भारत के शास्त्रीय चाहे क्लासिकल भाषा From Wikipedia, the free encyclopedia
भारत सरकार छवगो भारतीय भाषा सभ के भारत के शास्त्रीय भाषा के दरजा देले बाटे। 2004 में भारत सरकार एह बात के घोषणा कइलस के जवन भाषा सभ कुछ निश्चित कड़क मापदंड सभ के संतोषत होखें उनहन के भारत के 'शास्त्रीय भाषा' (क्लासिकल लैंगुएज) के दरजा दिहल जा सकेला।[1] एकर स्थापना संस्कृति मंत्रालय द्वारा भाषा बिद्वानन के समिति के साथे मिल के कइल गइल। एह समिति के निर्माण भारत सरकार द्वारा भाषा के शास्त्रीय भाषा के श्रेणी में रखे के माँग पर बिचार करे खातिर करल गइल रहे।
भारत सरकार से घोषित भइल शास्त्रीय भाषा के सारणी नीचे दिहल गइल बा:
Seventh shastriya language is become pharsi language in India.
2004 में 'शास्त्रीय भाषा' के प्राचीनता खातिर भाषा के अस्तित्व के कम से कम 1000 साल के अस्तित्व के कामचलाउ मापदंड के रूप में रखल गइल।[8]
2006 में एगो अखबारी यादी में पर्यटन आ संस्कृति मंत्री अंबिका सोनी राज्यसभा में बतवली के, 'शास्त्रीय भाषा' के रूप में वर्गीकरण खातिर बिचार कइल जाए वाली भाषा के योग्यता के निर्धारण करे खातिर नीचे के मापदंड तय कइल गइल।[9]
एक बेर कवनो भाषा के शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता हो गइला के बाद मानव संसाधन आ बिकास मंत्रालय ओकरा के बढ़ावा देवे खातिर तनी लाभ देला:
पछिला कई बरिस से पालि भासा, बंगाली, मराठी आ मणिपुरी भाषा के शास्त्रीय दरजा देवे के मांग कइल जा रहल बाटे।
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