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आर्थिक नीति (Economic policy) से आशय उन सरकारी नीतियों से होता है जिनके द्वारा किसी देश के आर्थिक क्रियाकलापों का नियमन होता है। आर्थिक नीति के अन्तर्गत करों के स्तर निर्धारित करना, सरकार का बजट, मुद्रा की आपूर्ति, ब्याज दर के साथ-साथ श्रम-बाजार, राष्ट्रीय स्वामित्व, तथा अर्थव्यवस्था में सरकार के हस्तक्षेप के अनेकानेक क्षेत्र आते हैं।
आर्थिक नीति का सम्बन्ध आर्थिक मामलों से सम्बन्धित कुछ निर्धारित परिणामों की प्राप्ति हेतु अपनाई गई कार्यविधि से होता है। आर्थिक नीति एक व्यापक नीति है और इसमें अनेक नीतियों का समावेश किया जाता है|
सामाजिक विज्ञान के विश्वकोष के अनुसार, ‘‘आर्थिक नीति शब्द का प्रयोग आर्थिक क्षेत्र में सरकार की उन सभी क्रियाओं में सम्मिलित किया जा सकता है, जिनका सम्बन्ध उत्पादन, वितरण एवं उपयोग में जानबूझकर अथवा अधिक सरकारी हस्तक्षेप से होता है।’’ इस प्रकार आर्थिक नीति किसी सरकार का वह आर्थिक दर्शन और व्यापक शब्द है जिसके अन्तर्गत विभिन्न नीतियाँ, जैसे - कृषि नीति, औद्योगिक नीति, वाणिज्य नीति, राजकोषीय नीति, मौद्रिक नीति, नियोजन नीति, आय नीति, रोजगार नीति, परिवहन नीति एवं जनसंख्या नीति आदि सम्मिलित हैं, में समन्वय कर निर्धारित लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को पूरा करने के लिए वह कदम उठाती है।
आर्थिक नीति के महत्त्व को इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है :
आर्थिक नीति में निम्नलिखित विशेषताएँ देखी सकती हैः
आर्थिक दर्शन : आर्थिक नीति किसी सरकार का एक आर्थिक दर्शन या विस्तृत विचारधारा है, जिसके माध्यम से वह अपने निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने का प्रयास करती है।
मार्गदर्शक सूत्र : आर्थिक नीतियाँ, आर्थिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये व्यापार, वाणिज्य एवं उद्योग में अपनाये जाने वाली कार्यविधि या मार्गदर्शक सूत्र है। अर्थात् आर्थिक नीति में सरकार की उन सभी आर्थिक क्रियाओं एवं क्रियाकलापों सहनियमन को सम्मिलित किया जाता है, जिनका सम्बन्ध उत्पादन, आय एवं सम्पत्ति का वितरण तथा उपयोग, संसाधनों का प्रयोग, विनियोग (निर्यात-आयात) तथा सामाजिक कल्याण में वृद्धि आदि में जानबूझकर अथवा अधिक सरकारी हस्तक्षेप से होता हैं।
व्यापक शब्द : आर्थिक नीति एक व्यापक शब्द है क्योंकि इसमें विभिन्न नीतियाँ सम्मिलित की जाती है, जैसे - कृषि नीति, औद्योगिक नीति, वाणिज्यिक नीति, राजकोषिय नीति, मौद्रिक नीति, नियोजन नीति, आय नीति, रोजगार नीति, परिवहन नीति एवं जनसंख्या नीति आदि।
विभिन्न नीतियों में समन्वय : देश की विभिन्न आर्थिक नीतियों में समन्वय स्थापित कर निर्धारित लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को पूरा करने का कदम उठाया जाता है। यही नहीं, आर्थिक नीति में विभिन्न विरोधी लक्ष्यों के मध्य भी समन्वय स्थापित किया जाता है।
आर्थिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के एक साधन के रूप में : आर्थिक नीतियों को राज्य द्वारा अपने आर्थिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के साधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
एक सुविचारित नीति : आर्थिक नीति किसी देश की सरकार द्वारा अपनायी गयी एक सुविचारित नीति है जो अर्थव्यवस्था के प्रबन्ध, नियमन एवं नियंत्रण को सरल बनाती है।
प्रशासन तन्त्र का मार्गदर्शन : आर्थिक नियोजन में सरकार उद्देश्य निर्धारित करती है, जिन्हें प्राप्त करने के लिए आर्थिक नीतियाँ बनाती है। आर्थिक नीतियाँ प्रशासन तन्त्र का मार्गदर्शन करती है परिणामस्वरूप आर्थिक उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके।
