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स्त्न्पायी की प्र्जाती विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
पोटो (Potto) अफ़्रीका के मुख्य महाद्वीप में मिलने वाला निशाचरी (रात्रि में सक्रीय) नरवानर प्राणी होते हैं। यह नरवानर गण के स्ट्रेपसिराइनी उपगण के लीमरिफ़ोर्मीस अधोगण (इन्फ़ाऑर्डर) के लोरिसिडाए कुल में पेरोडिकटिकस (Perodicticus) नामक वंश की इकलौती सदस्य जाति हैं।[2][3]
पोटो Potto | |
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चिड़ियाघर में पोटो | |
वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | जंतु |
संघ: | रज्जुकी (Chordata) |
वर्ग: | स्तनधारी (Mammal) |
गण: | नरवानर (Primate) |
उपगण: | स्ट्रेपसिराइनी (Strepsirrhini) |
अधःगण: | लीमरिफ़ोर्मीस (Lemuriformes) |
कुल: | लोरिसिडाए (Lorisidae) |
उपकुल: | पेरोडिकटिसिनाए (Perodicticinae) |
वंश: | पेरोडिकटिकस (Perodicticus) बेनेट, १८३१ |
जाति: | P. potto |
द्विपद नाम | |
Perodicticus potto (स्टाटियस मुएलर, १७६६) | |
अफ़्रीका में भौगोलिक विस्तार |
पोटो ३० से ३९ सेमी लम्बा होता है और इसकी एक ३ से १० सेमी की छोटी-सी पूँछ होती है। इसका वज़न ६०० से १,६०० ग्राम तक का होता है। शरीर पर भूरे-ख़ाकी रंग के बाल होते हैं। इसके हाथ की विशेषता है कि उसकी तर्जनी ऊँगली ना के बराबर लम्बी होती है लेकिन सम्मुख अँगूठे के प्रयोग से यह पेड़ की डालियाँ पकड़ने में सक्षम होता है। अन्य स्ट्रेपसिराइनियों की तरह इसकी नाक गीली होती है, मुँह के निचले आगे के दाँत कंघी की तरह प्रयोग किये जाते हैं और हाथ-पाँव की तीसरी और चौथी उंगलियाँ चर्म से जुड़ी होती हैं, जबकि पाँव की तीसरी, चौथी और पाँचवी उंगलियाँ अपने हाथ के समीपी भाग में खाल से जुड़ी होती हैं।[4]
इनकी गर्दन में चार से छह हड्डीनुमा उभार होते हैं जिनके अन्त तीखे होते हैं और रक्षा के लिये प्रयोग किये जा सकते हैं।[5] नर और मादा की पूँछो के नीचे गन्ध उत्पन्न करने वाले अंग होते हैं, जिनसे वह अपना क्षेत्र अंकित करते हैं और जो नर-मादा के जोड़े में आपसी आकर्षण के लिये प्रयोग किया जाता है।[6]
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