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7 महाद्वीपो में से एक,एशिया के पश्चिम एवं अफ्रीका के उत्तर में स्थित विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
यूरोप पृथ्वी पर स्थित सात महाद्वीपों में से एक महाद्वीप है। यूरोप, एशिया से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। यूरोप और एशिया वस्तुतः यूरेशिया के खण्ड हैं और यूरोप यूरेशिया का सबसे पश्चिमी प्रायद्वीपीय खंड है। एशिया से यूरोप का विभाजन इसके पूर्व में स्थित यूराल पर्वत के जल विभाजक जैसे यूराल नदी, कैस्पियन सागर, कॉकस पर्वत शृंखला और दक्षिण पश्चिम में स्थित काले सागर के द्वारा होता है। यूरोप के उत्तर में आर्कटिक महासागर और अन्य जल निकाय, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्य सागर और दक्षिण पूर्व में काला सागर और इससे जुड़े जलमार्ग स्थित हैं। इस सबके बावजूद यूरोप की सीमायें बहुत हद तक काल्पनिक हैं और इसे एक महाद्वीप की संज्ञा देना भौगोलिक आधार पर कम, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आधार पर अधिक है। ब्रिटेन, आयरलैंड और आइसलैंड जैसे देश एक द्वीप होते हुए भी यूरोप का हिस्सा हैं, पर ग्रीनलैंड उत्तरी अमरीका का हिस्सा है। रूस सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यूरोप में ही माना जाता है, हालाँकि इसका सारा साइबेरियाई इलाका एशिया का हिस्सा है। आज ज़्यादातर यूरोपीय देशों के लोग दुनिया के सबसे ऊँचे जीवनस्तर का आनन्द लेते हैं।
क्षेत्रफल | 1,01,80,000 किलोमीटर2 (39,30,000 वर्ग मील)o[›] |
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जनसंख्या | 73,10,00,000o[›] |
जनसंख्या घनत्व | 70/वर्ग किमी2 (181/वर्ग मील) |
राष्ट्रीयता | यूरोपियन |
देश | 50 (देशों की सूची) |
भाषा (एँ) | भाषाओं की सूची |
समय क्षेत्र | UTC to UTC+5 |
इंटरनेट टीएलडी | .eu (यूरोपियन यूनियन) |
बड़े नगर | शहरों की सूची |
यूरोप पृष्ठ क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का दूसरा सबसे छोटा महाद्वीप है, इसका क्षेत्रफल के 1,01,80,000 वर्ग किलोमीटर (39,30,000 वर्ग मील) है जो पृथ्वी की सतह का २% और इसके भूमि क्षेत्र का लगभग 6.8% है। यूरोप के 50 देशों में, रूस क्षेत्रफल और आबादी दोनों में ही सबसे बड़ा है, जबकि वैटिकन नगर सबसे छोटा देश है। जनसंख्या के हिसाब से यूरोप एशिया और अफ्रीका के बाद तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला महाद्वीप है, 73.1 करोड़ की जनसंख्या के साथ यह विश्व की जनसंख्या में लगभग 11% का योगदान करता है, तथापि, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार (मध्यम अनुमान), 2050 तक विश्व जनसंख्या में यूरोप का योगदान घटकर 7% पर आ सकता है। 1900 में, विश्व की जनसंख्या में यूरोप का हिस्सा लगभग 25% था।[संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यूरोप में कुल 44 देश हैं।
पुरातन काल में यूरोप, विशेष रूप से यूनान पश्चिमी संस्कृति का जन्मस्थान है। मध्य काल में इसी ने ईसाईयत का पोषण किया है। यूरोप ने 16 वीं सदी के बाद से वैश्विक मामलों में एक प्रमुख भूमिका अदा की है, विशेष रूप से उपनिवेशवाद की शुरुआत के बाद. 16 वीं और 20 वीं सदी के बीच विभिन्न समयों पर, दोनो अमेरिका, अफ्रीका, ओशिआनिया और एशिया के बड़े भूभाग यूरोपीय देशों के नियंत्रित में थे। दोनों विश्व युद्धों की शुरुआत मध्य यूरोप में हुई थी, जिनके कारण 20 वीं शताब्दी में विश्व मामलों में यूरोपीय प्रभुत्व में गिरावट आई और संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के रूप में दो नये शक्ति के केन्द्रों का उदय हुआ। शीत युद्ध के दौरान यूरोप पश्चिम में नाटो के और पूर्व में वारसा संधि के द्वारा विभाजित हो गया। यूरोपीय एकीकरण के प्रयासों से पश्चिमी यूरोप में यूरोपीय परिषद और यूरोपीय संघ का गठन हुआ और यह दोनों संगठन 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद से पूर्व की ओर अपने प्रभुत्व का विस्तार कर रहे
