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नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध
2019-2020 मे हुये आंदोलन / From Wikipedia, the free encyclopedia
sonu kumar s/o - jay prakash mehta द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम पर कुछ टिप्पणी किया गया।
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सीएए और एनआरसी विरोध, नागरिकता (संशोधन) बिल विरोध, या सीएबी और एनआरसी विरोध के रूप में भी जाना जाता है, भारत में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) जिसे 12 दिसंबर 2019 को कानून बनाया गया था[1], और एक राष्ट्रव्यापी नागरिक रजिस्टर (NRC) बनाने के प्रस्तावों के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों की एक श्रृंखला है।[2] 4 दिसंबर 2019 को असम,[3] दिल्ली,[4], मेघालय,[5] अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।[6] वे पूरे भारत में फैल गए हैं, हालांकि प्रदर्शनकारियों की चिंताएँ अलग-अलग हैं।[7] बिल के अनुसार इसमें पाकिस्तान ,बांग्लादेश और अफगानिस्तान धार्मिक पर हो रहे अत्याचार का सामना करके आने वाले अल्पसंख्यक को अवेध प्रवासी नही माना जायेगा बल्कि उन्हें भी भारत की नागरिकता दे दी जाएगी ।तथा यह बिल लोक सभा में 11दिसंबर को पास हुआ था माननीय राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद के उपस्थिति में । यह कार्यवाही 10 जनवरी 2020 को लागू किया गया ।इस बिल के अनुसार 31 जनवरी 2014 से पहले जितने भी प्रवासी भारत आए थे उन्हें अब भारत की नागरिकता दे दी जाएगी ।इसमें सिर्फ छ धर्मो के लोग शामिल है
1. हिंदू,
2.कृष्चन
3.सिख
4.जैन
5.बौद्ध
6.फारसी
ये सब जो पाकिस्तान,अफगानिस्तान और बंगलादेश से आए हुए प्रवासी जो वर्तमान समय तक भारत में रह रहे है उन्हे नागरिकता दे दी जाएगी ।लेकिन कोई देश विरोधी कार्य नही किए हो ।
यह कारवाही सिर्फ असाम ,मेघालय ,त्रिपुरा, मिजोरम, में लागू नही होगा।
linner line permit area में भी लागू नही होगा।
अरुणाचल प्रदेश,नागालैंड ,मिजोरम।