जञनी
मादा जननांग / From Wikipedia, the free encyclopedia
जञनी, जुआनी चाहे जोनी(अंग्रेजी: Vagina (वैजाइना)[1]; संस्कृत: योनि) मय मैमल जीव सभ के देह मे मांसपेशी से बनल नली के आकार के अंग होला आ ई मादा जननांग के हिस्सा होला। मनुष्य भी एगो मैमल, माने कि स्तनधारी जीव हवे आ मनुष्यन में ई अंग औरत के दुनों जाँघ के महे खुले वाला वल्वा से ले के शरीर के अंदर मौजूद कोख के मुहाना (सर्विक्स) ले के बीच के हिस्सा होला। देह के एह अंग के मुख्य काम सेक्स, जचगी आ महिनवारी के बहाव बाहर निकालल हवे।
जञनी | |
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Details | |
Identifiers | |
Latin | Vagina |
MeSH | D014621 |
TA98 | A09.1.04.001 |
TA2 | 3523 |
FMA | 19949 |
Anatomical terminology |
जञनी के बनावट आ शरीर में एकर अस्थान अलग-अलग प्रजाति के जानवर सभ में अलग-अलग होला आ आकारो अंतर होखेला। आमतौर पर मादा मैमल सभ में वल्वा मे दुगो बाहरी छेद होला जेह में से एक ठो मैदान करे ला होखेला आ दुसरका सेक्स आ जचगी खातिर। ई नर मैमल सभ से अलग होला, नर मैमल में पेशाब करे आ प्रजनन दुनो काम खातिर एक्के गो छेद होखेला जेमे से पेशाब आ वीर्य (बीज) दुनों बाहर निकसेला। योनि-द्वार नजदीके के मूत्र-द्वार से बहुत बड़हन होला आ मानव जाति के दुनो छेद के लेबिया द्वारा सुरक्षा प्रदान करल रहेला। उभयचर जंतु जइसे की चिरई कुल, अंडजस्तनी (अंडा देवे वाली जीव सभ) में एक्केगो छेद होखेला, मल-नली, जठरांत्र-नली, मूत्र-नली, प्रजनन-नली सभन खातिर एकहिगो द्वार होखेला।
संभोग घड़ी, जञनी के अंदरूनी सतह प चिकनाहट वाला पदार्थ भा रस सरवत्त्ते लागे ला जवना से एह में आसानी से घुसाव संभव हो सके, अइसन मनुष्य सभ मे आ अन्य मैमल सभ में भी होला। एह रस के नमी के चलते जञनी में चिकनाहट बढ़ जाला आ रगड़ में कमी आवेला जवना से संभोग आसान हो जाला। जञनी के अंदरूनी सतह के बनावट भी लहरदार होले जवना से शीशन प पर्याप्त रगड़ पैदा होले आ बीर्य के निकले तक के प्रक्रिया पूरा होला, जेकरे बाद गरभ धारण हो सकेला। जञनी मे संभोग बजी आनंद आ प्रेम के लगाव मे बढ़त के अलावा अउरी किसिम के परभाव भी हो सकेला, जइसे हेट्रोसेक्सुअल भा लेस्बियन सेक्स के कारण सेक्स संबंधी इन्फेक्शन आ बेमारी (एसआईटी) के एक बेकत से दोसर बेकत मे संचार हो सकेला। एह तरह के इन्फेक्शन आ बेमारी सभ से बचाव खाती बिबिध तरह के सेफ तरीका के पालन कइल जा सके ला। एकरे अलावा जञनी से संबंधित कई तरह के रोग बाड़ें जिनहन से मनुष्य के जञनी परभावित हो सके ले।
जञनी शब्द, सामाजिक रूप से पूरा मानव इतिहास में बहुत संबेदनशील रहल बा आ नकारात्मक दृष्टिकोण, भाषा में आ सांस्कृतिक सोच में एकरा के गंदा रूप में प्रस्तुतीकरण, आ तरह-तरह के टैबू (नकारात्मक मान्यता) सभ, औरत के कामुकता के चीन्हा, आध्यात्मिक रहस्यवाद आ जीवनशक्ति आ प्रजनन से जुड़ल बाटे। सामाजिक सोच में जञनी, गंदा आ अश्लील चीज से ले के पूजनीय चीज (चीन्हा भा प्रतीक के रूप में) ले बिबिध रूप में देखल गइल बा।
आम भाषा में जञनी शब्द औरत के जननांग के बाहरी हिस्सा (अंग्रेजी में वल्वा भा संस्कृत में भग) खाती भी इस्तमाल होला आ भीतरी नलीनुमा हिस्सा खाती भी। हालाँकि, मेडिकल शब्दावली आ तकनीकी रूप से खाली अंदरूनी नलीदार हिस्सा के जञनी (वैजाइना) कहल जाला। एह बिभेद के जानकारी सेक्स संबंधी ज्ञान आ कई तरह के बेमारी रोके में सहायक हो सकेला। प्राचीन भारतीय ग्रंथ सभ में जञनी के आकृती के आधार प कई प्रकार भी गिनावल गइल बा।[2] कामसूत्र में एकर प्रकार आ बिभेद के बिस्तार से बर्णन बा; चरकसंहिता में कई किसिम के जञनी संबंधी रोग के बिबरन दिहल गइल बा।[3]