भारत में हरित क्रांति
भारत के खेती में ब्यापक बदलाव जे 1960-70 के दशक में शुरू भइल From Wikipedia, the free encyclopedia
भारत के खेती में ब्यापक बदलाव जे 1960-70 के दशक में शुरू भइल From Wikipedia, the free encyclopedia
भारत में हरित क्रांति, 1960 के दशक में नॉर्मन बोरलाग के शुरू कइल गइल कोसिस से खेती के क्षेत्र में आइल ब्यापक बदलाव क भारतीय वर्शन हवे। बोरलाग के दुनिया में ‘हरित क्रांति के जनक’ के रूप में से जानल जाला आ 1970 में नॉर्मन बोरलॉग के हाई यील्डिंग वेरायटी (HYVs) के बिकास में काम करे खातिर नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कइल गइल। भारत में हरित क्रांति के अगुवाई मुख्य रूप से एम. एस. स्वामीनाथन कइलें जे सी. सुब्रमण्यम के साथे मिल के काम कइलें। भारत में हरित क्रांति के जनक एम. एस. स्वामीनाथन के कहल जाला।
भारत में 1967-68 आ 1977-78 के दौरान भइल हरित क्रांति के परिणाम ई भइल कि देस अनाज के कमी वाला देसन के श्रेणी से निकल के एगो प्रमुख कृषि प्रधान देश बन गइल। भारत में हरित क्रांति के असर मुख्य रूप से खाद्य अनाज (खासकर गोहूँ आ चावल) के उत्पादन में देखे के मिले ला।
भारत में हरित क्रांति के नकारात्मक परभाव के भी कई बिद्वान लोग अध्ययन आ चर्चा कइले बा। खास क के एकरा इलाकाई सफालता आ पर्यावरण पर परभाव के ले के। भारत में हरित क्रांति मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा आ पच्छिमी उत्तर प्रदेश में बेसी सफल भइल। एकरा चलते एह इलाका सभ में माटी आ सिंचनी के संसाधन सभ क तेजी से दोहन कइल गइल आ रासायनिक खाद के चलन बढ़ल जेकरा चलते माटी के गुणवत्ता आ पर्यावरण पर बिपरीत परभाव पड़े के बात कहल जाला।
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