विशिष्ट उद्देश्य एवं निश्चित कार्यक्रम में सम्बन्ध : आर्थिक नीति में सरकार विशिष्ट उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कुछ निश्चित कार्यक्रम अपना सकती है।
क्रियाओं को प्रोत्साहित, नियमित एवं नियंत्रित करना : जब सरकार उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए निश्चित कार्यक्रम तैयार करती है तो कुछ क्रियाओं को प्रोत्साहित करती है तो कुछ को नियमित एवं नियंत्रित भी करती है।
सामाजिक एवं राजनीतिक नीतियों से प्रभावित : आर्थिक नीतियाँ सामान्य रूप से सामाजिक एवं राजनीतिक नीतियों से प्रभावित होती है। हमारा उद्देश्य जनता का जीवन-स्तर ऊँचा करना, सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना, देश में शान्ति बनाये रखना एवं राजनीतिक स्थिरता हो तो आर्थिक नीति का इनके अनुकूल होना आवश्यक है।
आर्थिक नीति का मुख्य उद्देश्य देश में आर्थिक विकास की दर में वृद्धि करना है। इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु आर्थिक नीति के अन्य उद्देश्य निम्नलिखित हैः
आर्थिक नीति, बहु-आयामी नीति है क्योंकि आर्थिक नीति के अनुरूप ही देश की अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों की नीति तैयार की जाती है। यदि विभिन्न नीतियाँ आर्थिक नीति के अनुरूप नहीं बनायी जाती है तो आर्थिक नीति के उद्देश्यों को प्राप्त करने में कठिनाई आयेगी। आर्थिक नीति एक व्यापक नीति है और इसमें अनेक नीतियों का समावेश किया जाता है। इसलिए भी आर्थिक नीति एक बहु-आयामी नीति है।
विभिन्न आर्थिक नीतियों के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के लिए कुछ उपकरणों (इन्स्ट्रुमेण्ट्स) की आवश्यकता होती है। आर्थिक नीति के सन्दर्भ में जिन उपकरणों को प्रयुक्त किया जाता है वे निम्नांकित हैः
आर्थिक नीति के राजकोषीय उपकरण (Fiscal Instruments) के अन्तर्गत सरकार द्वारा वित्त एकत्र करने एवं उसको व्यय करने से सम्बन्धित क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। आर्थिक विकास, सामाजिक कल्याण में वृद्धि हेतु सरकार को नवीन सुविधाओं के विकास एवं विस्तार के लिए धन की आवश्यकता पड़ती है, जिसकी पूर्ति निम्न साधनों से की जाती है :
1. करारोपण : कर राजकीय आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। करारोपण का उद्देश्य आय प्राप्त करना एवं वितरण व्यवस्था को न्यायोचित बनाना होता है।
2. सार्वजनिक ऋण : सार्वजनिक ऋण का आशय सरकार द्वारा प्राप्त किया जाने वाले सरकारी ऋण से है।
3. हीनार्थ प्रबन्धन : हीनार्थ प्रबन्धन अथवा घाटे की वित्त व्यवस्था का राष्ट्र के वित्तीय साधनों में महत्वपूर्ण योगदान होता है।
मौद्रिक उपकरणों (Monetary instruments) का प्रयोग अर्थव्यवस्था में मुद्रा व साख की मात्रा को नियन्त्रित करने के उद्देश्य से किया जाता है।
आर्थिक नीति के संचालन एवं सफलता के लिए जिन प्रमुख मौद्रिक उपकरणों को प्रयुक्त किया जाता है वे निम्नांकित है :
1. साख नियन्त्रण : इसका आशय साख की मात्रा को देश की आवश्यकताओं के अनुरूप समायोजित करना है।
2. ब्याज दर : विकासशील देशों में मौद्रिक नीति की सफलता के लिए बैंक विभिन्न प्रकार के निक्षेपों तथा ऋणों के लिए भिन्न-भिन्न ब्याज की दरों को निर्धारित करती है जिसका उद्देश्य जमाओं अथवा ऋणों को प्रोत्साहित या निरूत्साहित करना होता है।
3. विनिमय दर : मौद्रिक नीति का मुख्य उद्देश्य विनिमय दर में स्थिरता बनाये रखना है।
4. बैंकिग विकास : आर्थिक नीतियों के क्रियान्वयन में बैंक महत्वपूर्ण माध्यम सिद्ध हुए हैं।
5. बचतों को प्रोत्साहन : बैंकिग विकास की उपयुक्त नीति अपना कर समाज की अतिरिक्त आय को बचत के रूप में बैंको में जमा कर आर्थिक नीति के निर्धारित उद्देश्यों के अनुरूप धन की प्राप्ति की जा सकती है।
आर्थिक नीति में व्यापारिक उपकरणों की भूमिका को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है :
