कामसूत्र
प्राचीन भारतीय यौन ग्रन्थ / From Wikipedia, the free encyclopedia
कामसूत्र महर्षि वात्स्यायन द्वारा रचित[1] भारत का एक प्राचीन कामशास्त्र ) ग्रन्थ है। यह विश्व की प्रथम यौन संहिता है जिसमें यौन प्रेम के मनोशारीरिक सिद्धान्तों तथा प्रयोग की विस्तृत व्याख्या एवं विवेचना की गई है। अर्थ के क्षेत्र में जो स्थान कौटिल्य के अर्थशास्त्र का है, काम के क्षेत्र में वही स्थान कामसूत्र का है।
कामसूत्र | |
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लेखक | वात्स्यायन |
मूल शीर्षक | कामसूत्र |
अनुवादक | बहुत |
देश | भारत |
भाषा | संस्कृत |
विषय | अच्छी तरह से जीने की कला, प्रेम की प्रकृति, एक जीवन साथी की खोज, एक के प्रेम जीवन को बनाए रखना, और अन्य पहलुओं को मानव जीवन के आनन्द-उन्मुख संकायों से सम्बन्धित है। |
प्रकार | सूत्र |
अंग्रेजी में प्रकाशित हुई |
1883 |
अधिकृत प्रमाण के अभाव में महर्षि वात्स्यायन का काल निर्धारण नहीं हो पाया है। परन्तु अनेक विद्वानों तथा शोधकर्ताओं के अनुसार महर्षि ने अपने विश्वविख्यात ग्रन्थ कामसूत्र की रचना ईसा की तृतीय शताब्दी के मध्य में की होगी। तदनुसार विगत सत्रह शताब्दियों से कामसूत्र का वर्चस्व समस्त संसार में छाया रहा है और आज भी कायम है। संसार की हर भाषा में इस ग्रन्थ का अनुवाद हो चुका है[तथ्य वांछित]। इसके अनेक भाष्य एवं संस्करण भी प्रकाशित हो चुके हैं, वैसे इस ग्रन्थ के जयमंगला भाष्य को ही प्रामाणिक माना गया है। कोई दो सौ वर्ष पूर्व प्रसिद्ध भाषाविद सर रिचर्ड एफ़ बर्टन (Sir Richard F. Burton) ने जब ब्रिटेन में इसका अंग्रेज़ी अनुवाद करवाया तो चारों ओर तहलका मच गया[तथ्य वांछित] और इसकी एक-एक प्रति 100 से 150 पौंड तक में बिकी[तथ्य वांछित]। अरब के विख्यात कामशास्त्र ‘सुगन्धित बाग’ (Perfumed Garden) पर भी इस ग्रन्थ की अमिट छाप है[तथ्य वांछित]।
महर्षि के कामसूत्र ने न केवल दाम्पत्य जीवन का शृंगार किया है वरन कला, शिल्पकला एवं साहित्य को भी सम्पदित किया है। राजस्थान की दुर्लभ यौन चित्रकारी तथा खजुराहो, कोणार्क आदि की जीवन्त शिल्पकला भी कामसूत्र से अनुप्राणित है। रीतिकालीन कवियों ने कामसूत्र की मनोहारी झाँकियाँ प्रस्तुत की हैं तो गीत गोविन्द के गायक जयदेव ने अपनी लघु पुस्तिका ‘रतिमंजरी’ में कामसूत्र का सार संक्षेप प्रस्तुत कर अपने काव्य कौशल का अद्भुत परिचय दिया है[तथ्य वांछित]।
रचना की दृष्टि से कामसूत्र कौटिल्य के 'अर्थशास्त्र' के समान है—चुस्त, गम्भीर, अल्पकाय होने justभी विपुल अर्थ से मण्डित। दोनों की शैली समान ही है— सूत्रात्मक। रचना के काल में भले ही अन्तर है, अर्थशास्त्र मौर्यकाल का और कामूसूत्र गुप्तकाल का है।