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मोतियाबिंद शल्यक्रिया
लेंस युक्त मोतियाबिंद को हटाने और सिंथेटिक लेंस से बदलने के लिए नेत्र शल्य चिकित्सा / From Wikipedia, the free encyclopedia
मोतियाबिंद शल्यक्रिया आंख के प्राकृतिक लेन्स (मणिभ लेन्स भी कहा जाता है) जिसमें अपारदर्शन विकसित हो गया है तथा जो मोतियाबिंद कहलाता है, उसे शल्यक्रिया द्वारा हटाने की क्रिया है। समय के साथ मणिभ लेन्स तंतुओं के चयापचयी परिवर्तनों के कारण मोतियाबिंद का विकास होता है और पारदर्शिता चली जाती है, जिसके कारण दृष्टि कम या नष्ट हो जाती है। कई मरीजों के प्रथम लक्षण हैं रात्रि में प्रकाश तथा छोटे प्रकाश स्रोतों से तीव्र चमक, प्रकाश के कम स्तर पर गतिविधियों में कमी. मोतियाबिंद शल्य चिकित्सा के दौरान, एक रोगी के धुंधले प्राकृतिक लेन्स को हटा कर उसके स्थान पर एक कृत्रिम लेन्स लगा दिया जाता है ताकि लेन्स की पारदर्शिता को बहाल किया जा सके.[1]
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शल्यक्रिया से प्राकृतिक लेन्स को हटाने के बाद एक कृत्रिम आंतराक्षि लेन्स निवेशित किया जाता है (नेत्र शल्य चिकित्सक इसे "लेन्स प्रत्यारोपण” कहते हैं). मोतियाबिंद शल्यक्रिया सामान्यतः एक नेत्र रोग विशेषज्ञ (नेत्र सर्जन) द्वारा शल्य चिकित्सा केंद्र या चिकित्सालय में एक चलनक्षम (अंतः रोगी की बजाय) व्यवस्था में स्थानीय निश्चेतना (या तो स्थानिक, परिनेत्रगोलकीय या पश्चनेत्रगोलकीय) का उपयोग करते हुए, आमतौर पर रोगी को बहुत कम या जरा भी कष्ट दिए बिना की जाती है। बहुत कम जटिलता दर के साथ 90% से काफी अधिक शल्यक्रियाएं उपयोगी दृष्टि बहाल करने में सफल रहती हैं।[2] शीघ्र शल्यकर्मोत्तर स्वास्थ्यलाभ के साथ दिन की देखभाल, भारी संख्या, न्यूनतम प्रसार, छोटा चीरा, लेन्स पायसीकरण (फेकोइमल्सीफिकेशन) दुनिया भर में मोतियाबिंद शल्यक्रिया में देखभाल के मानक बन गए हैं।