अलाउद्दीन खिलजी
खिलजी राजवंश का शासक / From Wikipedia, the free encyclopedia
सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी (वास्तविक नाम अलीगुर्शप 1296-1316) दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश का दूसरा सबसे अत्यन्त महत्वकांशी शासक था।[1] उसका साम्राज्य अफगानिस्तान से लेकर उत्तर-मध्य भारत तक फैला था। इसके बाद इतना बड़ा भारतीय साम्राज्य अगले तीन सौ सालों तक कोई भी शासक स्थापित नहीं कर पाया था। उसका उपनाम सिकंदर-ए-सानी (सिकंदर द्वितीय) था।
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अलाउद्दीन खिलजी | |||||
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दिल्ली का सुल्तान | |||||
शासनावधि | 1296–1316 | ||||
राज्याभिषेक | 1296 | ||||
पूर्ववर्ती | जलालुद्दीन खिलजी | ||||
उत्तरवर्ती | शहाबुद्दीन उमर | ||||
अवध का राज्यपाल | |||||
कार्यकाल | 1296 | ||||
कड़ा का राज्यपाल | |||||
कार्यकाल | 1291–1296 | ||||
पूर्ववर्ती | मलिक छज्जू | ||||
उत्तरवर्ती | अला-उल मुल्क | ||||
अमीर-ए-तुज़ुक | |||||
कार्यकाल | 1290–1291 | ||||
जन्म | अली गुरशास्प c. 1266-1267ਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ | ||||
निधन | दिल्ली, भारतਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ | ||||
समाधि | दिल्ली, भारत ਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ | ||||
जीवनसंगी | {{plainlist|
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संतान |
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राजवंश | खिलजी राजवंश | ||||
पिता | शाहबुद्दीन मसूद | ||||
धर्म | सुन्नी इस्लाम |
मेवाड़ चित्तौड़ का युद्ध इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है।[2] ऐसा माना जाता है कि उसने चित्तौड़ पर आक्रमण किया था क्योंकि चित्तौड़ राजनीतिक और भौगोलिक तौर पर महत्वपूर्ण स्थान रखता था इस घटनाक्रम के साथ पद्मिनी[3] नामक रानी का मिथक अनायास ही मिलता है हालांकि इसका वर्णन मलिक मुहम्मद जायसी की एक किताब पद्मावत के अलावा कई नहीं मिलता है।[4]
उसके समय में उत्तर पूर्व से मंगोल आक्रमण भी हुए। उसने उसका भी डटकर सामना किया।[5] अलाउद्दीन ख़िलजी के बचपन का नाम अली 'गुरशास्प' था। जलालुद्दीन खिलजी के तख्त पर बैठने के बाद उसे 'अमीर-ए-तुजुक' का पद मिला। मलिक छज्जू के विद्रोह को दबाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के कारण जलालुद्दीन ने उसे कड़ा-मनिकपुर की सूबेदारी सौंप दी। भिलसा, चंदेरी एवं देवगिरि के सफल अभियानों से प्राप्त अपार धन ने उसकी स्थिति और मज़बूत कर दी। इस प्रकार उत्कर्ष पर पहुँचे अलाउद्दीन खिलजी ने अपने चाचा जलालुद्दीन की हत्या धोखे से 22 अक्टूबर 1296 को खुद से गले मिलते समय अपने दो सैनिकों (मुहम्मद सलीम तथा इख़्तियारुद्दीन हूद) द्वारा करवा दी। इस प्रकार उसने अपने सगे चाचा जो उसे अपने औलाद की भांति प्रेम करता था के साथ विश्वासघात कर खुद को सुल्तान घोषित कर दिया और दिल्ली में स्थित बलबन के लालमहल में अपना राज्याभिषेक 22 अक्टूबर 1296 को सम्पन्न करवाया।[6]