त अणु की अंतर्निष्ट वक्रता भी इसमें अंतर्निष्ट काइरलता को उत्पन्न कर सकता है।
एक इलेक्ट्रोड जिसके माध्यम से पारंपरिक विद्युत धारा (धनायनों का प्रवाह) ध्रुवीय विद्युत् परिपथ को छोड़ती है। धनावेशित धनायन हमेशा कैथोड की तरफ गति करते हैं, यद्यपि कैथोड़ की ध्रुवीयता विद्युत् यंत्र के प्रकार पर एवं इसके संचालन की विधि पर निर्भर धनात्मक अथवा ऋणात्मक हो सकती है। धनाग्र से विपरीत।
कैल्कस (चूना) (calx)
हवा में अयस्क को गर्म करके धातु ऑक्साइड का निर्माण।[1]
मुक्त वैज्ञानिक भाषा में वर्णित प्रत्येक रासायनिक पदार्थ के लिए रासायनिक अमूर्त क्षेत्र द्वारा नियत अद्वितीय संख्यात्मक प्राधिकारण, जिसमें सभी 18.2 करोड़ से अधिक कार्बनिक एवं अकार्बनिक यौगिक, खनिज, समस्थानिक, मिश्रधातु, बहुलक तथा मिश्रण सहित तथाकथित "यूवीसीबी" (अज्ञात अथवा परिवर्तनशील रचना, जटिल अभिक्रिया उत्पाद अथवा जैविक मूल के पदार्थ) शामिल हैं। कैस संख्यायें वैज्ञानिकों, उद्योगों और प्राधिकरण निकायों द्वारा काम में लिया जाता है एवं अंतरराष्ट्रीय मानकों के रूप में स्वीकृत है।[6]
प्रावस्था साम्य वक्र अथवा दाब-तापमान वक्र का अन्तिम बिन्दु जिसपर परिस्थितियाँ कुछ इस तरह हों कि प्रावस्था सीमायें खत्म हो जाती हैं और पदार्थ की भिन्न-भिन्न प्रावस्थाओं के मध्य मिश्रण प्राप्त होता है जैसे द्रव एवं वाष्प दोनों सह-अस्तित्व में हो सकते हैं। क्रांतिक बिन्दु को क्रान्तिक तापमान Tc एवं क्रान्तिक दाब pc के मध्य प्रतिच्छेदन से परिभाषित होता है; इससे अधिक तापमान और दाब प्रावस्थाओं के मध्य अन्तर मिट जाता है एवं पदार्थ सुपरक्रिटिकल द्रव बन जाते हैं।
ऐसा ठोस जिसके घटक कण (जैसे परमाणु, आयन अथवा अणु) क्रमित आवर्ती सूक्ष्म संरचना में होकर एवं जालक का निर्माण करते हैं जो हर दिशा में विस्तृत होता है। ऐसे पदार्थों को अक्सर क्रिस्टलीय के रूप में वर्णित किया जाता है।
क्रिस्टलों में उपस्थित जल के कण। जल अथवा जलीय विलयन से क्रिस्टलन पर विभिन्न यौगिक उनके क्रिस्टलीय बनावट में जल को शामिल नहीं करते; जल के कण अक्सर रससमीकरणमितिय अनुपात में उपस्थित होते हैं और क्रिस्टल के परमाणुओं के साथ कोण बदलने पर अन्योन्य क्रिया कर सकते हैं।
वह तापमान जिसपर कोई पदार्थ अपनी अवस्था को द्रव से गैस (अथवा वाष्प) में बदलता है। यह दाब पर निर्भर करता है और इसे विशेषतः किसी पदार्थ के लिए मानक परिस्थितियों के लिये दिया जाता है।
किसी पदार्थ का वह तापमान जिसपर पदार्थ की अवस्थाठोस से द्रव में बदलती है। यह दाब पर निर्भर करता है और किसी दिये गये पदार्थ के लिए मानक परिस्थितियों के लिए उल्लिखित होता है। किसी पदार्थ का गलन बिन्दु इसके हिमांक के समान होता है।
वह मान जो किसी अभिक्रिया के स्वतः होने का सूचक हो। सामान्यतः प्रतीक चिह्न G से लिखते हैं।
गै-लुसैक नियम (Gay-Lussac's law)
फ़्रांसीसी रसायन विज्ञानी जोसेफ लुई गे-लुसाका द्वारा व्युत्पन दो सम्बंधों में प्रत्येक में काम आने वाले रासायनिक नियम, यद्यपि उनका नाम मुख्यतः उनके आयतन को संयुक्त करने वाले नियमों के लिए लागू किया जाता है।
पदार्थ की चार मूलभूत अवस्थाओं में से एक जो अधिक ऊर्जा वाले कणों के रूप में चिह्नित की जाती है और इससे पात्र भर जाता है लेकिन इसका आकार अथवा आयतन निश्चित नहीं होता।
विश्लेषी रसायन में काम आने वाले वर्णलेखन का एक प्रकार जिसमें अपघटन रहित वाष्पन वाले रासायनिक यौगिकों को विलगित करके विश्लेषित करता है। गैस वर्णलेखिकी को अक्सर पदार्थ की शुद्धता के परीक्षण के काम में लिया जाता है जिसमें मिश्रण के भिन्न-भिन्न यौगिकों की सापेक्ष मात्रा का मापन एवं अज्ञात पदार्थ की पहचान भी शामिल है।
एक ऐसा उपकरण जिसके दो टुकड़ों को रिसाव-रहित कांच के बर्तन के साथ शीघ्रता एवं आसानी से फिट किया जा सके एवं घर्षित कांच के फलक व अक्सर विशिष्ट रूप से निर्मित शंकवाकार टेपर शामिल होते हैं।
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