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मोरी राजपूत
प्राचीन मौर्य क्षत्रिय राजवंश तथा प्रथम राजपूत साम्राज्य / From Wikipedia, the free encyclopedia
मोरी प्राचीन मौर्यवंशी सम्राट सम्प्रति से निकली हुई शाखा है[3] जिसने प्राचीन काल में चित्तौड़ किले को नियंत्रित किया था।[4] प्रतिहारों के उदय से पहले इस क्षेत्र में मोरी राजपूत शायद सबसे शक्तिशाली शक्ति थे।परमार को मोरी का एक उप वंश माना जाता है। [5] [6] 13 वी सदी में मेरुतुंग ने स्थिरावली की रचना की थी[7] जिसमे उज्जैन के सम्राट गंधर्वसेन को जो विक्रमादित्य परमार के पिता थे उन्हें मौर्य सम्राट सम्प्रति का पौत्र लिखा था।[8]
सामान्य तथ्य मोरी राजपूत महरौड़ क्षत्रिय राजवंश, राजधानी ...
मोरी राजपूत महरौड़ क्षत्रिय राजवंश | |
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ल. 5वी शताब्दी–ल. 7ठी शताब्दी | |
![]() धवल मोरी (संस्कृत - मौर्य) का साम्राज्य अपने शीर्ष शिखर पर । इस साम्राज्य के संस्थापक चित्रांगद थे । | |
राजधानी | चित्तौड़गढ़ ( पूर्व नाम चित्रकोट था , राजा चित्रांग मौर्य के नाम पर ) |
प्रचलित भाषाएँ | पाली मागधी प्राकृत राजस्थानी |
धर्म | क्षात्र धर्म , जैन धर्म |
सरकार | चाणक्य के अर्थशास्त्र और राजमण्डल में वर्णित राजतंत्र[1] |
शासन काल और सम्राट | |
• 550-590 ई. | सम्राट चित्रांग मौर्य |
• 590–610 ई.
| सम्राट वराहगुप्त मोरीय |
• 644–670 ई. | सम्राट धवल मोरी |
• 670 ई. | महाराज महारत मोरी |
• | राजा महेश्वर मोरी |
• | राजा भीम मोरी |
• | राजा भोज मोरी |
• 770 ई. | राजा मान मोरी |
ऐतिहासिक युग | राजपूत काल |
• सौराष्ट्र का सीमविस्तार और अवन्ती जनपद से पलायन | ल. 5वी शताब्दी |
ल. 7ठी शताब्दी | |
क्षेत्रफल | |
• कुल | 346,000 कि॰मी2 (134,000 वर्ग मील) |
जनसंख्या | |
• अनुमानित [2] | 40,00,000 |
मुद्रा | पण |
अब जिस देश का हिस्सा है | भारत |
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