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बौद्ध धर्म की शाखा/सम्प्रदाय विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
नवयान बौद्ध धम्म या बौद्ध धर्म का एक रूप है । नवयान का अर्थ है - " नवबौद्ध "। नवयान शब्द के उल्लेख हमे प्राचीनतम प्राप्त होता है यत्र तत्र इससे नवयान संप्रदाय की प्राचीनता ज्ञात हो जाती है. नवयान संप्रदाय के सारे अनुयायि "आम्बेडकरवादी बौद्ध" होते हैं, इन बौद्धों का आम्बेडकर द्वारा निर्धारीत बाईस प्रतिज्ञाओं का पालन करना अनिवार्य तथा महत्वपूर्ण माना जाता हैं जो डॉ आम्बेडकर ने 14 अक्तुबर 1956 को धम्म परिवर्तन समारोह में दी थी। डॉ आम्बेडकर के इन धम्म परिवर्तीत बौद्ध धम्म अनुयायिओं को भारत सरकार तथा राज्य सरकारों ने "नवबौद्ध" नामक संज्ञा दी हैं। नवयान महायान, थेरवाद और वज्रयान आदी से कुछ मामलों में भिन्न हैं। 2011 के अनुसार, कुल भारतीय बौद्धों में अधिकांश यानी 87% हिस्सा नवयानी बौद्धों (नवबौद्ध) का हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में नवयानी बौद्धों की आबादी 70-75 लाख तक हैं....[1]
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डॉ आम्बेडकर को बौद्ध धम्म का स्वीकार करने से एक दिन पूर्व पत्रकार ने पूछा की, ‘आप जो बौद्ध धम्म अपनाने वाले है वो महायान बौद्ध धर्म होगा या हीनयान बौद्ध धर्म ?’ उत्तर में आम्बेडकर ने कहा की, ‘‘मेरा बौद्ध धर्म न तो महायान होगा और न ही हीनयान होगां, इन दोनों संप्रदायों में कुछ समायरूप भिन्न बातें हैं इसलिए ये बौद्ध धम्म सिर्फ बौद्ध धम्म होंगा। जिसमें भगवान बुद्ध के मूल सिद्धांत और केवल विवेकवादी सिद्धांत ही होंगे। बौद्ध धम्म में हिंदू धर्म जैसे किसी भी तरह की जातियां , उच नीच , भेदभाव , कुरीतिया , देव , स्वर्ग नरक , अंधश्रद्धा नही होंगी। सबको समान अधिकार , समता , बंधुंता, दया , करुणा होंगी। यह ‘ बौद्ध धम्म’ होंगा।’’ पत्रकार ने फिर पूछां, “क्या हम इसे बुद्ध धम्म का पुनर्जीवन कह सकते है ?”डॉ आम्बेडकर ने कहा की, आप कह सकते हैं किंतु मैं नहीं कहुंगा।
भारत के बौद्ध बोधिसत्व डॉ भीमराव आम्बेडकर और गौतम बुद्ध को एक ही समान सम्मान देते है, क्योंकि वे डॉ भीमराव आम्बेडकर को अपने उद्धारक मार्गदाता तथा भगवान बुद्ध को अपने मार्गदाता मानते है।
वर्तमान भारत में जब-जब भगवान बुद्ध को स्मरण किया जाता है, तब-तब स्वाभाविक रूप से डॉ भीमराव आम्बेडकर का भी नाम लिया जाता है। भारतीय स्वतंत्रता के बाद बहुत बड़ी संख्या में एक साथ डॉ॰ आंबेडकर के नेतृत्व में सामूदायिक बौद्ध धम्म परिवर्तन हुआ था। 14 अक्तूबर, 1956 को नागपुर में यह दीक्षा सम्पन्न हुई, जिसमें डॉ आम्बेडकर के साथ 50,00,000 समर्थक बौद्ध बने है, अगले दिन 50,00,000 एवं तिसरे दिन 16 अक्टूबर को चन्द्रपुर में 30,00,000 अनुयायी बौद्ध बने। इस तरह 1 करोड़ 30 लाख से भी अधिक लोगों को डॉ आम्बेडकर ने केवल तीन दिन में बौद्ध बनाया था।[उद्धरण चाहिए] इस घटना से भारत में बौद्ध धम्म का पुनरूत्थान या पुनर्जन्म हुआ। मार्च 1959 तक 1.5 से 2 करोड़ लोग बौद्ध बने थे। बौद्ध धम्म भारत के प्रमुख धर्मों में से एक है। बुद्ध धम्म यह प्राचीन काल से है।
मैं स्वीकार करता हूँ और बुद्ध की शिक्षाओं का पालन करूंगा। मैं हिंदू धार्मिक रुढ़ियों से, भेदभाव से , अंधश्रद्धा से भारतीय लोगों को दूर रखूंगा। हमारा बौद्ध धम्म सबका बौद्ध धम्म है।
— डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर, शाम होटल, नागपुर में 13 अक्टूबर 1956 को प्रेस साक्षात्कार[2]
सन 2001 की जनगणना के मुताबिक देश में बौद्धों की जनसंख्या 15 करोड़ है जिनमें से अधिकांश बौद्ध (नवबौद्ध) यानि हिंदू से धर्म बदल कर बने हैं।
सबसे अधिक 5 करोड़ बौद्ध महाराष्ट्र में बने हैं। उत्तर प्रदेश में 3 करोड़ के आसपास नवबौद्ध हैं। पूरे देश में 1991 से 2001 के बीच बौद्धों की आबादी में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। [3]
बौद्धों के बीच महिला और पुरुष का लिंग अनुपात 981 प्रति हजार है। हिन्दुओं (952), मुसलमानों (896), सिख (940) और जैन (944)
2001 की जनगणना के अनुसार बौद्धों के बीच लड़कियों और लड़कों का लिंग अनुपात 978 हैं। हिन्दुओं (942), सिख (935) और जैन (940)।
बौद्ध अनुयायिओं की साक्षरता दर 78.7 प्रतिशत हैं। इस दर में भी हिंदुओं (72.1), मुसलमानों (62.1) और सिखों (69.4)
बौद्ध महिलाओं की साक्षरता दर 72.9 प्रतिशत है। हिंदुओं (66.7) और मुसलमानों (50.1)
बौद्धों के लिए यह दर 55.6 हैं। यह दर हिंदुओं (46.4), मुसलमानों (31.3) ईसाई (32.0), सिख (42.4) जैन (45.7)।
भारतीय बौद्धों में 95% से अधिक नवबौद्ध हैं। 2011 की भारतीय जनगनणा के अनुसार भारत में बौद्ध करीब 8.5 करोड़ यानी 7% हैं, लेकिन अन्य सर्वेक्षण और विद्वानों के अनुसार भारत में 19% से 22% या 24 करोड़ से 25 करोड़ बौद्ध हैं।
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