जयपुर राज्य
From Wikipedia, the free encyclopedia
जयपुर सामंत/ जमींदार रजवाड़ा (अन्य नाम: जयपुर स्टेट) का केन्द्र जयपुर कच्छावाह राजवंश की स्थापना 1006.ई दुल्हेराय ने की और दोसा को राजधानी बनाया||दुल्हेराय के पुत्र काकिल देव ने आमेर में मीणाओ को पराजित कर आमेर को अपनी राजधानी बनाया|रणनीतिक तौर पर राजस्थान के सबसे शक्तिशाली रजवाड़े के रूप में जाना जाता था क्योंकि यहां के शासको ने मुगल सेनापतियो के रूप में लड़ाई करके मुगल शासन को काबुल तक फैला दिया था,, यहां के शासक राजा मानसिंह ने मुगल सेनापति के रूप में 105 युद्ध लड़े और किसी भी युद्ध में नही हारा,,राजा मानसिंह ने पूरी के जगन्नाथ मंदिर,की रक्षा कर उसका पुनर्निर्माण भी करवाया था,,इसके अलावा काशी विश्वनाथ के मंदिर का पुनर्निर्माण,बनारस का गोविंददेव जी का मंदिर, हरिद्वार के घाटों का निर्माण भी करवाया था,साथ ही मानसिंह में अकबर के दीन ए इलाही धर्म को भी स्वीकार नही किया था।१५७६ इस्वी में हल्दी घाटी के युद्ध में जयपुर रजवाड़े के सामंत मानसिंह ने मेवाड़ के स्वाभिमानी शासक महाराणा प्रताप सिंह के खिलाफ मुगल सेना का नेतृत्व किया था सामंत मिर्जा राजा जयसिंह ने औरंगजेब के आदेश पर हिन्दूशाही शासक छत्रपति शिवाजी को बंदी बनाकर पुरंदर की संधि के लिए बाध्य किया था इस कार्य के लिए उसे औरंगजेब के द्वारा इनाम के तौर पर आपार धन मिला था। जयपुर का राजपरिवार 16 वी सदी में अस्तित्व में आया था ।मुगलों के समय यहां का शासक सवाई जयसिंह बड़ा प्रसिद्ध हुआ जिसने ज्योतिष ज्ञान पर आधारित 5 बड़ी वेदशालाओ का निर्माण करवाया जिसमे से जयपुर जंतर मंतर को विश्व विरासत का दर्जा हासिल है,,,जयपुर के शासक जगत सिंह ने अंग्रेजो से संधि कर ली थी,, सन 1947 में भारत की आजादी के बाद यहां के शासक सवाई मानसिंह द्वितीय ने भारत संघ में मिलने का निर्णय लिया और जयपुर रियासत भारत देश का एक अंग बन गया,।इसके बाद भी सवाई मानसिंह के पुत्र ब्रिगेडियर भवानी सिंह ने देश के लिए सिर्फ नाममात्र की तनख्वाह लेकर पाकिस्तान से युद्ध लड़ा और पाकिस्तान के छाछरो पर कब्जा कर लिया था इसी कारण उनको भारत के युदकाल के दूसरे सबसे बड़े वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से नवाजा गया था, भारतीय स्वाधीनता उपरान्त भारतीय संघ में विलय हो गया। इतिहास के भिन्न कालों में इसे भिन्न भिन्न नामों से जाना गया जैसे: जयपुर राज्य, आम्बेर राज्य, ढूंढाड़ राज्य एवं कछवाह राज्य, आदि।
जयपुर रजवाड़ा | ||||||
| ||||||
| ||||||
भारत के इम्पीरियल गैज़ेटियर का जयपुर राज्य | ||||||
राजधानी | जयपुर | |||||
भाषाएँ | हिन्दुस्तानी भाषा (हिन्दी-उर्दु) तथा संस्कृत बहुल की ढूंढारी-राजस्थानी बोली | |||||
शासन | ब्रिटिश राज का रजवाड़ा (१८१८-१९४७) राजतंत्र (११२८-१८१८) | |||||
महाराजा सवाई | ||||||
- | ११२८ - ११३३ | दूल्हेराय | ||||
- | १९२२ - १९४८ | मान सिंह द्वितीय (अन्तिम) | ||||
इतिहास | ||||||
- | स्थापित | ११२८ | ||||
- | भारत में विलय | १९४७ | ||||
क्षेत्रफल | ||||||
- | 1931 | 40,407 किमी ² (15,601 वर्ग मील) | ||||
जनसंख्या | ||||||
- | 1931 est. | 26,31,775 | ||||
| 65.1 /किमी ² (168.7 /वर्ग मील) | |||||
मुद्रा | भारतीय रुपया | |||||
आज इन देशों का हिस्सा है: | राजस्थान, भारत | |||||
Warning: Value not specified for "continent" |
== जयपुर के कच्छावाह राजवंश के शासक
- [[दूल्हेराय कच्छावाह राजवंश के संस्थापक 1006ई.
- काकिल देव
- जगत मल
- भारमल
- भगवंत दास
- मिर्ज़ा राजा जय सिंह प्रथम(
- जय सिंह द्वितीय
- जय सिंह तृतीय
- ब्रजनिधि
- माधो सिंह प्रथम
- माधो सिंह द्वितीय
- मान सिंह प्रथम
- मान सिंह द्वितीय
- राम सिंह प्रथम
- रामसिंह द्वितीय
- बिशन सिंह
- कुमार पद्मनाभ सिंह
- राम सिंह तृतीय