1. मुक्त एवं प्रतिबन्धित व्यापार : वर्तमान में नियन्त्रित व्यापार को अधिक महत्त्व प्रदान किया गया है। सुव्यवस्थित आर्थिक विकास हेतु प्रतिबन्धित व्यापार का विशेष महत्त्व होता है।
2. राष्ट्रानुसार प्राथमिकताएँ : आर्थिक नीति में व्यापारिक नियन्त्रणों की सफलता हेतु विदेशी व्यापार में राष्ट्रनुसार प्राथमिकता की नीति को अपनाया जाता है।
3. वस्तुनुसार प्राथमिकता : आर्थिक नीति की सफलता उपयुक्त वस्तुनुसार प्राथमिकता पर भी निर्भर करती है।
आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक नियन्त्रणों का विशेष महत्त्व है।
1. निवेश नियन्त्रण : तीव्र उद्योगीकरण तथा पूर्ण रोजगार की प्राप्ति के लिए पूँजी निवेश नियन्त्रण का विशेष महत्त्व है।
2. मूल्य नियन्त्रण : आर्थिक नीति के मूल्य नियन्त्रण सम्बन्धी उपकरणों का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ता के हितों की रक्षा करना होता है।
3. सार्वजनिक वितरण व्यवस्था : सार्वजनिक वितरण प्रणाली का आशय अत्यधिक उपभोग की वस्तुओं के वितरण की सरकारी स्तर पर व्यवस्था से है।
4. लाइसेंसिग व्यवस्था : इस व्यवस्था द्वारा उत्पादित वस्तुओं, लागत साधनों तथा पद्धति पर नियन्त्रण रखा जाता है। लाइसेंसिग नीति आर्थिक नीति का एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जिसकी सहायता से उत्पादन को नियन्त्रित किया जा सकता है।
राष्ट्र की आर्थिक नीति की सफलता उसके संघटको (कम्पोनेन्ट्स) पर आश्रित होती है। सामान्यतः निम्न नीतियों का प्रयोग आर्थिक नीति के संघटकों के रूप में किया जाता है :
1. प्राकृतिक संसाधन नीति : आर्थिक नीति के लक्ष्यों के अनुरूप प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग एवं विदोहन करना उपयुक्त होता है। खेती, वनो के विकास करने के लिए, सिंचाई आदी क्षेत्रों में विनियोग पर बल देना चाहिए।
2. आर्थिक नियोजन : नियोजन का सम्बन्ध अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों से होता है। इसलिए नियोजन नीति का निर्माण आर्थिक नीति के लक्ष्यों के अनुरूप होना आवश्यक है।
3. जनसंख्या नीति : किसी देश के आर्थिक विकास में मानवीय संसाधनों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। लेकिन देश की जनसंख्या में अधिक वृद्धि, उसके गुणात्मक पहलू में कमी आदि से देश के आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न होती है। औद्योगिक नीति की सहायक नीति के रूप में जनसंख्या नीति तैयार की जाती है।
4. कृषि नीति
5. औद्योगिक नीति
6. व्यापारिक नीति : व्यापारिक नीति के अन्तर्गत प्रमुख रूप से आयात-निर्यात, अभ्यंश, दिशा व स्वभाव, स्वदेशी उद्योगों का संरक्षण एवं उनका स्वभाव विदेशी मुद्रा व सहायता, व्यापारिक समझौते व भुगतान सन्तुलन आदि समस्याओं को सम्मिलित किया गया है।
7. परिवहन एवं संचार नीति : देश में आधारभूत संरचना के निर्माण में परिवहन एवं संचार के साधनों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इन साधनों से देश के विभिन्न क्षेत्र एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं और भौगोलिक दूरियाँ कम हो जाती है।
8. कीमत नीति : कीमत नीति द्वारा अर्थव्यवस्था में कीमतों का नियंत्रण एवं नियमन किया जाता है ताकि कीमतों में उच्चावचन न हो।
9. मौद्रिक एवं साख नीति : मौद्रिक कठिनाईयों को दूर करने तथा साख नियन्त्रण हेतु राष्ट्र की मौद्रिक नीति महत्वपूर्ण उपकरण है। भारत में रिजर्व बैंक द्वारा प्रति छः माह बाद मौद्रिक एवं साख नीति की घोषणा एवं परिवर्तित की जाती है।
10. प्रशुल्क नीति : प्रशुल्क नीति का ऋण एवं व्यय के वितरण, अर्थव्यवस्था की कार्यविधि को स्थित एवं सुव्यवस्थित आधार प्रदान करने हेतु प्रयोग किया जाता है। प्रशुल्क नीति का प्रमुख कार्य पूँजी निर्माण को प्रोत्साहित करना होता है।
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