भोजपुरी साहित्य
भोजपुरी भासा में लिखल साहित्य / From Wikipedia, the free encyclopedia
भोजपुरी साहित्य भोजपुरी भाषा में रचल सगरो साहित्य के सामिल करेला। भोजपुरी भाषा 1300 साल के क्रम मे विकसित भइल बा, भाषा के विकास 7वीं सदी मे शुरू भइल। भोजपुरी साहित्य के सुरूआती स्वरूप सिद्ध साहित्य आ चर्यापद[1][2] के लेखन मे देखल जा सकेला। एह भाषा में साहित्य के अलग-अलग परंपरा मध्ययुग से शुरू भइल जब एह प्रदेस के संत आ भक्तगण आपन साहित्यिक रचना खातिर भोजपुरी के अनुकूलित कइले। लोरिकायन[3] चाहे वीर लोरिक के खीसा, पूर्वांचल के एगो प्रसिद्ध भोजपुरी लोककाथा बा। भिखारी ठाकुर के बिदेसिया एगो अउरी सुप्रसिद्ध रचना बा। भोजपुरी के पहिला उपन्यास बिन्दिया 1956 मे रामनाथ पांडेय के द्वारा लिखल गइल। एकर प्रकाशन भोजपुरी सांसद, जगतगंज, वाराणसी से भइल रहल।
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उत्पत्ति |
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उत्पत्ति तिथि | 7वीं सदी (1300 साल पहिले) |
लिखाई | देवनागरी |
नियंत्रण |
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गोरखनाथ, कबीरदास आ दरिया साहेब नियन संतन के वाणी से प्रारंभ हो के महेंदर मिसिर, भिखारी ठाकुर आ राहुल सांकृत्यायन के रचना से होत भोजपुरी साहित्य के विकास आज कबिता, कहानी, उपन्यास आ ब्लॉग लेखन ले चहुँप चुकल बा। आधुनिक युग के आरंभ मे पाण्डेय कपिल, रामजी राय, भोलानाथ गहमरी नियर लोगन के रचना से वर्तमान साहित्य के रीढ़ बरियार भइल बा।
भोजपुरी भाषा आ साहित्य के इतिहास लिखनिहारन में ग्रियर्सन, राहुल सांकृत्यायन से लेके उदय नारायण तिवारी, कृष्णदेव उपाध्याय, हवलदार तिवारी आ तैयब हुसैन 'पीड़ित' नियर विद्वानन के योगदान बा।[4] अर्जुन तिवारी के लिखल एकरा भोजपुरी साहित्य के इतिहास भोजपुरी भाषा में मौजूद बा।