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मोतियाबिंद
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मोतियाबिंद आंखों का एक सामान्य रोग है। प्रायः 55 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों में मोतियाबिंद होता है, किन्तु युवा लोग भी इससे प्रतिरक्षित नहीं हैं। मोतियाबिंद विश्व भर में अंधत्व के मुख्य कारण हैं। 60 से अधिक आयु वालों में ४० प्रतिशत लोगों में मोतियाबिंद विकसित होता है। शल्य क्रिया ही इसका एकमात्र इलाज़ है, जो सुरक्षित एवं आसान प्रक्रिया है। आंखों के लेंस आँख से विभिन्न दूरियों की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। समय के साथ लेंस अपनी पारदर्शिता खो देता है तथा अपारदर्शी हो जाता है। लेंस के धुंधलेपन को मोतियाबिंद कहा जाता है। दृष्टिपटल तक प्रकाश नहीं पहुँच पाता है एवं धीरे-धीरे दृष्टि में कमी अन्धता के बिंदु तक हो जाती है। ज्यादातर लोगों में अंतिम परिणाम धुंधलापन एवं विकृत दृष्टि होते है। मोतियाबिंद का निश्चित कारण अभी तक ज्ञात नहीं है।
मोतियाबिन्द वर्गीकरण व बाहरी संसाधन | |
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मानव आंख में मोतियाबिंद का विस्तार किया गया दृश्य | |
आईसीडी-१० | H25.-H26., H28., Q12.0 |
आईसीडी-९ | 366 |
रोग डाटाबेस | 2179 |
मेडलाइन+ | 001001 |
![Thumb image](http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/3/34/Eyesection.gif/320px-Eyesection.gif)
मोतियाबिंद के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिनमें सबसे आम वृद्धावस्था का मोतियाबिंद है, जो ५० से अधिक आयुवाले लोगों में विकसित होता है। इस परिवर्तन में योगदान देने वाले कारकों में रोग, आनुवांशिकी, बुढ़ापा, या नेत्र की चोट शामिल है। वे लोग जो सिगरेट के धुएँ, पराबैंगनी विकिरण (सूर्य के प्रकाश सहित), या कुछ दवाएं के सम्पर्क मे रह्ते हैं, उन्हें भी मोतियाबिंद होने का खतरा होता है। मुक्त कण और ऑक्सीकरण एजेंट्स भी आयु-संबंधी मोतियाबिंद के होने से जुड़े हैं। इसके लक्षणों में समय के साथ दृष्टि में क्रमिक गिरावट, वस्तुयें धुंधली, विकृत, पीली या अस्पष्ट दिखाई देती हैं। रात में अथवा कम रोशनी में दृष्टि में कमी होना। रात में रंग मलिन दिखाई दे सकते हैं या रात की दृष्टि कमजोर हो सकती है। धूप या तेज रोशनी में दृष्टि चमक से प्रभावित होती है। चमकदार रोशनी के चारों ओर कुण्डल दिखाई देते हैं। मोतियाबिंद से खुजली, आंसू आना या सिर दर्द नहीं होता है।