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रणबीर दण्ड संहिता
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श्रोत - द हिन्दू
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जम्मू एवं कश्मीर राज्य रणबीर दंड संहिता(साधारण शब्दों में रणबीर दंड संहिता या रणबीर आचार संहिता) भारत के पूर्व जम्मू एवं कश्मीर राज्य में पूर्वतः लागू अपराध एवं दंड संहिता थी। वर्ष २०१९ तक, बाकि के भारत के उलट जम्मू-कश्मीर पर भारतीय दंड संहिता नहीं रणबीर दंड संहिता आव्रत थी क्योंकि भारतीय संविधान की धारा ३७० की बिंदुओं के तहत भारतीय दंड संहिता(आईपीसी) जम्मू-कश्मीर राज्य पर आधिपत्य नहीं किया जा सकता था। 5 अगस्त 2019 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को भंग करने के लिए संसद द्वारा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पारित करने के बाद इसे हटा दिया गया।[1] इस अधिनियम द्वारा जम्मू और कश्मीर राज्य को विभाजित कर लद्दाख के संग एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया तथा भारतीय संविधान भी इस पूरे क्षेत्र में लागू हो गया। इस प्रकार रणबीर दंड संहिता भंग कर दी गई और क्षेत्र में भारतीय दंड संहिता लागू हो गई।
यह दंड संहिता जम्मू-कश्मीर में ब्रिटीश काल के समय से थी, अर्थात् तब से, जब जम्मू कश्मीर एक स्वतंत्र रियासत था। इसका कार्यान्वयन १९३२ में हुआ था। इस प्रक्रिया को तब अवगत कराया गया था जब यहाँ डोगरा राजवंश का शासन था और महाराज रणबीर सिंह शासक थे। रणबीर आचार संहिता आईपीसी के पदों के आधार पर ही बनाया गया है जिसे थॉमस बैबिंटन मैकाॅले ने रचित किया था।[1][2][3]