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मश्क़
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मश्क़ भारत, पाकिस्तान, नेपाल और बंगलादेश में एक पारम्परिक पानी और अन्य द्रव्यों को ले जाने वाली चमड़े की थैली का नाम होता है। यह चमड़ा अक्सर बकरी की ख़ाल का बनता है जिसे जलरोधक बनाया गया हो, यानि जिसकी ऐसे तेल या रोग़न से मालिश की गई हो जो उसमें से पानी चूने से रोक सके। मश्क़ अलग-अलग आकारों में आया करते थे। छोटी मश्क़ों हाथ में उठाई जाती थीं और उनमें शराब जैसे द्रव्य रखे जाते थे, जबकि बड़ी मश्क़ें कंधे पर तंगी जाया करती थीं और उनमें पानी ले जाया जाता था। मश्क़ों में एक ही तंग-सा मूंह हुआ करता था।[1]
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बड़ी मश्क़ ले जाने वालों को 'माश्क़ी' कहा जाता था और अक्सर 'भिश्ती' नामक जाति के लोग मश्क़ों में पानी ले जाया करते थे।[2] भारतीय उपमहाद्वीप में ज़बरदस्त गरमी पड़ती है इसलिए मश्क़ से पानी पिलाने और देने वालों का यह नाम फ़ारसी के 'बहिश्त' (بهِشت) शब्द पर पड़ा, जिसका मतलब 'स्वर्ग' होता है, क्योंकि इस पानी से गरमी में तप रहे लोगों, पशुओं और पौधों को स्वर्ग जैसे ठंडक पहुँचती थी।[3]