आरएलवी टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेशन प्रोग्राम
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रीयूज़ेबल लांच व्हीकल टेक्नोलॉजी डेमोंसट्रेटर प्रोग्राम, (पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान-प्रौद्योगिकी प्रदर्शन कार्यक्रम) या RLV-TD, भारत का प्रौद्योगिकी (टेक्नॉलजी) प्रदर्शन मिशन है जो टू स्टेज टू ऑर्बिट (TSTO) को समझने व पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण वाहन की दिशा में पहले कदम के रूप में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा नियोजित प्रौद्योगिकी प्रदर्शन (टेक्नोलॉजी डीमॉन्सट्रेशन) की एक शृंखला है।
RLV-TD (पैमाना प्रतिरूप) | |
कार्य | प्रौद्योगिकी प्रदर्शन यान (टेक्नॉलजी डेमन्स्ट्रैशन प्लेन) |
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निर्माता | इसरो |
मूल देश | ![]() |
आकार | |
ऊंचाई | 9 मी० (रॉकेट) 6.5 मी० (शटल)[1][2] [3] |
व्यास | 1 मी० [3] |
द्रव्यमान | 11 टन 1.75 टन (शटल) [1][2][4] |
चरण | 2[3] |
लॉन्च इतिहास | |
वर्तमान स्थिति | प्रोटोटाइप्स का परीक्षण[5] |
लॉन्च स्थल | सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र |
प्रथम उड़ान | सुबह 7 बजे (आईएसटी), 23 मई 2016[6] |
इस प्रयोजन के लिए, एक पंख युक्त पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी प्रदर्शक (RLV-TD) बनाया गया। RLV-TD संचालित क्रूज उड़ान, हाइपरसॉनिक उड़ान, और स्वायत्त (ऑटोनॉमस) लैंडिंग, वायु श्वसन प्रणोदन (एयर ब्रीदिंग प्रपलशन) जैसे विभिन्न प्रौद्योगिकियों का मूल्यांकन करने के रूप में कार्य करेगा। इन प्रौद्योगिकियों के प्रयोग से लांच लागत में काफी कमी आएगी।[4]
वर्तमान में ऐसे स्पेस शटल बनाने वाले देशों में सिर्फ़ अमेरिका, रूस, फ्रांस और जापान हैं। चीन ने इस प्रकार का कोई प्रयास नहीं किया है।[6]