यूरोप में मानव ईसापूर्व 35,000 के आसपास आया। ग्रीक (यूनानी) तथा लातिनी () राज्यों की स्थापना प्रथम सहस्त्राब्दी के पूर्वार्ध में हुई। इन दोनों संस्कृतियों ने आधुनिक य़ूरोप की संस्कृति को बहुत प्रभावित किया है। ईसापूर्व 480 के आसपास य़ूनान पर फ़ारसियों का आक्रमण हुआ जिसमें यवनों को बहुधा पीछे हटना पड़ा। 330 ईसापूर्व में सिकन्दर ने फारसी साम्राज्य को जीत लिया। 146 ई.पू. में यूनानी प्रायद्वीप (द्वीपों को छोड़कर) रोमन प्रोटेक्टोरेट का भाग बन गया। यूनान का अन्तिम पतन 88 ई.पू में हुआ जब पोन्टस के मिथ्रिडेट्स षष्ठ नामक राजा ने रोम के विरुद्ध विद्रोह कर दिया, जब वह रोमन जनरल लुसियस कॉर्नेलियस सुला द्वारा यूनान से बाहर खदेड़ा गया तब यूनान पर पुनः रोम का अधिकार हो गया और यूनानी नगर फिर कभी इससे उबर न सके। सन् 27 ईसापूर्व में रोमन गणतंत्र समाप्त हो गया और रोमन साम्राज्य की स्थापना हुई। सन् 313 में कांस्टेंटाइन ने ईसाई धर्म को स्वीकार कर लिया और यह धर्म रोमन साम्राज्य का राजधर्म बन गया। पाँचवीं सदी तक आते आते रोमन साम्राज्य कमजोर हो चला और पूर्वी रोमन साम्राज्य पंद्रहवीं सदी तक इस्तांबुल में बना रहा। इस दौरान पूर्वी रोमन साम्राज्यों को अरबों के आक्रमण का सामना करना पड़ा जिसमें उन्हें अपने प्रदेश अरबों को देने पड़े।
सन् 1453 में इस्तांबुल के पतन के बाद यूरोप में नए जनमानस का विकास हुआ जो धार्मिक बंधनों से ऊपर उठना चाहता था। इस घटना को पुनर्जागरण (फ़्रेंच में रेनेसाँ) कहते हैं। पुनर्जागरण ने लोगों को पारम्परिक विचारों को त्याग व्यावहारिक तथा वैज्ञानिक तथ्यों पर विश्वास करने पर जोर दिया। इस काल में भारत तथा अमेरिका जैसे देशों के समुद्री मार्ग की खोज हुई। सोलहवीं सदी में पुर्तगाली तथा डच नाविक दुनिया के देशों के सामुद्रिक रास्तों पर वर्चस्व बनाए हुए थे। इसी समय पश्चिमी य़ूरोप में औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात हो गया था। सांस्कृतिक रूप से भी य़ूरोप बहुत आगे बढ़ चुका था। साहित्य तथा कला के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई थी। छपाई की खोज के बाद पुस्तकों से ज्ञानसंचार त्वरित गति से बढ़ गया था।
सन् 1781 में फ्रांस की राज्यक्रांति हुई जिसने पूरे यूरोप को प्रभावित किया। इसमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता, जनभागीदारी तथा उदारता को बल मिला था। रूसी साम्राज्य धीरे धीरे विस्तृत होने लगा था। पर इसका विस्तार मुख्यतः एशिया में अपने दक्षिण की तरफ़ हो रहा था। इस समय ब्रिटेन तथा फ्रांस अपने नौसेना की तकनीकी प्रगति के कारण डचो तथा पुर्तगालियों से आगे निकल गए। पुर्तगाल पर स्पेन का अधिकार हो गया और पुर्तगाली उपनिवेशों को अंग्रेजों तथा फ्रांसिसियों ने अधिकार कर लिया। रूसी सर्फराज्य का पतन 1761 में हुआ। बाल्कन के प्रदेश उस्मानी साम्राज्य (ऑटोमन) से स्वतंत्र होते गए। 1918 तथा 1945 में दो विश्व युद्ध हुए। दोनों में जर्मनी की पराजय हुई। इसके बाद विश्व शीतयुद्ध के दौर से गुजरा। अमेरिका तथा रूस दो महाशक्ति बनकर उभरे। प्रायः पूर्वी य़ूरोप के देश रूस के साथ रहे जबकि पश्चिमी य़ूरोप के देश अमेरिका के। जर्मनी का विभाजन हो गया।
