प्रतिन्यूट्रॉन
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प्रतिन्यूट्रॉन (Antineutron) न्यूट्रॉन का प्रतिकण है जिसका प्रतीक n है। यह न्यूट्रॉन से केवल कुछ ही गुणों में मान समान एवं विपरित चिह्न के साथ रखता है। इसका द्रव्यमान न्यूट्रॉन के समान है और आवेश शून्य होने के कारण यह भी उदासीन होता है लेकिन बेरिऑन संख्या (न्यूट्रॉन के लिए +1, प्रतिन्यूट्रॉन के लिए −1) विपरीत होती है। इसका कारण प्रतिन्यूट्रॉन का प्रतिक्वार्क कणों से मिलकर बना होना है। विशेष रूप से यह एक अप प्रतिक्वार्क और दो डाउन प्रतिक्वार्कों से मिलकर बना कण है।
वर्गीकरण | प्रतिबेरिऑन |
---|---|
संघटन | 1 अप प्रतिक्वार्क, 2 डाउन प्रतिक्वार्क |
सांख्यिकी | फर्मिऑन |
अन्योन्य क्रिया | प्रबल, दुर्बल, गुरुत्व, विद्युतचुम्बकत्व |
स्थिति | ज्ञात |
प्रतिक | n |
कण | न्यूट्रॉन |
आविष्कार | ब्रूस कॉर्क (1956) |
द्रव्यमान | 939.56556(81) MeV/c2 |
विद्युत आवेश | 0 |
चुम्बकीय आघुर्ण | 1.91 µN |
प्रचक्रण | 1⁄2 |
समभारिक प्रचक्रण | 1⁄2 |
परिशून्यन | |
प्रयोगशाला
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चूँकि प्रतिनूट्रॉन विद्युतीय अनावेशित कण है, अतः इसे सीधे ही प्रेक्षित करना मुश्किल है। इसे प्रेक्षित करने के लिए इसका साधारण द्रव्य के साथ परिशून्यन करवाकर प्रेक्षित किया जाता है। सैद्धान्तिक भौतिकी के अनुसार एक प्रतिन्यूट्रॉन का क्षय प्रतिप्रोटोन, पोजीट्रॉन और न्यूट्रिनो में होता है जो मुक्त न्यूट्रॉन के बीटा क्षय के समान है। कुछ सैद्धान्तिक मतो के अनुसार न्यूट्रॉन-प्रतिन्यूट्रॉन दोलन भी पाये जते हैं जो केवल तब ही सम्भव है जब एक अज्ञात भौतिक प्रक्रिया (जिसका अभी तक आविष्कार नहीं हुआ और किसी भी प्रयोग में पायी नहीं गयी है) घटित हो जिसमें बेरिऑन संख्या संरक्षण के नियम का उल्लंघन हो।[1][2][3]
प्रतिन्यूट्रॉन का आविष्कार प्रतिप्रोटोन की खोज के एक वर्ष बाद 1956 में ब्रूस कॉर्क ने बेवाट्रॉन (लावरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेट्री) में प्रोटॉन=प्रोटॉन टक्कर में की।