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नीदरलैण्ड का इतिहास
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नीदरलैण्ड का सम्राज्य इतिहास राइन (Rhine) और म्यूज(Meuse) नदियों के मुहानों के इलाके जूलियस सीजर ने ५५ ई. पू. में जीत लिए। उस समय वहाँ केल्टिक (Celtic) और जर्मेनिक (Germanic) जातियाँ रहती थीं।म्यू राइन डेल्टा के उत्तर में बटावी (Batavi) और फ्रीजन मुख्य जातियाँ थीं।
आठवीं और नवीं शताब्दियों में वेस्ट फ्रैंकों ने सैक्सनों और फ्रीज़नों का पूरी तौर से दमन कर दिया। साथ ही फ्रांकिश भाषा भी जर्मैनिकों पर छा गईं। किंतु नवीं शताब्दी में ही अनेक स्थानीय प्रभाव के व्यक्तियों ने उभर कर राज्य को छिन्न भिन्न कर दिया। १३वीं शताब्दी में कांउट फ्लोरिस पंचम के शासन में हालैंड बहुत शक्तिशाली हो गया, और उसकी सीमाएँ भी दूर दूर तक फैल गईं। १५वीं शताब्दी में बर्गडी के ड्यूक शक्तिशाली हो गए। १५४७ में स्पेन के राजा चार्ल्स पंचम ने नीदरलैंड और आस्ट्रिया के संघ का आदेश जारी किया और १५४९ में स्पेन में नीदरलैंड भी सम्मिलित कर लिया गया।
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चार्ल्स पंचम का पुत्र फिलिप द्वितीय स्पेन के शक्तिविस्तार में लगा रहा। उसने निचले प्रदेशों पर अपना सीधा स्वामित्व स्थापित करने के लिए वहाँ की राजनीतिक, आर्थिक और धार्मिक स्वतंत्रता का दमन किया। फलस्वरूप रोमन कैथोलिकों और प्रोटेस्टेंटों ने विद्रोह कर दिया। यह विद्रोह व्यापक रूप से १० वर्षों तक चला। १५७७ में प्रदेश का बड़ा भाग फिलिप द्वितीय की दमन नीति से मुक्त हो गया और विलियम उसका शासक बना। किंतु उत्तरी और दक्षिणी प्रांतों की एकता कायम न रह सकी। १५७८ में दक्षिणी प्रांत (वर्तमान वेल्जियम) विलियम के विरुद्ध हो गया। १५७९ में सात उत्तरी प्रांतों का यूट्रेक्ट संघ (Union of Utrecht) बना, जिसमें हालैंड का स्थान महत्वपूर्ण था।
१७वीं शताब्दी में यह संघ संसार में व्यापार और सागरीय शक्ति से सर्वाधिक संपन्न था। ईस्टइंडीज, भारत, दक्षिण अफ्रीका और वेस्टइंडीज आदि उसके उपनिवेश थे। डच प्राय: उदार थे, अतएव उन्होंने स्पेनी, पुर्तगाली, यहूदी, अंग्रेज और फ्रांसीसी यात्रियों को शरण दी जिनके पारस्परिक योग से कला, साहित्य, विज्ञान और दर्शन की प्रचुर उन्नति हुई। फ्रांस के आक्रमण को विफल करने के लिए नीदरलैंड की डच शक्तियों की मृत्यु के पश्चात् डच गणराज्य एक शताब्दी तक चलता रहा। इसके बाद आंतरिक विद्रोह, गृह-कलह, १७वीं और १८वीं शताब्दियों में इंग्लैंड से युद्धों के कारण नीदरलैंड की शक्ति अत्यंत क्षीण हो गई। १७९५ में फ्रांसीसी सेनाओं ने शक्तिहीन गणराज्य का बुरी तरह रौंद दिया।
१८१४-१५ की विएना कांग्रेस में कई शक्तियों की संमति से नीदरलैंड राज्य ने एक नया रूप धारण किया जिसमें प्राचीन संयुक्तप्रदेश, स्पेनी और आस्ट्रियायी भाग सम्मिलित थे। विलियम प्रथम उसका सम्राट् घोषित हुआ। १८३० में दक्षिण भाग के विद्रोह हो गया, जिसका परिणाम बेल्जियम के जन्म के रूप में हुआ। उसके बाद नीदरलैंड के शेष भाग के आंतरिक मामलों, उद्योगीकरण आदि पर अधिक ध्यान दिया गया। बेल्जियम से पारस्परिक संबंधों में प्रगति हुई। विलियम तृतीय की मृत्यु (१८९०) के पश्चात् लक्समबर्ग पर हालैंड की प्रभुता का दावा समाप्त हो गया।
प्रथम विश्वयुद्ध के समय नीदरलैंड तटस्थ राष्ट्र था, किंतु १९४० में जर्मनी द्वारा आक्रांत होने के कारण इसे तटस्थता की नीति छोड़नी पड़ी। रानी विल्हेल्मिना (Queen Wilhelmina) अपने अन्य सरकारी अधिकारियों के साथ इंग्लैंड चली गई। युद्ध में डच ठहर नहीं सके और उन्हे भारी क्षति उठानी पड़ी। नीदरलैंड की बहुत संपत्ति जर्मनी ने लूट ली। १९४५ में मित्र राष्ट्रों (Allied Powers) ने उसे जर्मंनी के संकट से मुक्त कराया। १९४८ में विल्हेल्मिना की पुत्री जुलियाना सिंहासनारूढ़ हुई।
ईस्टइंडीज का बड़ा भाग जो कि ३०० वर्षों से डचों के अधिकार में था, १९४२ में जापानियों ने जीत लिया। १९४५ में इंडोनेशिया ने स्वतंत्रता का नारा बुलंद किया। चार वर्षों के आंदोलन तथा संयुक्तराष्ट्र के हस्तक्षेप के पश्चात् नीदरलैंड ने इंडोनेशिया को दिसंबर १९४९ में स्वतंत्र कर दिया। पश्चिम न्यूगिनी के प्रशासन के प्रश्न पर डचों की संपत्ति इंडोनेशिया में ज़ब्त हो गई। १९६२ में नीदरलैंड ने न्यूगिनी को भी मुक्त किया, १९६३ में संयुक्त राष्ट्रसंघ ने न्यूगिनी का प्रशासन इंडोनेशिया को सौंप दिया।