सन् 1951 में रूस ने अपने कॉस्मोनॉट यूरी गगारिन को अंतरिक्ष में भेजा। 1969 में अमेरिका ने सफलतापूर्वक मानव को चन्द्रमा की सतह तक पहुँचाने का दावा किया। हथियारों की होड़ बढ़ती गई और अंततः अमेरिका आगे निकल गया। 1989 में जर्मनी का एकीकरण हुआ। 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया। रूस सबसे बड़ा परवर्ती राज्य बना। सन् 2007 में यूरोपीय संघ की स्थापना हुई।
यूरोप में दो पर्वतीय भाग के बीच एक विशाल मैदान है।
यूरोप के सबसे बड़े शहर:
यूरोप मुख्यतः शीतोष्ण जलवायु क्षेत्रों में से है। यूरोप की जलवायु गल्फ स्ट्रीम नामक इस समुद्री गर्म जलधारा के प्रभाव के कारण विश्व भर में एक ही अक्षांश पर स्थित अन्य क्षेत्रों की तुलना में कम विषम है।[1] गल्फ स्ट्रीम यूरोप की जलवायु गर्म और नम बनाता है। गल्फ स्ट्रीम न केवल यूरोप के सागर तट को तुलनात्मक रूप से गर्म रखता है बल्कि अटलांटिक महासागर से महाद्वीप की ओर चलने वाली प्रचलित पश्चिमी हवाओं को भी गर्म करता है, इसलिए नेपल्स का साल भर का औसत तापमान १६° सेल्सियस (६०.८°F) है, जबकि लगभग उसी ऊँचाई पर स्थित न्यूयॉर्क सिटी का औसत तापमान केवल १२° सेल्सियस (में ५३.६°F) ही रहता है।
तापमान एवं वर्षा में अन्तर मिलने के कारण यूरोप महाद्वीप की प्राकृतिक वनस्पति में भी काफी अन्तर मिलता है। यूरोप महाद्वीप के उत्तर के आर्कटिक महासागर के तटीय भाग में कठोर शीत के कारण भूमि हिमाच्छादित रहती है। अतः वनस्पति का प्रायः अभाव रहता है। इस भाग की मुख्य वनस्पति काई एवं लाइकेन है। यहाँ गर्मी में बर्फ पिघलने पर सुन्दर-सुन्दर फूलों वाले पौधे उगते हैं। जो अल्पकाल के लिए अपनी छटा दिखाकर समाप्त हो जाते हैं।[2] जीव-जन्तुओं में ध्रुवीय भालू, रेंडियर, लोमड़ी तथा पानी में सील एवं व्हेल पाए जाते हैं। टुण्ड्रा प्रदेश के दक्षिणी भाग नार्वे, स्वीडन, फ़िनलैंड एवं रूस में नुकीली पत्ती वाले कोणधारी वन पाए जाते हैं जिन्हे टैगा कहते हैं। यहाँ के प्रमुख वृक्ष चीड़, स्प्रूस, सिलवर, फर, बर्च, बलूत आदि हैं। इन वनों में भालू, भेड़िया एवं मिंक आदि पशु पाए जाते हैं। टैगा प्रदेश के दक्षिण में कम वर्षा होती है अतः यहाँ शीतोष्ण घास के मैदान मिलते हैं जिन्हें स्टेपीज कहा जाता है। यह मैदान दक्षिणी रूस, रूमानिया एवं हंगरी के डेन्यूब प्रदेश में विस्तृत है। इस घास प्रदेश में घास खाने वाले जानवर जैसे घोड़ा, बारहसिंगा एवं घास में रेंगने वाले जीव पाए जाते हैं।
दक्षिणी यूरोप के भूमध्य सागरीय प्रदेश में जहाँ भूमध्यसागरीय जलवायु पाइ जाती है वहाँ चौड़ी पत्ती वाले सदाबहार वन मिलते हैं। यहाँ बलूत, जैतून, सीडार, साइप्रस, अखरोट, बादाम, संतरा, अंजीर एवं अंगूर जैसे फलों के वृक्ष खूब पैदा होते हैं। उत्तरी-पश्चिमी मध्य यूरोप में समशीतोष्ण कटिबन्धीय चौड़ी पत्ती वाले पतझड़ के वन पाए जाते हैं। कठोर शीत से सुरक्षा के लिए यहाँ के वृक्ष जाड़े के प्रारम्भ में अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं। ऐसे वृक्षों में बलूत, ऐश, बीच, बर्च, एल्म, मैपिल, चेस्टनट और अखरोट मुख्य हैं। ऊँचें पर्वतीय भागों में अधिक ठण्डक के कारण नुकीली पत्ती वाले वन पाए जाते हैं। इनके प्रमुख वृक्ष चीड़, फर, सनोवर, लार्च, स्प्रूस, सीडार और हेमलाक हैं। इस प्रकार यूरोप में पतझड़ एवं नुकीली पत्ती के वृक्षों के मिश्रित वन पाए जाते हैं।
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